
राधा अष्टमी व्रत पूजा विधि मंत्र और भोग आरती
भाद्रपद शुक्ल पक्ष अष्टमी तिथि प्रारंभः मंगलवार 10 सितंबर 2024 को रात 11:11 बजे
भाद्रपद शुक्ल पक्ष अष्टमी तिथि समापनः बुधवार 11 सितंबर 2024 को रात 11:46 बजे
उदयातिथि में राधा अष्टमीः बुधवार 11 सितंबर 2024 को
मध्याह्न पूजा का समयः सुबह 11:03 बजे से दोपहर 01:32 बजे तक
अवधिः 2 घंटे 29 मिनट
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आरती राधा जी की कीजै,कृष्ण संग जो करे निवासा,
कृष्ण करें जिन पर विश्वासा, आरती वृषभानु लली की कीजै।
कृष्ण चन्द्र की करी सहाई, मुंह में आनि रूप दिखाई, उसी शक्ति की आरती कीजै।
नंद पुत्र से प्रीति बढ़ाई, जमुना तट पर रास रचाई, आरती रास रचाई की कीजै।
प्रेम राह जिसने बतलाई, निर्गुण भक्ति नहीं अपनाई, आरती राधा जी की कीजै।
दुनिया की जो रक्षा करती, भक्तजनों के दुख सब हरती, आरती दु:ख हरणी की कीजै।
कृष्ण चन्द्र ने प्रेम बढ़ाया, विपिन बीच में रास रचाया, आरती कृष्ण प्रिया की कीजै।
दुनिया की जो जननि कहावे, निज पुत्रों की धीर बंधावे, आरती जगत मात की कीजै।
निज पुत्रों के काज संवारे, आरती गायक के कष्ट निवारे, आरती विश्वमात की कीजै।
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4. ऊं ह्नीं श्रीं राधिकायै नम:।
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भगवान कृष्ण और राधा रानी को मालपुएं प्रिय हैं। इसलिए इनकी पूजा में मालपुए का भोग जरूर लगाना चाहिए।
मालपुए के अलावा राधा रानी को रबड़ी भी पसंद है। इसलिए राधा अष्टमी के दिन राधा रानी को रबड़ी का भोग लगा सकते हैं।
Updated on:
09 Sept 2024 06:34 pm
Published on:
09 Sept 2024 06:33 pm
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