
नागदेवता की कैसे करते हैं पूजा
Nag Devta Ki Puja nagpanchami: नाग देवता भगवान शिव के गले के हार होते हैं और भगवान विष्णु के शयन स्थल होते हैं। इनकी पूजा नागपंचमी के दिन की जाती है। मान्यता है कि इससे नाग से भय दूर होता है और काल सर्प दोष दूर होता है। मान्यता है कि नाग पूजा से नाग व्यक्ति को डसते नहीं है। वहीं नाग कीट, पतंगों इत्यादि को खाकर फसलों की रक्षा करते हैं। इससे किसानों का कल्याण करते हैं।
नाग पंचमी के दिन नाग देवता को दूध और सुगंधित पुष्प अर्पित किए जाते हैं। नागपंचमी पर शिवलिंग के पास स्थित नाग देवता को अर्पित करना चाहिए। विशेष रूप से चमेली का फूल चढ़ाना चाहिए। इस समय नाग देवता का मंत्र वासुकिः तक्षकश्चैव कालियो मणिभद्रकः, ऐरावतो धृतराष्ट्रः कार्कोटकधनंजयौ॥ एतेऽभयं प्रयच्छन्ति प्राणिनां प्राणजीविनाम्॥ का जाप करना चाहिए और नीचे लिखी आरती पढ़नी चाहिए।
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आरती कीजे श्री नाग देवता की,
भूमि का भार वहनकर्ता की।
उग्र रूप है तुम्हारा देवा भक्त,
सभी करते है सेवा॥
मनोकामना पूरण करते,
तन-मन से जो सेवा करते।
आरती कीजे श्री नाग देवता की॥
भक्तों के संकट हारी की आरती,
कीजे श्री नागदेवता की।
आरती कीजे श्री नाग देवता की॥
महादेव के गले की शोभा,
ग्राम देवता मै है पूजा।
श्वेत वर्ण है तुम्हारी ध्वजा॥
दास ऊंकार पर रहती कृपा,
सहस्त्रफनधारी की।
आरती कीजे श्री नाग देवता की,
भूमि का भार वहनकर्ता की॥
आरती कीजे श्री नाग देवता की॥
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Updated on:
09 Aug 2024 12:31 pm
Published on:
09 Aug 2024 12:30 pm
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