
शाकंभरी पूर्णिमा कल
क्या है शाकंभरी नवरात्रि
देवी भागवत पुराण के अनुसार शाकंभरी माता देवी भगवती का अवतार हैं। मान्यता के अनुसार देवी भगवती ने पृथ्वी को अकाल और खाद्य संकट से मुक्त करने के लिए पौष पूर्णिमा को शाकम्भरी के रूप में अवतार लिया था। इसलिए पौष पूर्णिमा को शाकंभरी पूर्णिमा भी कहते हैं। इन शाकम्भरी माता को सब्जियों, फलों तथा हरी पत्तियों की देवी के रूप में भी जाना जाता है और उन्हें फलों और सब्जियों के हरे-भरे परिवेश में विराजमान दिखाया जाता है। इन माता के आंखों से नौ दिन तक बहे आंसू से नदी बन गई और अकाल खत्म हुआ। इसलिए भक्त माता की कृपा के लिए उनके अवतार के दिन तक नवरात्रि मनाते हैं और देवी मां की पौष शुक्ल पक्ष अष्टमी से पौष पूर्णिमा तक विशेष पूजा अर्चना करते हैं।
शाकंभरी जयंती की विशेषता
भोपाल के पं. जगदीश शर्मा के अनुसार शाकंभरी पूर्णिमा को शाकंभरी जयंती के नाम से भी जाना जाता है। यह शाकंभरी नवरात्रि का अन्तिम दिन होता है। वैसे तो अधिकांश नवरात्रि शुक्ल प्रतिपदा से आरंभ होते हैं, लेकिन शाकंभरी नवरात्रि पौष माह की अष्टमी तिथि से आरम्भ होते हैं और पूर्णिमा पर समाप्त होते हैं। इसलिए शाकंभरी नवरात्रि उत्सव कुल आठ दिनों तक चलता है। हालांकि कुछ वर्षों में तिथि के घटने-बढ़ने के कारण शाकम्भरी नवरात्रि की समयावधि सात और नौ दिनों तक की हो सकती है।
कल है शाकंभरी पूर्णिमा
हिंदू पंचांग के अनुसार पौष पूर्णिमा को ही शाकंभरी पूर्णिमा और शाकंभरी जयंती के नाम से जानते हैं। पौष पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 24 जनवरी को रात 9.49 बजे हो रही है और यह तिथि 25 जनवरी रात 11.23 बजे संपन्न हो रही है। इस तिथि पर माता शाकंभरी की पूजा अर्चना के साथ, गंगा स्नान और दान पुण्य का विशेष महत्व है। इस बार खास यह है कि इस दिन चार विशेष योग गुरु पुष्य योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग और रवि योग रहेंगे। इससे इस दिन पूजा अर्चना का विशेष फल कई गुना बढ़ जाएगा।
शाकंभरी पूर्णिमा का महत्व
पौष पूर्णिमा के दिन जो भी साधक मां की स्तुति, ध्यान, जप, पूजा-अर्चना करता है, वह शीघ्र ही अन्न, पान और अमृतरूप अक्षय फल को प्राप्त करता है। भक्ति-भाव से मां की उपासना करने वाले की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उसके जीवन के सारे कष्ट मिटते हैं। मोक्ष की प्राप्ति होती है।
शाकंभरी पूर्णिमा पर करें यह उपाय
देवी शाकंभरी को देवी दुर्गा का सौम्य रूप माना जाता है जो अत्यंत दयालु, कृपालु और स्नेही हैं। शाकंभरी पूर्णिमा के दिन लोगों को शाकंभरी देवी की पूजा और प्रार्थना करनी चाहिए, दान करना चाहिए, उपहार देने चाहिए, व्रत करना चाहिए, तीर्थ यात्रा करनी चाहिए, पवित्र स्नान करना चाहिए और देवी का दिव्य आशीर्वाद पाने के लिए अच्छे कर्म करने चाहिए।
मां शाकंभरी की पूजा विधि
1. शाकंभरी पूर्णिमा के दिन भक्तों को सुबह जल्दी उठकर, पवित्र स्नान करना चाहिए और फिर देवी शाकंभरी की मूर्ति की पूजा अर्चना घर या मंदिर में करनी चाहिए।
2. इससे पहले देवी शाकंभरी की मूर्ति या तस्वीर को फल और मौसमी सब्जियों से सजाना चाहिए।
3. भक्तों को बाणशंकरी प्रातः स्मरण मंत्र का जाप करना चाहिए।
4. देवी को पवित्र भोजन (प्रसादम) अर्पित करना चाहिए, बाद में इसे सभी भक्तों में बांटें।
5. परिवार के सभी सदस्यों के साथ आरती करनी चाहिए।
6. व्रत रखने वाले व्यक्ति को शाकंभरी कथा अवश्य पढ़नी चाहिए।
शाकंभरी नवरात्रि के आखिरी दिन ये योग
गुरु पुष्य योगः 25 जनवरी सुबह 08:16 बजे से 26 जनवरी सुबह 07:03 बजे तक
सर्वार्थ सिद्धि योगः 25 जनवरी को पूरे दिन
अमृत सिद्धि योगः 25 जनवरी सुबह 08:16 बजे से 26 जनवरी सुबह 07:03 बजे तक
रवि योगः 25 जनवरी सुबह 07:03 बजे से 08:16 बजे तक
Updated on:
24 Jan 2024 07:55 pm
Published on:
24 Jan 2024 07:53 pm
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