
jyeshtha purnima mantra: ज्येष्ठ पूर्णिमा मंत्र (Photo Credit: Freepik)
Jyeshtha Purnima Mantra: ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत के प्रमुख रूप से 4 तरह के महत्व बताए जाते हैं। इसके अनुसार इस दिन पूजा जप तप से पापों का नाश होता है और कई गुना अधिक पुण्यफल की प्राप्ति होती है, शुद्धिकरण होता है, मन को शांति मिलती है। वहीं इस व्रत को नियमित रखने वाले व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
साथ ही इस दिन भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी, शिव पार्वती की पूजा से सौभाग्य, समृद्धि और सुख-शांति का आशीर्वाद मिलता है। इसके अलावा परिवार में सुख-शांति रहती है और किसी तरह का क्लेश है तो वह दूर हो जाता है। वहीं, गायत्री मंत्र, तुलसी माला का जाप और दान-पुण्य करना शुभ है। मान्यता है कि भगवान विष्णु ने इसी दिन नरसिंह अवतार लिया था। आइये जानते हैं विशेष ज्येष्ठ पूर्णिमा यानी वट पूर्णिमा मंत्र
1.ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन किसी ब्राह्मण या जरूरतमंद व्यक्ति को दान-दक्षिणा दें, पूजा पाठ के बाद चने और गुड़ का प्रसाद बांटें। मान्यता है कि इससे अत्यधिक पुण्यफल प्राप्त होता है। व्यक्ति का कल्याण होता है।
2. ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन बरगद का वृक्ष लगाना शुभ फलदायक माना जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने वाले व्यक्ति को शिव धाम की प्राप्ति होती है।
3. वट पूर्णिमा के दिन बरगद के पेड़ के नीचे विष्णुजी का ध्यान करते हुए घी का दीपक, लौंग कपूर जलाएं। मान्यता है कि इससे जीवन में आ रही बाधाओं से मुक्ति मिलती है। इससे नौकरी में सफलता मिलती है, घर-बाहर का क्लेश बंद हो जाता है।
4. बरगद के पेड़ के नीचे शिवलिंग स्थापित कर रोज पूजा करें। मान्यता है कि सुख और समृद्धि बढ़ जाएगी। बरगद के पेड़ के नीचे बैठकर पूजन करने, व्रत कथा कहने और सुनने से मनोकामना पूरी होती है। इस दिन शिव-पार्वती के साथ ही विष्णु-लक्ष्मी जी की पूजा करें।
5. पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय के समय चंद्रमा को कच्चे दूध में चीनी और चावल मिलाकर 'ॐ स्रां स्रीं स्रौं स: चन्द्रमसे नम:' या 'ॐ ऐं क्लीं सोमाय नम:' का जप करते हुए चंद्रमा को अर्घ्य दें। इससे आर्थिक समस्या खत्म होती है।
6. मान्यता है कि पूर्णिमा के दिन पीपल के वृक्ष पर मां लक्ष्मी का वास होता है। सुबह उठकर पीपल के पेड़ के सामने कुछ मीठा चढ़ाकर जल अर्पित करें। इससे माता लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलेगा।
7. पूर्णिमा के दिन नित्य-कर्मों से निवृत्त होकर पवित्र हो जाएं फिर एक मिट्टी का दीपक हनुमान जी के मंदिर में जलाएं और हनुमान चालीसा का पाठ करें। ऐसा करने से सभी तरह की बाधाएं दूर होती हैं।
8. इस दिन बरगद के पेड़ में कच्चा दूध चढ़ाने से योग्य वर और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। विवाह में आ रही सभी बाधाएं दूर होती हैं।
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ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत में एक समय सात्विक भोजन ग्रहण करने की भी परंपरा है। इस दिन फल, दूध, पंचामृत, खीर, साबुदाना खिचड़ी या अन्य हल्के सात्विक व्यंजनों का सेवन कर सकते हैं। हालांकि मांस, मछली, अंडा और शराब आदि का सेवन निषिद्ध है। वहीं ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत के दिन सकारात्मक विचार रखें और क्रोध, लोभ, ईर्ष्या आदि नकारात्मक भावों से बचें। किसी की निंदा न करें और सच्चाई का पालन करें। साथ ही पूरे दिन मन लगाकर भगवान का स्मरण करें।
Updated on:
10 Jun 2025 01:20 pm
Published on:
20 Jun 2024 04:16 pm
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