
shri Ganesh puja vidhi
हिंदू धर्म में Adi Panch dev आदि पंचदेवों में से एक भगवान गणपति प्रथम पूज्य और विघ्नों के नाशक माने गए हैं। ऐसे में सभी शुभ कार्यों में सबसे पहले Shri Ganesh श्री गणेश की ही वंदना की जाती है। वहीं सप्ताह के हिसाब से बुधवार को श्रीगणेश की पूजा का विशेष दिन माना जाता है।
जानकारों के अनुसार Wednesday the day of Shri Ganesh बुधवार को बुध ग्रह के निमित्त पूजा की जाती है और ज्योतिष में श्रीगणेश को ही बुध ग्रह का कारक देवता भी माना गया है। इसके अलावा कुंडली में बुध व देवताओं में श्री गणेश ही बुद्धि के कारक माने गए हैं। ऐसे में बुध ग्रह की अशुभ स्थिति में सुधार के लिए भी श्रीगणेश का पूजन विशेष सफलता दिलाने वाला माना जाता है।
ज्योतिष के जानकार पंडित एसके पांडे के अनुसार Lord Shiv भगवान शिव की तरह ही गणेशजी भी शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं। ऐसे में उनकी Pujan Vidhi of shri Ganesh पूजन विधि बहुत आसान है। पूजन में उपयोग की जाने वाली कुछ वस्तुएं ऐसी हैं जो उन्हें चढ़ाने पर शीघ्र भाग्योदय करती हैं।
इन्हीं में से एक दूर्वा गणपति को अत्यंत प्रिय है। माना जाता है कि पूजन में दूर्वा चढ़ाने से वे अवश्य मनोकामना पूरी करते हैं। ऐसे में Ganpati ji श्री गणेश की नित्य या बुधवार को पूजन करते समय उन्हें पांच, ग्यारह या इक्कीस दूर्वा चढ़ाना श्रेष्ठ माना गया है।
जानकारों के अनुसार दूर्वा उनके मस्तक पर अर्पित करें। इसके अलावा वे मोदक से भी प्रसन्न होते हैं। ऐसे में उन्हें मोदक का भोग लगाने का विधान है। Shri Ganesh Loves it गणेशजी को मोदक प्रिय होने की कई कथाएं प्रचलित हैं। मान्यता है कि पूजन के बाद भोग में मोदक चढ़ाने से वे अपने भक्त की मनोकामना पूर्ण करते हैं।
वहीं Hanuman ji हनुमानजी की तरह गणेशजी भी सिंदूर को पसंद करते हैं। सिंदूर ऊर्जा का प्रतीक है और गणपति भी ऊर्जा, बुद्धि व सिद्धि के दाता हैं। उन्हें सिंदूर चढ़ाने के बाद स्वयं भी उससे तिलक करें। इससे व्यक्ति के कष्ट दूर होते हैं और भाग्य का उदय होता है।
Shree Ganesh भगवान गणेशजी की कृपा प्राप्त करने के लिए उन्हें चावल भी अर्पित किए जाते हैं। ध्यान रहे ये चावल साफ, बिना टूटे हुए और पवित्र होने चाहिए। इसके अलावा सिंदूर मिले हुए चावल भी उन्हें प्रिय हैं। कहा जाता है कि इससे व्यक्ति अकाल मृत्यु, रोग और अपयश से बचता है। साथ ही उसके जीवन में सफलता आती है।
इसके साथ ही Ganesh puja गणेश पूजा के दौरान गणेशजी की प्रतिमा पर चंदन मिश्रण, केसरिया मिश्रण, इत्र, हल्दी, कुमकुम, अबीर, गुलाल, फूलों की माला खासकर गेंदे के फूलों की माला और बेल पत्र को चढ़ाना चाहिए।
इसके अलावा धूपबत्ती जलाएं और नारियल, फल सहित पान का अर्पण करें। पूजा के अंत में भक्त भगवान श्री गणेश, देवी लक्ष्मी और विष्णु भगवान की आरती करें। प्रसाद की बारी आने पर सभी में इसे बांटें इसके बाद स्वयं ग्रहण करें।
यह तो सब जानते ही हैं कि Ganpati ji गणपति का नाम लेने से ही शुभ लक्षण प्रकट होने लगते हैं, लेकिन उनकी पूजा से व्यक्ति को बुद्धि, विद्या, विवेक रोग, व्याधि एवं समस्त विध्न-बाधाओं का स्वत: नाश होता है। श्री गणेशजी की कृपा प्राप्त होने से व्यक्ति के मुश्किल से मुश्किल कार्य भी आसान हो जाते हैं।
ज्योतिष के जानकारों का मानना है कि जिन लोगों को व्यवसाय-नौकरी में विपरीत परिणाम प्राप्त हो रहे हों, पारिवारिक तनाव, आर्थिक तंगी, रोगों से पीड़ा हो रही हो और व्यक्ति को अथक मेहनत करने के उपरांत भी नाकामयाबी, दु:ख, निराशा प्राप्त हो रही हो, तो ऐसे व्यक्तियों की समस्या के निवारण के लिए Wednesday for Ganesh puja बुधवार के दिन श्री गणेशजी की विशेष पूजा-अर्चना करने का विधान है।
1. विवाह कराने के लिए: 'ऊँ ग्लौम गणपतयै नम:' की 11 माला और गणेश स्तोत्र का पाठ नित्य करें। भगवान गणेश को मोदक से भोग लगाएं।
2. धन-समृद्धि के लिए : धनदाता गणेश स्तोत्र का पाठ तथा कुबेर यंत्र के पाठ के साथ 'ऊँ श्रीं ऊँ ह्रीं श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नम:' मंत्र की 11 माला नित्य करें।
3. भवन प्राप्ति के लिए : श्रीगणेश पंचरत्न स्तोत्र व भुवनेश्वरी चालीसा या भुवनेश्वरी स्तोत्र का पाठ करें।
4. संपत्ति प्राप्ति के लिए : श्री गणेश चालीसा, कनकधारा स्तोत्र तथा लक्ष्मी सूक्त का पाठ करें।
5. भूमि प्राप्ति के लिए उपाय : संकटनाशन गणेश स्तोत्र एवं ऋणमोचन मंगल स्तोत्र के 11 पाठ करें।
इसके अलावा माना जाता है कि श्री गणेश के इन दस नामों का यह आसान मंत्र हर रोज प्रयोग करने से श्री गणेश प्रसन्न रहते हैं।
1. गणाधिपतये नम:।
2. विघ्ननाशाय नम:।
3. ईशपुत्राय नम:।
4. सर्वासिद्धिप्रदाय नम:।
5. एकदंताय नम:।
6. कुमार गुरवे नम:।
7. मूषक वाहनाय नम:।
8. उमा पुत्राय नम:।
9. विनायकाय नम:।
10. ईशवक्त्राय नम:।
कहा जाता है कि एक बार तुलसी ने गणेशजी को दो विवाह होने का शाप दिया था। इस पर गणेशजी ने भी उन्हें शाप दिया था कि तुम्हारी संतान असुर होगी। बाद में तुलसी ने गणेशजी से क्षमा मांगी, तो उन्होंने यह वरदान दिया कि कलियुग में तुम पवित्र पौधे के रूप में पूजी जाओगी। तुम्हारी उपस्थिति के बिना पूजन संपूर्ण नहीं होगा, लेकिन मेरे पूजन में तुलसी पत्र का उपयोग नहीं किया जाएगा। इस प्रकार गणेशजी के पूजन में तुलसी का उपयोग वर्जित माना गया है।
Published on:
30 Jun 2021 02:45 am
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