
Putrada Ekadashi 2025: पुत्रदा एकादशी का व्रतसंतान सुख की प्राप्ति और परिवार में खुशहाली के लिए किया जाता है। यह भगवान विष्णु को समर्पित है। इस शुभ दिन पर विष्णु चालीसा का पाठ करना बहुत शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि भगवान विष्णु अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं और उनको आशीर्वाद देते हैं।
पुत्रदा एकादशी 2025 में 10 जनवरी को मनाई जाएगी। इस दिन व्रत, पूजा, और विष्णु चालीसा का पाठ करना अत्यंत फलदायी माना गया है।
पुत्रदा एकादशी पर विष्णु चालीसा का पाठ करना अत्यंत शुभ माना गया है। यह चालीसा भगवान विष्णु की महिमा का गुणगान करती है और भक्तों को उनकी कृपा का अनुभव कराती है। इस पाठ से मन को शांति मिलती है और भक्त भगवान विष्णु के निकट आते हैं।
विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय ।
कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताए ।।
नमो विष्णु भगवान खरारी ।
कष्ट नशावन अखिल बिहारी ।।
प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी ।
त्रिभुवन फैल रही उजियारी ॥
सुन्दर रूप मनोहर सूरत ।
सरल स्वभाव मोहनी मूरत ।।
तन पर पीताम्बर अति सोहत ।
बैजन्ती माला मन मोहत ॥
शंख चक्र कर गदा विराजे ।
देखत दैत्य असुर दल भाजे ।।
सत्य धर्म मद लोभ न गाजे ।
काम क्रोध मद लोभ न छाजे ॥
सन्तभक्त सज्जन मनरंजन ।
दनुज असुर दुष्टन दल गंजन ।।
सुख उपजाय कष्ट सब भंजन ।
दोष मिटाय करत जन सज्जन ॥
पाप काट भव सिन्धु उतारण ।
कष्ट नाशकर भक्त उबारण ।।
करत अनेक रूप प्रभु धारण ।
केवल आप भक्ति के कारण ॥
धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा ।
तब तुम रूप राम का धारा ।।
भार उतार असुर दल मारा ।
रावण आदिक को संहारा ॥
आप वाराह रूप बनाया ।
हिरण्याक्ष को मार गिराया ।।
धर मत्स्य तन सिन्धु बनाया ।
चौदह रतनन को निकलाया ॥
अमिलख असुरन द्वन्द मचाया ।
रूप मोहनी आप दिखाया ।।
देवन को अमृत पान कराया ।
असुरन को छवि से बहलाया ॥
कूर्म रूप धर सिन्धु मझाया ।
मन्द्राचल गिरि तुरत उठाया ।।
शंकर का तुम फन्द छुड़ाया ।
भस्मासुर को रूप दिखाया ॥
वेदन को जब असुर डुबाया ।
कर प्रबन्ध उन्हें ढुढवाया ।।
मोहित बनकर खलहि नचाया ।
उसही कर से भस्म कराया ॥
असुर जलन्धर अति बलदाई ।
शंकर से उन कीन्ह लड़ाई ।।
हार पार शिव सकल बनाई ।
कीन सती से छल खल जाई ॥
सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी ।
बतलाई सब विपत कहानी ।।
तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी ।
वृन्दा की सब सुरति भुलानी ॥
देखत तीन दनुज शैतानी ।
वृन्दा आय तुम्हें लपटानी ।।
हो स्पर्श धर्म क्षति मानी ।
हना असुर उर शिव शैतानी ॥
तुमने ध्रुव प्रहलाद उबारे ।
हिरणाकुश आदिक खल मारे ।।
गणिका और अजामिल तारे ।
बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे ॥
हरहु सकल संताप हमारे ।
कृपा करहु हरि सिरजन हारे ।।
देखहुं मैं निज दरश तुम्हारे ।
दीन बन्धु भक्तन हितकारे ॥
चाहता आपका सेवक दर्शन ।
करहु दया अपनी मधुसूदन ।।
जानूं नहीं योग्य जब पूजन ।
होय यज्ञ स्तुति अनुमोदन ॥
शीलदया सन्तोष सुलक्षण ।
विदित नहीं व्रतबोध विलक्षण ।।
करहुं आपका किस विधि पूजन,
कुमति विलोक होत दुख भीषण ॥
करहुं प्रणाम कौन विधिसुमिरण ।
कौन भांति मैं करहु समर्पण ।।
सुर मुनि करत सदा सेवकाई ।
हर्षित रहत परम गति पाई ॥
दीन दुखिन पर सदा सहाई ।
निज जन जान लेव अपनाई ।।
पाप दोष संताप नशाओ ।
भव बन्धन से मुक्त कराओ ॥
सुत सम्पति दे सुख उपजाओ ।
निज चरनन का दास बनाओ ।।
निगम सदा ये विनय सुनावै ।
पढ़ै सुनै सो जन सुख पावै ॥
॥ इति श्री विष्णु चालीसा ॥
व्रत के एक दिन पहले सात्विक भोजन करें।
प्रातः स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र पर जल, पुष्प, धूप, और दीप चढ़ाएं।
विष्णु चालीसा का पाठ करें।
व्रत के दिन पूरी निष्ठा और श्रद्धा के साथ भगवान विष्णु की आराधना करें।
अगले दिन ब्राह्मणों को भोजन कराकर व्रत का पारण करें।
डिस्क्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारियां पूर्णतया सत्य हैं या सटीक हैं, इसका www.patrika.com दावा नहीं करता है। इन्हें अपनाने या इसको लेकर किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले इस क्षेत्र के किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।
Published on:
09 Jan 2025 03:24 pm
बड़ी खबरें
View Allधर्म-कर्म
धर्म/ज्योतिष
ट्रेंडिंग
