
Mahila Naga Sadhu
Mahila Naga Sadhu: महाकुंभमेला दुनिया के सबसे बड़ा धार्मिक और आध्यात्मिक आयोजनों में से एक है। इस मेले में करोड़ों श्रद्धालु और साधु-संत पवित्र नदियों में स्नान करने के लिए इकट्ठे होते हैं। नागा साधु जो नंगे बदन और भस्म लपेटे रहते हैं। इस भव्य आयोजन का आकर्षण माने जाते हैं। अक्सर लोग पुरुष नागा साधुओं के शाही स्नान के बारे में ही अधिक सुनते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि इसमें महिला नागा साधु भी पूरी परंपरा के साथ भाग लेती हैं। आइए जानिए नागा साध्वीयों के शाही स्नान की पूरी कहानी।
महिला नागा साधुओं को नागा साध्वी भी कहा जाता है। महिला नागा साध्वी पुरुष नागा साधुओं की तरह ही कठिन तपस्या और दीक्षा के बाद नागा संप्रदाय में शामिल होती हैं। महाकुंभ के दौरान महिला नागा साध्वी भी पुरुष नागा साधुओं की तरह ही अखाड़ों के साथ पवित्र स्नान करती हैं। गुरुओं की आज्ञा के अनुसार वे भी अपनी आस्था और परंपरा का ध्यान रखते हुए नग्न अवस्था में स्नान करती हैं और पूरे अनुशासन तथा मर्यादा का पालन करती हैं।
महाकुंभ के दौरान नागा साध्वियों के शाही स्नान का महत्व विशेष महत्व है। इसे पवित्रता, आस्था और आध्यात्मिक ऊर्जा का संगम माना गया है। इसमें महिला नागा साध्वियां प्रमुख अखाड़ों के झंडे और हथियारों तलवार, त्रिशूल, चिमटा के साथ भव्य शोभायात्रा निकालती हैं। इसके बाद स्नान करती हैं। यह दृश्य न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह महिलाओं की आध्यात्मिक ताकत और उनके समर्पण को भी दर्शाता है।
महाकुंभ में महिला नागा साधुओं की उपस्थिति समाज को एक बड़ा संदेश देती है। इससे यह साफ होता है कि महिलाएं अध्यात्म और साधना में पुरुषों से पीछे नहीं हैं और दोनों के बीच में कोई भेद नहीं है। इन साध्वियों का शाही स्नान भारतीय संस्कृति में महिलाओं के समान अधिकार और सम्मान को दर्शाता है। इसके साथ ही यह नारी शक्ति के आत्मबल को प्रगाढ़ करता है।
Updated on:
20 Dec 2024 10:26 am
Published on:
20 Dec 2024 10:25 am
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