
यहां जानिए मार्गशीर्ष पर्व क्या करना होगा शुभ और अशुभ?
Margashirsha Parv: मार्गशीर्ष माह हिंदी वर्ष के अगहन मास को कहते हैं। यह मास भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित माना जाता है। इसलिए मार्गशीर्ष माह विशेष पवित्र और शुभ माना गया है। इस माह पर भगवान श्री कृष्ण की पूजा की जाती है। इस पवित्र मास की महिमा का वर्णन स्वयं भगवान श्रीकृष्णन ने श्रीमद्भगवद्गीता में किया है। आइए जानते हैं मार्गशीर्ष पर्व पर क्या करना शुभ होगा और क्या अशुभ।
धार्मिक मान्यता है कि मार्गशीर्ष के महीने में श्रीकृष्ण की पूजा करना बेहद शुभ माना जाता है। इस महीने के हर गुरुवार को व्रत रखने से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का आगमन होता है। साथ ही भगवान श्रीकृष्ण की आराधना करें और भगवद्गीता का पाठ करें।
इस पवित्र अगहन माह के ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना अत्यंत फलदायी माना गया है। पवित्र नदियों में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। अगर नदियों में स्नान संभव न हो तो घर में गंगाजल मिलाकर स्नान करने से भी पवित्र गंगा स्नान का फल प्राप्त होगा।
इस माह में जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, और धन का दान करना पुण्यकारी होता है। विशेषकर अन्नदान का विशेष महत्व है। धार्मिक स्थलों पर दीपदान करें और गौ माता को चारा खिलाएं। क्योंकि गौ माता श्रीकृष्ण को प्रिय है।
सात्विक आहार लें- इस महीने में सात्विक भोजन का सेवन करना चाहिए। तामसिक भोजन और नशे का त्याग करना चाहिए। इससे तन और मन शुद्ध रहते हैं।
व्रत- इस महीने में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। मार्गशीर्ष महीने में पड़ने वाली मोक्षदा एकादशी को भगवान श्रीकृष्ण और भगवद्गीता का पूजन करना चाहिए। जो कि व्रतधारी के लिए विशेष फलदायी सावित होगा।
मार्गशीर्ष के इस पवित्र माह में क्रोध, अहंकार और कठोर वाणी का त्याग करना चाहिए। दूसरों के साथ मधुर व्यवहार करें साथ ही अपने से छोटों के प्यार दें और बड़ों का सम्मान करें।
इस पवित्र महीने में झूठ बोलने, धोखा देने और छल-कपट से बचना चाहिए। सत्य बोलें और अपने कर्मों में ईमानदारी रखें। ऐसा करने से लोगों की नजर में अच्छी छवि बनेगी।
मार्गशीर्ष माह में मांस, शराब, और अन्य तामसिक पदार्थों का सेवन वर्जित है। इससे नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है और इसका असर मानसिक शांति पर पड़ता है। धार्मिक मान्यता है कि ऐसा भोजन करने से बुद्धि और विचार अशुद्ध होते है। जिसका निजी जीवन पर गलत प्रभाव पड़ता है।
पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठानों के समय शरीर और मन की शुद्धता का ध्यान रखें। अशुद्ध वस्त्र पहनकर पूजा न करें। घर को स्वच्छ और पवित्र रखें।
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार मार्गशीर्ष का महीना आत्मशुद्धि, भक्ति, और पुण्य कर्मों के लिए सर्वोत्तम समय है। इस समय में किए गए सत्कर्म और साधना का विशेष फल प्राप्त होता है। इस पवित्र माह में श्रीकृष्ण भगवान का सत्संग और ध्यान से आत्मा को शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
डिस्क्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारियां पूर्णतया सत्य हैं या सटीक हैं, इसका www.patrika.com दावा नहीं करता है। इन्हें अपनाने या इसको लेकर किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले इस क्षेत्र के किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।
Published on:
15 Nov 2024 07:46 pm
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