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सोमवार को परिवर्तिनी एकादशी, जानें भगवान विष्णु के वामन अवतार से क्या है संबंध

locationभोपालPublished: Sep 08, 2019 11:32:30 am

Submitted by:

Devendra Kashyap

Parivartini Ekadashi 2019: भाद्रपद शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा की जाती है। इसे परिवर्तिनी एकादशी या पद्मा एकादशी भी कहा जाता है।

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सोमवार ( 9 सितंबर ) को परिवर्तिनी एकादशी है। इसे पद्मा एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा की जाती है। परिवर्तिनी एकादशी के दिन लोग व्रत रखते हैं और पूजा पाठ करते हैं। मान्यता है कि भाद्रपद शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान विष्णु शेष शैय्या पर करवट बदलते हैं। भगवान विष्णु करवट बदलने के समय प्रसन्न मुद्रा में रहते हैं। कहा जाता है कि इस अवधि में भगवान विष्णु से कुछ भी मांगने पर वे पूरी कर देते हैं।
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व्रत कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, त्रेता युग में भगवान विष्णु का महान भक्त राजा बलि हुआ। राक्षस कुल में जन्म लेने के बावजूद वह भगवान विष्णु का अनन्य भक्त था। उसकी नियमित भक्ति व प्रार्थनाओं से भगवान विष्णु प्रसन्न हो उठे। वह अपने तप, पूजा व विनम्र स्वभाव के कारण राजा बलि ने अनेकों शक्तियां अर्जित कर ली व इन्द्र के देवलोक के साथ त्रिलोक पर अधिकार कर लिया। इससे देवता लोकविहीन हो गए।
देवराज इन्द्र को राज्य फिर से दिलवाने के लिए भगवान विष्णु को वामन अवतार लेना पड़ा। वे बौने ब्राह्मण का रूप धारण कर राजा बलि के समक्ष गए व उनसे 3 पग ( पद ) भूमि देने का आग्रह किया। गुरू शुक्राचार्य के मना करने के बावजूद राजा बलि ने वामन ब्राह्मण को 3 पग भूमि देने का वचन दे दिया।
इसके बाद वामन ब्राह्मण ने अपने आकार में वृद्धि और प्रथम पग में सम्पूर्ण पृथ्वी को नाप लिया, द्वितीय पग में देवलोक को नाप लिया। उनके तृतीय पग हेतु कोई भूमि ही नहीं बची, तब वचन के निश्चयी राजा बलि ने तृतीय पग रखने हेतु अपना शीश सामने कर दिया।
वामन रूप रखे भगवान विष्णु राजा बलि की भक्ति व वचनबद्धता से अत्यंत प्रसन्न हो गए और राजा बलि को पाताल लोक का राज्य दे दिया। इसके साथ ही भगवान विष्णु ने राजा बलि को वरदान दिया कि चतुर्मास अर्थात 4 माह में उनका एक रूप क्षीर सागर में शयन करेगा व द्वितीय रूप राजा बलि के पाताल में रहेगा।
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