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रविवार 12 मई को मां पीतांबरा की मूर्ति या फोटों पर चढ़ा दें यह चीज, साक्षात दर्शन देती हैं माता

रविवार 12 मई को मां पीतांबरा की मूर्ति या फोटों पर चढ़ा दें यह चीज, साक्षात दर्शन देती हैं माता

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भोपाल

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Shyam Kishor

May 11, 2019

pitambara mandir

रविवार 12 मई को मां पीतांबरा की मूर्ति या फोटों पर चढ़ा दें यह चीज, साक्षात दर्शन देती हैं माता

ऐसी मान्यता है कि मां पीतांबरा के मंदिर में आने वाले भक्तों की कोई भी पुकार कभी खाली नहीं रहती। राजा हो या रंक, मां के मनभावक नैन सभी भक्तों पर एक समान कृपा बरसाते हैं। माता के इस दरबार में देश के बड़े बड़े राजनेता भी मत्था टेक कर आशीर्वाद लेने पहुंचते हैं। मां पीतांबरा माता बगलामुखी का ही प्रतिरूप मानी जाती है। 12 मई को मां बगलमुखी की पावन जयंती है, इस दिन जो भी अपनी मनोकामना लेकर मां के द्वार जाता है वह कभी वहां से खाली नहीं लौटता। मां पीतांबरा की मूर्ति या फोटों पर एक बार चढ़ा दें यह चीज, फिर देखे चमत्कार।

मां बगलामुखी जयंती के दिन मां पीतांबरा के दर्शन करना चाहिए। अगर माता के मंदिर नहीं जा सकते तो अपने घर में ही माता के दर्शन कर यह चीज जरूर चढ़ाना चाहिए। कहा जाता है की माता को पीले पदार्थ अत्यधित पसंद है। इस माता को पीले जाते पुष्पों की माला पहनाकर उन्हें पीले पदार्थों से बना भोग लगाने से माता प्रसन्न होकर अपने भक्तों स्वप्न में साक्षात दर्शन देकर मनोकामना पूर्ति का आशीर्वाद देती है।

दतिया के पीताबंरा मंदिर में माता चर्तुभुज रूपी मां पीतांबरा के एक हाथ में गदा, दूसरे में पाश, तीसरे में वज्र और चौथे हाथ में उन्होंने राक्षस की जिह्वा थाम रखी है। मां की शरण में आने वाला कभी यहां से खाली नहीं लौटता है। यहां माता के अनेक रूपों के चमत्कार आए दिन घटते देखे जा सकते हैं। मां पीताबंरा के इस दरबार में भक्तों को मां के दर्शन एक छोटी सी खिड़की से ही होते हैं। दर्शनार्थियों को मां की प्रतिमा को स्पर्श करने की मनाही है, फिर भी इनके दर्शन मात्र से मनोकामनाएं पूरी हो जाती है।

मां पीतांबरा को राजसत्ता की देवी माना जाता है और इसी रूप में भक्त उनकी आराधना भी करते हैं। यहां पीतांबरा माता के साथ, खंडेश्वर महादेव और धूमावती के दर्शनों का भी सौभाग्य मिलता है। यहां खंडेश्वर महादेव की तांत्रिक रूप में पूजा होती है। महादेव के दरबार से बाहर निकलते ही दस महाविद्याओं में से एक मां धूमावती के दर्शन होते हैं। सबसे अनोखी बात ये है कि भक्तों को मां धूमावती के दर्शन का सौभाग्य केवल आरती के समय ही प्राप्त होता है क्योंकि बाकी समय मंदिर के कपाट बंद ही रहते हैं।