
sharad purnima 2024 date: शरद पूर्णिमा पर खीर बनाने का महत्व
Sharad Purnima 2024: हर पूर्णिमा पर स्नान दान, भगवान विष्णु, सूर्य नारायण, लक्ष्मीजी, चंद्रमा की पूजा का महत्व होता है। लेकिन शरद पूर्णिमा पर इनके साथ इंद्र देव, कुबेर और लड्डू गोपाल की भी पूजा की जाती है।
इस दिन गांव देहात में सत्य नारायण भगवान की कथा सुनने की परंपरा है। खास बात है कि इस साल की शरद पूर्णिमा 2024 पर 3 शुभ संयोग बन रहे हैं। इससे इसका महत्व बढ़ गया है। इस पूर्णिमा को रास पूर्णिमा, कमला पूर्णिमा, आदि के नाम से भी जाना जाता है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन खास तरीके से खुले में खीर रखने पर उसमें चमत्कारिक बदलाव आते हैं।
इधर, शरद पूर्णिमा को लेकर भी इस साल के अन्य व्रत त्योहारों की तरह तिथि भ्रम की स्थिति बन रही है कि इसे 16 या 17 अक्टूबर को कब मनाया जाए। इस संबंध में ज्योतिषाचार्य डॉ.हुकुमचंद जैन का कहना है कि 16 अक्टूबर बुधवार को पूर्णिमा तिथि रात्रि 08:40 बजे से प्रारंभ होकर 17 अक्टूबर शाम 04:55 बजे तक रहेगी।
इसके बाद कार्तिक की प्रतिपदा शुरू हो जाएगी, जबकि इस दिन शरद पूर्णिमा व्रत और लक्ष्मीजी की पूजा करने वालों के लिए चंद्रमा की पूजा अनिवार्य है। शरद पूर्णिमा के निर्धारण के लिए इसका निशीथ व्यापिनी होना जरूरी है। ऐसी स्थिति में शरद पूर्णिमा व्रत 16 अक्टूबर बुधवार को ही किया जाना चाहिए। इस दिन चंद्रोदय शाम 5.02 बजे होगा। खास बात है इस दिन रेवती नक्षत्र, रवि और ध्रुव योग का विशेष संयोग भी बन रहा है।
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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा 16 कलाओं से युक्त होता है और इस दिन अपनी धवल किरणों से अमृत की वर्षा करता है। इससे इसकी रोशनी में रखी गई खीर में औषधीय गुण आ जाते हैं, जिससे इसका सेवन करने वाला व्यक्ति स्वस्थ और दीर्घायु रहता है।
इसलिए इस रात्रि को गाय के दूध की खीर बनाकर चंद्रमा की खुली रोशनी में मलमल के वस्त्र से ढंककर रखी जाती है। इस मीठी खीर में चंद्रमा की किरणों से औषधि गुण आ जाते हैं, फिर प्रात:काल इस खीर का प्रसाद के रूप में सेवन किया जाता है। शरद पूर्णिमा पर मंदिरों में खीर का भोग लगाने के बाद श्रद्धालुओं को प्रसाद की रूप में वितरित की जाती है।
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पंचांग के अनुसार 16 अक्टूबर को शाम 7:18 बजे से शरद पूर्णिमा पर रेवती नक्षत्र का समय हो रहा है, रेवती नक्षत्र का उदय शुभ माना जाता है। ऐसे में शरद पूर्णिमा की खीर खुले में शाम 7:18 बजे के बाद रखना चाहिए।
इसका सबसे अच्छा समय शरद पूर्णिमा की रात जब चंद्रमा पूर्ण रूप से दिखाई देने लगे और उसकी किरणें आप तक पहुंचने लगें, तब है। लेकिन यह ध्यान रखें कि उसे ऐसे ढंककर रखें कि चंद्रमा की रोशनी खीर तक पहुंचे पर कोई विषैला या हानिकारक जीव उसमें न गिरे।
डिस्क्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारियां पूर्णतया सत्य हैं या सटीक हैं, इसका www.patrika.com दावा नहीं करता है। इन्हें अपनाने या इसको लेकर किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले इस क्षेत्र के किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।
Updated on:
16 Oct 2024 08:37 am
Published on:
15 Oct 2024 12:01 pm
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