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Mahabharat Secret: गांधारी ने अपने भाई शकुनि को क्यों दिया था शाप, जानिए महाभारत से जुड़ा रहस्य

Mahabharat Secret: महाभारत में हस्तिनापुर नरेश धृतराष्ट्र की पत्नि गांधारी ने अपने भाई को शकुनि को शाप दिया था। क्योंकि वह मानती थीं कि शकुनि ने कौरव और पांडवों के बीच लड़ाई का बीज बोय था।

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भारत

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Sachin Kumar

Feb 15, 2025

गांधारी का अपने भाई शकुनि को शाप

Mahabharat Secret: महाभारत भारतीय इतिहास और धार्मिक ग्रंथों में से एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है। जिसमें अनेक योद्धा और महायोद्धाओं के पराक्रम की कहानी और घटनाओं का उल्लेख है। इन्हीं में से एक हैं गांधारी और उनके भई शकुनि की। महाभारत में शकुनि को कौरवों का प्रमुख रणनीतिकार और पांडवों का शत्रु बताया गया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक समय ऐसा भी आया जब गांधारी ने अपने प्रिय भाई शकुनि को शाप दिया था? आइए जानते हैं इसके पीछे छिपा रहस्य।

गांधारी और शकुनि का संबंध

गांधारी गंधार नरेश सुबल की पुत्री और धृतराष्ट्र की पत्नी थीं। उनका विवाह धृतराष्ट्र से हुआ, जो जन्म से ही अंधे थे। भाई होने के नाते, शकुनि को अपनी बहन से अत्यधिक स्नेह था और वे अक्सर हस्तिनापुर में रहते थे। शकुनि ने ही कौरवों को पांडवों के विरुद्ध उकसाया और महाभारत के युद्ध का मुख्य सूत्रधार बना।

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शकुनि की प्रतिज्ञा और छल

शकुनि ने अपनी बहन गांधारी के प्रति अन्याय का प्रतिशोध लेने के लिए धृतराष्ट्र के पुत्रों, कौरवों, को पांडवों के खिलाफ भड़काया। उसने दुर्योधन को जुए में फंसाकर पांडवों को हराने का षड्यंत्र रचा, जिससे द्रौपदी का चीरहरण हुआ और पांडवों को वनवास भोगना पड़ा।

गांधारी का क्रोध और शाप

जब महाभारत का विनाशकारी युद्ध समाप्त हुआ और कौरवों का संहार हुआ, तब गांधारी को अपनी संतानों की मृत्यु का अत्यंत दुःख हुआ। उन्होंने इस विनाश का कारण शकुनि की कूटनीति और छल को माना। अपने परिवार की बर्बादी का मुख्य दोषी समझते हुए गांधारी ने अपने प्रिय भाई को शाप दिया।

तुम्हारे कुटिल बुद्धि और छल-कपट के कारण मेरा कुल नष्ट हो गया। तुम्हारी आत्मा कभी शांति नहीं पाएगी और तुम्हारा नाम इतिहास में एक कुटिल और धूर्त व्यक्ति के रूप में लिया जाएगा।

शाप का परिणाम

गांधारी के शाप का प्रभाव यह हुआ कि शकुनि को इतिहास में सदैव एक धूर्त और कपटी व्यक्ति के रूप में याद किया जाता है। उसकी मृत्यु भी सहदेव के हाथों अत्यंत कष्टदायक रही, जिससे उसकी आत्मा को कभी शांति नहीं मिली।

महाभारत की यह कथा हमें यह सिखाती है कि कपट, छल और अधर्म का परिणाम सदैव विनाशकारी होता है। गांधारी का शाप केवल उनके दुःख और क्रोध को ही नहीं दर्शाता, बल्कि यह भी प्रमाणित करता है कि अन्याय का प्रतिशोध भी कभी-कभी पूरे वंश का नाश कर सकता है।

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डिस्क्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारियां पूर्णतया सत्य हैं या सटीक हैं, इसका www.patrika.com दावा नहीं करता है। इन्हें अपनाने या इसको लेकर किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले इस क्षेत्र के किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।