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पितृ पक्ष 2019 : अपने घर पर भी कर सकते हैं श्राद्ध कर्म, जानें पिंडदान करने की पूरी विधि

Pitru Paksha 2019 : Pind daan vidhi in home : पितृ पक्ष में अपने घर पर भी बिना किसी पंडित के सहयोग के भी पिण्डदान श्राद्धकर्म किया जा सकता है। जानें घर पर पिंडदान करने की सरल शास्त्रोंक्त विधि।

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भोपाल

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Shyam Kishor

Sep 13, 2019

पितृ पक्ष 2019 : अपने घर पर भी कर सकते हैं श्राद्ध कर्म, जानें पिंडदान करने की पूरी विधि

पितृ पक्ष 2019 : अपने घर पर भी कर सकते हैं श्राद्ध कर्म, जानें पिंडदान करने की पूरी विधि

14 सिंतबर से पितृ पक्ष शुरू हो रहा है। पितृ पक्ष में पिण्डदान अर्थान अपने दिवंगत पितरों के निमित्त चावल के पिण्ड या जौ गेहूं के आटे में तिल, शहद, घृत, दूध मिलाकर छोटे-छोटे कुल 12 पिण्ड बनाकर शास्त्रोंक्त विधि से पिंडदान करनें का विधान है। पितृ पक्ष में अपने घर पर भी बिना किसी पंडित के सहयोग के भी पिण्डदान श्राद्धकर्म किया जा सकता है। जानें घर पर पिंडदान करने की सरल शास्त्रोंक्त विधि।

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घर पर ही ऐसे करें पिण्डदान

सबसे पहले केले के दो हरे पत्ते या पत्तल लें एवं एक पर थोड़ा कुशा बिछाकर सारे पिण्ड रख दे, एवं दूसरी पत्तल को एक तरफ रख दें।

इस मंत्र का उच्चारण करते हुए कुशा बिछायें।

मन्त्र

ॐ कुशोऽसि कुश पुत्रोऽसि, ब्रह्मणा निर्मितः पुरा।।
त्वय्यचिर्तेऽचिर्तः सोऽस्तु, यस्याहं नाम कीर्तये।।

पिण्ड समर्पण प्रार्थना

पिण्डों को कुशा पर बिछाने के बाद, हाथ जोड़कर पिण्ड समर्पण के भाव सहित नीचे लिखे मन्त्र का उच्चारण करते हुए नमस्कार करें-

ॐ आब्रह्मणो ये पितृवंशजाता, मातुस्तथा वंशभवा मदीयाः।।
वंशद्वये ये मम दासभूता, भृत्यास्तथैवाश्रितसेवकाश्च॥
मित्राणि शिष्याः पशवश्च वृक्षाः, दृष्टाश्च स्पृष्टाश्च कृतोपकाराः।।
जन्मान्तरे ये मम संगताश्च, तेषां स्वधा पिण्डमहं ददामि।।

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पिण्डदान विधि

अब दूसरी वाली पत्तल पर एक एक मंत्र के साथ पिण्डदान करते चले। बाएं हाथ से पिंड उठाकर दाहिने हाथ में रखें एवं पिण्ड लेकर पितृतीर्थ मुद्रा से दक्षिणा दिशा की ओर मुख करके बैठे जाएं।

1- देवताओं के लिए पहला पिण्ड छोड़े
ॐ उदीरतामवर उत्परास, ऽउन्मध्यमाः पितरः सोम्यासः।।
असुं यऽईयुरवृका ऋतज्ञाः, ते नोऽवन्तु पितरो हवेषु।।

2- दूसरा पिण्ड ऋषियों के निमित्त
ॐ अंगिरसो नः पितरो नवग्वा, अथर्वणो भृगवः सोम्यासः।।
तेषां वय सुमतौ यज्ञियानाम्, अपि भद्रे सौमनसे स्याम॥

3- तीसरा पिण्ड दिव्य मानवों के निमित्त-
ॐ आयन्तु नः पितरः सोम्यासः, अग्निष्वात्ताः पथिभिदेर्वयानैः।। अस्मिन्यज्ञे स्वधया मदन्तः, अधिब्रवन्तु तेऽवन्त्वस्मान्॥

4- चौथा पिण्ड दिव्य पितरों के निमित्त
ॐ ऊजर वहन्तीरमृतं घृतं, पयः कीलालं परिस्रुत्।।
स्वधास्थ तर्पयत् मे पितृन्॥

5- पांचवां पिण्ड यम के निमित्त-
ॐ पितृव्यः स्वधायिभ्यः स्वधा नमः, पितामहेभ्यः स्वधायिभ्यः स्वधा नमः, प्रपितामहेभ्यः स्वधायिभ्यः स्वधा नमः।
अक्षन्पितरोऽमीमदन्त, पितरोऽतीतृपन्त पितरः, पितरः शुन्धध्वम्॥

6- छठवां पिण्ड मनुष्य-पितरों के निमित्त
ॐ ये चेह पितरों ये च नेह, याँश्च विद्म याँ२ उ च न प्रविद्म।।
त्वं वेत्थ यति ते जातवेदः, स्वधाभियञ सुकृतं जुषस्व॥

7- सातवां पिण्ड मृतात्मा के निमित्त- (पिता, माता या अन्य संबंधी)
ॐ नमो वः पितरो रसाय, नमो वः पितरः शोषाय, नमो वः पितरों जीवाय, नमो वः पितरः स्वधायै, नमो वः पितरों घोराय, नमो वः पितरों मन्यवे, नमो वः पितरः पितरों, नमो वो गृहान्नः पितरों, दत्त सतो वः पितरों देष्मैतद्वः, पितरों वासऽआधत्त।।

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8- आठवां पिण्ड पुत्रदार रहितों के निमित्त
ॐ पितृवंशे मृता ये च, मातृवंशे तथैव च।।
गुरुश्वसुरबन्धूनां, ये चान्ये बान्धवाः स्मृताः॥
ये मे कुले लुप्त पिण्डाः, पुत्रदारविवर्जिता:।।
तेषां पिण्डों मया दत्तो, ह्यक्षय्यमुपतिष्ठतु॥

9- नौवां पिण्ड अविच्छिन्न कुलवंश वालों के निमित्त
ॐ उच्छिन्नकुल वंशानां, येषां दाता कुले नहि।।
धर्मपिण्डो मया दत्तो, ह्यक्षय्यमुपतिष्ठतु॥

10- दसवां पिण्ड गर्भपात से मर जाने वालों के निमित्त-
ॐ विरूपा आमगभार्श्च, ज्ञाताज्ञाताः कुले मम॥
तेषां पिण्डों मया दत्तो, ह्यक्षय्यमुपतिष्ठतु॥

11- ग्यारहवां पिण्ड इस जन्म या अन्य जन्म के बन्धुओं के निमित्त-
ॐ अग्निदग्धाश्च ये जीवा, ये प्रदग्धाः कुले मम्।।
भूमौ दत्तेन तृप्यन्तु, धर्मपिण्डं ददाम्यहम्॥

12- बारहवां पिण्ड इस जन्म या अन्य जन्म के बन्धुओं के निमित्त
ॐ ये बान्धवाऽबान्धवा वा, ये न्यजन्मनि बान्धवाः।।
तेषां पिण्डों मया दत्तो, ह्यक्षय्यमुपतिष्ठतु॥

उक्त 12 पिण्डदान करने के बाद दुध, दही एवं शहद सभी पिण्डों पर एक-एक मंत्रों का उच्चारण करते हुए अर्पित करें।

1- सबसे पहले गाय का दुध सभी पिंडों पर अर्पित करें-
ॐ पयः पृथिव्यां पयऽओषधीषु, पयो दिव्यन्तरिक्षे पयोधाः।। पयस्वतीः प्रदिशः सन्तु मह्यम्।।
ॐ दुग्धं।। दुग्धं।। दुग्धं।। तृप्यध्वम्।। तृप्यध्वम्।। तृप्यध्वम्॥

2- दही सभी पिंडों पर अर्पित करें-
ॐ दधिक्राव्णऽअकारिषं, जिष्णोरश्वस्य वाजिनः।। सुरभि नो मुखाकरत्प्रण, आयुषि तारिषत्।।
ॐ दधि।। दधि।। दधि।। तृप्यध्वम्।। तृप्यध्वम्।। तृप्यध्वम्।।

3- शहद सभी पिंडों पर अर्पित करें-
ॐ मधुवाताऽऋतायते, मधु क्षरन्ति सिन्धवः।। माध्वीनर्: सन्त्वोषधीः।। ॐ मधु नक्तमुतोषसो, मधुमत्पाथिव रजः।। मधु द्यौरस्तु नः पिता।। ॐ मधुमान्नो वनस्पति, मधुमां२ऽ अस्तु सूर्य:।। माध्वीगार्वो भवन्तु नः।।
ॐ मधु।। मधु।। मधु।। तृप्यध्वम्।। तृप्यध्वम्।। तृप्यध्वम्।।
पिंडदान का क्रम पूरा होने के बाद सभी पिंडों को गाय को खिला दें या पिर नदी तालाब में मछलियों के लिए छोड़ दें।

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