
Sawan Somwar 2025 : सावन के अंतिम सोमवार पर बन रहा है मनोकामना पूरी करने वाला योग, जान लीजिए पूजा का सही समय (फोटो सोर्स : Freepik)
Sawan Somwar 2025 : सावन का महीना भगवान भोलेनाथ की भक्ति और आस्था का प्रतीक माना जाता है। इस साल 11 जुलाई 2025 से शुरू होकर 9 अगस्त 2025 तक चलेगा। यह पूरा महीना शिव भक्तों के लिए विशेष फलदायी रहने वाला है। ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया इस बार सावन की शुरुआत और इसके प्रमुख दिन कई दुर्लभ और अत्यंत शुभ योगों के साथ आ रहे हैं। ज्योतिष शास्त्रियों के अनुसार, ऐसे संयोग 72 सालों में एक बार ही बनते हैं जो भक्तों की हर मनोकामना पूरी करने में सहायक होंगे।
इस साल सावन की शुरुआत ही चार बेहद शुभ संयोगों के साथ हुई है: सर्वार्थसिद्धि योग, आयुष्मान योग, प्रीति योग और श्रवण नक्षत्र। ये सभी योग मिलकर इस सावन को शिव भक्तों के लिए और भी खास बना रहे हैं। कहा जा रहा है कि इन शुभ घड़ियों में की गई पूजा-अर्चना का फल कई गुना ज्यादा मिलता है।
सावन के सोमवार (Sawan Somwar 2025) का महत्व तो हम सभी जानते हैं लेकिन इस बार का सावन और भी खास होने वाला है। इस साल सावन के चारों सोमवार पर कुल सात फलदायी योग रहेंगे, जिनमें सर्वार्थ सिद्धि के साथ अमृत योग की वर्षा भी होगी। इसका मतलब है कि इन दिनों में भगवान शिव की पूजा करने से भक्तों को अमृत समान लाभ मिलेगा।
एक और खास बात ये है कि इस सावन में 72 साल बाद दो ग्रह - शनि और बुध - अपनी चाल बदलकर वक्री हो जाएंगे। कुछ अन्य ग्रह पहले से ही वक्री स्थिति में रहेंगे। ग्रहों की ये विशेष स्थिति भी सावन के आध्यात्मिक प्रभाव को बढ़ाएगी। वहीं इस बार सावन के कृष्ण पक्ष में एक दिन का क्षय हो रहा है तो शुक्ल पक्ष में एक दिन की वृद्धि भी हो रही है जो इसे और भी अनूठा बनाता है।
सावन के सोमवार (Sawan Somwar 2025) का व्रत बेहद पुण्यदायी माना जाता है। मान्यता है कि इससे भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी करते हैं खासकर कुंवारी कन्याओं के लिए मनचाहे वर की प्राप्ति का ये सबसे उत्तम व्रत है।
चौथा और अंतिम सोमवार : 4 अगस्त 2025 - यह सोमवार सर्वार्थ सिद्धि योग (Sarvartha Siddhi Yoga) , ब्रह्म और इंद्र योग के साथ आ रहा है। चंद्रमा अनुराधा नक्षत्र और चित्रा नक्षत्र से वृश्चिक राशि पर संचार करेंगे। इस दिन पूरे दिन कभी भी पूजा कर सकते हैं, हालांकि ब्रह्म मुहूर्त में पूजा करना सबसे उत्तम माना जाता है।
सावन का महीना भगवान शिव की भक्ति और साधना का पर्व है। इस दौरान शिवलिंग पर जलाभिषेक, रुद्राभिषेक और शिवपुराण का पाठ करने का विशेष महत्व है। अगर आप सावन के सोमवार का व्रत रख रहे हैं तो इन बातों का ध्यान रखें:
सुबह जल्दी उठें: स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें।
संकल्प लें: पूजा शुरू करने से पहले व्रत का संकल्प लें।
पूजा की तैयारी: एक वेदी पर भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें।
अभिषेक: शिवलिंग का गंगाजल और पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और चीनी का मिश्रण) से अभिषेक करें। फिर शुद्ध जल से अभिषेक करें।
सामग्री अर्पित करें: भगवान शिव को उनकी प्रिय चीजें जैसे बेलपत्र, चंदन, अक्षत (चावल), धतूरा, आक के फूल, भांग, सफेद फूल, फल और मिठाई अर्पित करें। माता पार्वती को सोलह शृंगार की सामग्री चढ़ाएं।
दीपक और धूप: घी का दीपक और धूप जलाएं।
मंत्र जाप और पाठ: 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का निरंतर जाप करें और शिव चालीसा का पाठ करें।
कथा श्रवण: सावन सोमवार व्रत की कथा सुनें या पढ़ें।
आरती और भोग: अंत में भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करें। भगवान को सात्विक भोग लगाएं और उसे प्रसाद के रूप में बांटें।
क्षमा याचना: पूजा में हुई किसी भी भूल के लिए भगवान शिव से क्षमा-प्रार्थना करें।
यह सावन का महीना सिर्फ पूजा-पाठ का ही नहीं बल्कि खुद को प्रकृति से जोड़ने और आध्यात्मिक ऊर्जा महसूस करने का भी अवसर है। इन शुभ संयोगों का लाभ उठाएं और भगवान शिव की कृपा से अपने जीवन को धन्य बनाएं!
Published on:
14 Jul 2025 01:55 pm
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