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शिवजी की यह पूजा हैं सबसे ज्यादा चमत्कारी, एक पुकार पर दौड़े आते हैं महादेव

locationभोपालPublished: Feb 23, 2019 01:38:22 pm

Submitted by:

Shyam

शिवजी की यह पूजा हैं सबसे ज्यादा चमत्कारी, एक पुकार पर दौड़े आते हैं महादेव

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शिवजी की यह पूजा हैं सबसे ज्यादा चमत्कारी, एक पुकार पर दौड़े आते हैं महादेव

महाशिवारात्रि का महापर्व 4 मार्च 2019 दिन सोमवार को हैं । देवो के देव महादेव भगवान शंकर औघड़दानी कहलाते हैं जो जीव चराचर सबको साथ लेकर चलते हैं । कहा शास्त्रों में कहा गया हैं कि जब-जब शिव भक्तों पर समस्या आती है महादेव भक्तों की एक पुकार पर दौड़े दौड़े चले आते है औऱ अपने शरणागत के सारे कष्ट हर लेते है । अगर कोई भी भक्त महाशिवरात्रि पर शिव मानस में दिये गये चमत्कारी उपाय को करता हैं तो उसके जीवन में आने कष्टों से बचाने के लिए महादेव सहायता के लिए तुरंत किसी ना किसी रूप में आ जाते हैं ।

 

शिवजी की मानसिक पूजा को एक मत से लगभग सभी शास्त्रों में श्रेष्ठतम पूजा के रूप में बताया गया है । इस शिव मानस पूजा को सुंदर-समृद्ध भावना से करने पर शिवजी अत्यंत प्रसन्न होते हैं और मानसिक रूप से अर्पण हर सामग्री को प्रत्यक्ष मानकर स्वीकार कर मनचाहा वरदान भी देते हैं । शिव मानस पूजा स्तुति का पाठ करते हुये महाशिवरात्रि के दिन शिवजी का एकांत में बैठकर 108 बिल्वपत्र अर्पित करने से हर इच्छा पूरी कर देते हैं महादेव ।

 

शिव मानस पूजा स्तुति
1- रत्नैः कल्पितमासनं हिमजलैः स्नानं च दिव्याम्बरं ।
नाना रत्न विभूषितम्‌ मृग मदामोदांकितम्‌ चंदनम ॥
जाती चम्पक बिल्वपत्र रचितं पुष्पं च धूपं तथा ।
दीपं देव दयानिधे पशुपते हृत्कल्पितम्‌ गृह्यताम्‌ ॥

 

2- सौवर्णे नवरत्न खंडरचिते पात्र धृतं पायसं ।
भक्ष्मं पंचविधं पयोदधि युतं रम्भाफलं पानकम्‌ ॥
शाका नाम युतं जलं रुचिकरं कर्पूर खंडौज्ज्वलं ।
ताम्बूलं मनसा मया विरचितं भक्त्या प्रभो स्वीकुरु ॥

 

3- छत्रं चामर योर्युगं व्यजनकं चादर्शकं निमलं ।
वीणा भेरि मृदंग काहलकला गीतं च नृत्यं तथा ॥
साष्टांग प्रणतिः स्तुति-र्बहुविधा ह्येतत्समस्तं ममा ।
संकल्पेन समर्पितं तव विभो पूजां गृहाण प्रभो ॥

 

5- आत्मा त्वं गिरिजा मतिः सहचराः प्राणाः शरीरं गृहं ।
पूजा ते विषयोपभोगरचना निद्रा समाधिस्थितिः ॥
संचारः पदयोः प्रदक्षिणविधिः स्तोत्राणि सर्वा गिरो ।
यद्यत्कर्म करोमि तत्तदखिलं शम्भो तवाराधनम्‌ ॥

 

6- कर चरण कृतं वाक्कायजं कर्मजं वा श्रवणनयनजं वा मानसं वापराधम्‌ ।
विहितमविहितं वा सर्वमेतत्क्षमस्व जय जय करणाब्धे श्री महादेव शम्भो ॥

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