
Krishna Janmashtami 2025
Krishna Janmashtami 2025: सनातन धर्म में कृष्ण जन्माष्टमी का विशेष महत्व है। यह हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। यह शुभ दिन भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन जगत का पालनकर्ता भगवान विष्णु ने भगवान श्रीकृष्ण के रूप में आठवां अवतार लिया था। आइए जानते हैं कब मनाई जाएगी साल 2025 की पहली मासिक कृष्ण जन्माष्टमी ?
हिंदू पंचांग के अनुसार मासिक कृष्ण जन्माष्टमी 21 जनवरी 2025 को दिन मंगलवार को मनाई जाएगी। क्योंकि 21 तारीख की रात्रि को 12 बजकर 39 मिनट पर अष्टमी तिथि की शुरुआत होगी। वहीं अगले दिन 22 तारीख 2025 को दोपहर के 03 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगी तो ऐसे में 21 जनवरी को मासिक कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत और पूजा की जाएगी।
आध्यात्मिक लाभ: इस दिन व्रत और पूजा करने से आत्मिक शांति प्राप्त होती है। साथ ही भगवान विष्णु और भगवान श्री कृष्ण का आशीर्वाद मिलता है।
पापों का नाश: शास्त्रों के अनुसार श्रीकृष्ण की भक्ति से पिछले और वर्तमान जन्मों के पाप नष्ट होते हैं साथ मोक्ष की प्राप्ति के मार्ग प्रशस्त होते हैं।
सकारात्मक ऊर्जा: भगवान श्रीकृष्ण के मंत्रों का जाप और उनकी कथाओं का श्रवण जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
मासिक कृष्ण जन्माष्टमी के दिन जातक को सुबह जल्दी उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद व्रत का संकल्प लें और पूरे दिन फलाहार करें।
श्रीकृष्ण की प्रतिमा को पंचामृत से स्नान कराएं और वस्त्र, फूल, चंदन आदि से सजाएं और घी का दीप-धूप आदि जलाएं।
इस शुभ अवसर पर भगवान श्रीकृष्ण को माखन-मिश्री का भोग लगाएं। क्योंकि यह उनके सबसे प्रिय भोजन है।
श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ करें और ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें। रात्रि के समय भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का उत्सव मनाएं।
भगवान श्रीकृष्ण को हिंदू धर्म में विष्णु भगवान के आठवें अवतार के रूप में पूजा जाता है। मासिक कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व इस तथ्य को दर्शाता है कि समस्त संसार के व्यक्तियों को श्रीकृष्ण के जीवन से धर्म पर चलने की सीख लेनी चाहिए। जीवन में कितनी भी मुसीबत आएं लेकिन सत्य का मार्ग नहीं छोड़ना चाहिए। कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व उनकी आराधना करने और उनके जीवन के आदर्शों को समझने का अवसर प्रदान करता है।
ॐ श्रीकृष्णाय नमः।
ॐ कमलानाथाय नमः।
ॐ वासुदेवाय नमः।
ॐ सनातनाय नमः।
ॐ वसुदेवात्मजाय नमः।
ॐ पुण्याय नमः।
ॐ लीलामानुषविग्रहाय नमः।
ॐ श्रीवत्सकौस्तुभधराय नमः।
ॐ यशोदावत्सलाय नमः।
ॐ हरये नमः।
ॐ चतुर्भुजात्तचक्रासिगदाशङ्खाम्बुजायुधाय नमः।
ॐ देवकीनन्दनाय नमः।
ॐ श्रीशाय नमः।
ॐ नन्दगोपप्रियात्मजाय नमः।
ॐ यमुनावेगसंहारिणे नमः।
ॐ बलभद्रप्रियानुजाय नमः।
ॐ पूतनाजीवितहराय नमः।
ॐ शकटासुरभञ्जनाय नमः।
ॐ नन्दव्रजजनानन्दिने नमः।
ॐ सच्चिदानन्दविग्रहाय नमः।
ॐ नवनीतविलिप्ताङ्गाय नमः।
ॐ नवनीतनटाय नमः।
ॐ अनघाय नमः।
नवनीतनवाहार24
ॐ नवनीतनवाहाराय नमः।
ॐ मुचुकुन्दप्रसादकाय नमः।
ॐ षोडशस्त्रीसहस्रेशाय नमः।
ॐ त्रिभङ्गिने नमः।
ॐ मधुराकृतये नमः।
ॐ शुकवागमृताब्धीन्दवे नमः।
ॐ गोविन्दाय नमः।
ॐ योगिनां पतये नमः।
ॐ वत्सवाटचराय नमः।
ॐ अनन्ताय नमः।
ॐ धेनुकासुरभञ्जनाय नमः।
ॐ तृणीकृततृणावर्ताय नमः।
ॐ यमलार्जुनभञ्जनाय नमः।
ॐ उत्तालतालभेत्रे नमः।
ॐ तमालश्यामलाकृतये नमः।
ॐ गोपगोपीश्वराय नमः।
ॐ योगिने नमः।
डिस्क्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारियां पूर्णतया सत्य हैं या सटीक हैं, इसका www.patrika.com दावा नहीं करता है। इन्हें अपनाने या इसको लेकर किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले इस क्षेत्र के किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।
Published on:
16 Jan 2025 10:02 am
बड़ी खबरें
View Allधर्म-कर्म
धर्म/ज्योतिष
ट्रेंडिंग
