वहीं एक बार ऋषि अगस्त की प्रार्थना पर शनि देव ने राक्षसों से उनको मुक्ति दिलाई थी। इससे इनको शुभ फल देने वाला भी माना जाने लगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि देव सभी को निष्पक्ष फल देते हैं। अच्छे कर्मों का फल सुख-समृद्धि के रूप में देते है, जबकि बुरे कर्मों का बुरा परिणाम देते हैं। इस दिन विशेष पूजा-अनुष्ठान करके शनिदेव को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
शनि ग्रह का अन्य ग्रहों से संबंध और शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि ग्रह का हमारे जीवन पर गहरा असर पड़ता है। मान्यता है कि शनि और राहु के बीच शत्रुता होती है। इसलिए राहु के प्रभाव के दौरान शनि देव की कृपा प्राप्त करना विशेष रूप से लाभदायक होता है। वहीं शनि और बुध के संबंध तटस्थ माने जाते हैं। यदि बुध शुभ स्थिति में हो तो शनि का प्रभाव भी सकारात्मक रहता है। हालांकि मंगल के साथ शनि का युद्ध योग जीवन में कुछ चुनौतीपूर्ण परिस्थितियां ला सकता है। वहीं शनि की साढ़े साती के प्रभाव से जीवन में कष्ट, रूकावट देते हैं। इस दौरान शनि देव को प्रसन्न करने से साढ़ेसाती के प्रभाव को कम किया जा सकता है।शनिदेव को प्रसन्न करने के सरल उपाय
- शनि जयंती पर शनि देव को प्रसन्न करने के लिए सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें। फिर निर्जला या फलाहारी व्रत रखें। इससे शनि देव का आशीर्वाद मिलता है।
- इसके साथ ही मंदिर में जाकर या घर में शनिदेव की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। उन्हें काले तिल, नीले फूल, सरसों का तेल और काले वस्त्र अर्पित करें। शनि चालीसा का पाठ करें या शनि स्त्रोत का जाप करें। साथ ही धूप-दीप जलाकर पूजा करें।
- गरीबों और असहायों की सहायता करना शनिदेव को प्रसन्न करता है। काले वस्त्र, सरसों का तेल, तिल या लोहे के बर्तन का दान करना भी शुभ माना जाता है।
- शनिदेव दीन-दुखियों की सेवा को महत्व देते हैं। इसलिए किसी वृद्धा आश्रम या अनाथालय में जाकर सेवा करना भी पुण्यफलदायक होता है।
- पूरे दिन सकारात्मक विचार रखें और क्रोध, ईर्ष्या जैसे नकारात्मक भावों से दूर रहें। शनिदेव शुद्ध मन और अच्छे कर्मों को महत्व देते हैं।