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जानिए कैसे नरेंद्रनाथ बन गए स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानन्द जयन्ती को संयुक्त राष्ट्र संघ के निर्णयानुसार सन् 1985 ई. को अन्तरराष्ट्रीय युवा वर्ष घोषित किया गया। इसके महत्त्व का विचार करते हुए भारत सरकार ने 12 जनवरी 1985 से इस दिन को राष्ट्रीय युवा दिन के रूप में देशभर में मनाये जाने का निर्णय लिया था।

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Sudhir Kumar

Jan 09, 2016

लखनऊ. भारत देश के मसीहा और युवाओं के प्रेरणादायक स्वामी विवेकानद की 153वीं जयंती पूरे देश में धूम-धाम से मनाई जायेगी। स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता हाईकोर्ट में वकील विश्वनाथ दत्त और उनकी पत्नी भुवनेश्वरी देवी की कोख से जन्में थे। उनके बचपन का नाम नरेंद्र नाथ था। वह बचपन से ही बहुत ही तेजश्वी और बुद्धिमान थे। जिन्हे आगे चलकर स्वामी विवेकानद के नाम से जाना जाने लगा।

बचपन में शैतानियां करके लोगों को हंसाने वाले नरेंद्र नाथ बड़े होकर एक पढ़ने में रुचि और गंभीर नौजवान बन गए। उनको छोटे पर से ही धर्म, दर्शन, साहित्य, इतिहास और विज्ञान हर विषय में उनकी रुचि थी। 1881 में उन्होंने शास्त्रीय संगीत की शिक्षा ली और जनरल एसेंबली इंस्टीट्यूशन नाम से जाने जाने वाले स्कॉटिश चर्च कॉलेज से चित्रकला की परीक्षा पास अच्छे नंबर से उत्तीर्ण की। उन्हें 1884 में कला में स्नातक की डिग्री मिली। 28 सितंबर 1895 को शिकागो एडवोकेट नाम के अंग्रेजी अखबार ने उनके बारे में लिखा कि विवेकानंद ऐसी अंग्रेजी बोलता है जैसे वो उसकी मातृभाषा हो। उनकी बहुमुखी प्रतिभा देख कर जनरल एसेंबली इंस्टीट्यूशन के प्रिसिंपल विलियम हेस्टी ने उन्हें जीनियस कहा था।

नरेंद्र नाथ बचपन से ही ईश्वर को तलाश रहे थे
जीनियस नरेंद्र नाथ ज्ञान के लिए ईश्वर को तलाश रहे थे। इस दौरान उनकी जिज्ञासा शांत नहीं हुई। एक दिन क्लास में मशहूर कवि विलियम वर्डस् वर्थ की कविता में ट्रांस शब्द का अर्थ समझाते हुए प्रोफेसर हेस्टी ने कहा कि जिसे सचमुच इसका अर्थ जानना हो उसे रामकृष्ण परमहंस से मिलना चाहिए और यहीं से एक शिष्य से गुरु की मुलाकात तय हो गई।
Swami Vivekananda
उनका सबसे सवाल था क्या आपने भगवान को देखा है?
अपने कॉलेज के प्रधानाचार्य से रामकृष्ण परमहंस के बारे में सुनकर, नवंबर 1881 को वो उनसे मिलने दक्षिणेश्वर के काली मंदिर पहुंचे थे। नरेंद्रनाथ ज्ञान थे तो रामकृष्ण परमहंस प्रकाश पुंज थे। ज्ञान की रौशनी ने ही नरेंद्रनाथ को विवेकानंद बना दिया था। रामकृष्ण परमहंस से भी नरेंद्र नाथ ने वही सवाल किया जो वो औरों से कर चुके थे, कि क्या आपने भगवान को देखा है? रामकृष्ण परमहंस ने जवाब दिया-हां मैंने देखा है, मैं भगवान को उतना ही साफ देख रहा हूं जितना कि तुम्हें देख सकता हूं। फर्क सिर्फ इतना है कि मैं उन्हें तुमसे ज्यादा गहराई से महसूस कर सकता हूं। रामकृष्ण परमहंस के जवाब से नरेंद्रनाथ प्रभावित तो हुए इसके बाद उनके गुरु ने उन्हें विवेकानंद कहकर बुलाया इसके बाद से वह स्वामी विवेकानंद के नाम से जाने जाने लगे।
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शहर में होंगे कई कार्यक्रम
लखनऊ विश्वविद्यालय के एपी सेन हॉल में स्वामी विवेकानंद की 153वीं जयंती पर भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा। इस प्रतियोगिता में विवि के छात्रों के अलावा अन्य संबद्ध कॉलेजों के छात्र भी प्रतिभागिता कर सकते हैं। इसके लिए प्रतिभागियों को 3.5 मिनट का समय दिया जाएगा। वहीं लेखन का विषय राष्ट्र निर्माण में स्वामी विवेकानंद की भूमिका’ व ‘स्वामी विवेकानंद युवाओं के आदर्श’ निर्धारित किया गया है। इसके अलावा शहर भर में कई कार्यक्रम आयोजित होंगे।

राष्ट्रीय युवा महोत्सव, युवाशक्ति के प्रतीक स्वामी विवेकानंद की जन्मभूमि के उपलक्ष्य में सम्पूर्ण देश में मनाया जाने वाला वार्षिक युवा शक्ति महोत्सव है। यह छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में आयोजित हो रहा है। इसे संयुक्त रूप से खेल एवं युवा मंत्रालय, राज्य सरकार, छत्तीसगढ़ भारतीय सेना एवं सूर्या कमाण्ड लखनऊ की ओलिव ग्रीन टीम के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है। 20वें महोत्सव के दौरन योगदान प्रदान करने हेतु भारतीय सेना ने मेजबानी के साथ-साथ विभिन्न क्रिया कलापों की योजना बनाई है। जिसमें सेना के हथियार एवं प्रदर्षनी बनाई गई है। जिसमें सेना के हथियार एवं उपकरणों की प्रदर्षनी, पैरा ट्र्परों द्वारा पैरा मोर्टर एवं पैरा जम्प जैसे साहसिक कारनामों, ब्रास बैण्ड प्रदर्षन, गटका एवं भांगड़ा टीमों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रमों का प्रदर्षन उद्घाटन समारोह में किया जायेगा।

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