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Shukra Tara Ast 2021 : शुक्र ग्रह 14 फरवरी 2021 को हो जाएंगे अस्त, जानें अस्त का फल

locationभोपालPublished: Feb 02, 2021 01:34:59 pm

भाग्य के कारक शुक्र ग्रह का अस्त अवस्था में होना वैदिक ज्योतिष में काफी महत्वपूर्ण…

Shukra Grah Ast 2021: Here is the Date and Time

Shukra Grah Ast 2021: Here is the Date and Time

वैदिक ज्योतिष में शुक्र ग्रह एक शुभ ग्रह माना गया है। ऐसे में भाग्य के कारक शुक्र ग्रह का अस्त अवस्था में होना वैदिक ज्योतिष के अंतर्गत काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि इसी के प्रभाव से व्यक्ति को भौतिक, शारीरिक और वैवाहिक सुखों की प्राप्ति होती है। इसलिए ज्योतिष में शुक्र ग्रह को भौतिक सुख, वैवाहिक सुख, भोग-विलास, शौहरत, कला, प्रतिभा, सौन्दर्य, रोमांस, काम-वासना और फैशन-डिजाइनिंग आदि का कारक माना जाता है। ऐसे में एक बार फिर 14 फरवरी 2021, रविवार से शुक्र का अस्त काल आरंभ हो रहा है।

ऐसे समझें शुक्र ग्रह का अस्त होना…
जिस प्रकार किसी भी ग्रह का सूर्य के नज़दीक आना उसे अस्त कर सकता है ठीक उसी प्रकार जब शुक्र ग्रह का गोचर होता है और वह किसी विशेष स्थिति में सूर्य के इतना समीप आ जाता है कि उन दोनों के मध्य 10 अंश का ही अंतर रह जाता है तो शुक्र ग्रह अस्त हो जाता है।

ऐसी स्थिति में शुक्र के मुख्य कारक तत्वों में कमी आ जाती है और वह अपने शुभ फल देने में कमी कर सकता है। प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि उसके जीवन में स्नेह और प्रेम बरकरार रहे और सभी प्रकार के सुखों से प्राप्त होते रहें। इसके लिए शुक्र ग्रह का मजबूत होना अति आवश्यक है। शुक्र एक कोमल ग्रह है और सूर्य एक क्रूर ग्रह। इसलिए जब शुक्र अस्त होता है तो उसके शुभ परिणामों की कमी हो जाती है और ऐसे में व्यक्ति कई प्रकार के सुखों से वंचित हो सकता है।

शुक्र जहां वृषभ और तुला राशि का स्वामी होता है, वहीं मीन इसकी उच्च राशि है, जबकि कन्या इसकी नीच राशि कहलाती है। शुक्र को 27 नक्षत्रों में से भरणी, पूर्वा फाल्गुनी और पूर्वाषाढ़ा नक्षत्रों का स्वामित्व प्राप्त है। ग्रहों में बुध और शनि ग्रह शुक्र के मित्र ग्रह हैं और तथा सूर्य और चंद्रमा इसके शत्रु ग्रह माने जाते हैं। शुक्र का गोचर 23 दिन की अवधि का होता है अर्थात शुक्र एक राशि में क़रीब 23 दिन तक रहता है।

दरअसल शुक्र ग्रह सभी सुख-सुविधाओं का मुख्य कारक है। वहीं सनातन धर्म में जहां प्रत्येक कार्य के लिए एक अभीष्ट मुहूर्त निर्धारित है। वहीं कुछ अवधियां ऐसी भी होती है जब शुभकार्य के मुहूर्त का निषेध होता है। इस अवधि में सभी शुभ कार्य जैसे विवाह,मुंडन,सगाई,गृहारंभ व गृहप्रवेश के साथ व्रतारंभ एवं व्रतउद्यापन आदि वर्जित रहते हैं।

चूंकिं शुक्र ग्रह नैसर्गिक रूप से भी शुभ ग्रह है और यही कारण है कि सभी प्रकार के मांगलिक कार्यों में शुक्र ग्रह का अस्त होना त्याज्य माना गया है। शुभ एवं मांगलिक मुहूर्त के निर्धारण में शुक्र के तारे का उदित स्वरूप में होना बहुत आवश्यक है। शुक्र के तारे के अस्त होने पर किसी भी प्रकार के शुभ और मांगलिक कार्यों के मुहूर्त नहीं बनते।

शुक्र का तारा अस्त : Shukra Tara Ast Date and Time 2021

शुक्र अस्त आरंभ काल (मकर राशि) : फरवरी 14, 2021, रविवार 01:00:46 बजे
फरवरी संवत् 2077 माघ शुक्ल तृतीया दिन रविवार दिनांक 14 फरवरी 2021 को तृतीया को शुक्र का तारा पूर्व दिशा में अस्त होगा जो संवत् 2078 चैत्र शुक्ल षष्ठी दिनांक 18 अप्रैल 2021 दिन रविवार को उदित होगा।

शुक्र : विवाह मुहूर्त-
शास्त्रों में विवाह के लिए शुद्ध मुहूर्त के चयन व निर्धारण में शुक्र को अति-महत्वपूर्ण माना गया है। शुक्र को नैसर्गिक भोग-विलास व दाम्पत्य का कारक माना गया है। यदि विवाह वाले दिन शुक्र का तारा अस्त हो तो शास्त्रानुसार विवाह करना वर्जित माना जाता है।

ऐसे समझें शुक्र ग्रह का अस्त होना और इसका फल…
दरअसल शुक्र तारा डूबना से तात्पर्य है शुक्र ग्रह का अस्त होना। इसे शुक्र का लोप होना भी कहा जाता है। सभी प्रकार के शुभ एवं मांगलिक कार्यों में और मुख्य रूप से विवाह संस्कार जैसे अत्यंत शुभ कार्य के लिए शुक्र का लोप होना अच्छा नहीं माना जाता और इसी वजह से जब शुक्र अस्त होता है।

तो उस समयावधि के दौरान विवाह जैसा पवित्र कार्य भी वर्जित माना जाता है और शुक्र के पुनः उदय होने पर ही इस प्रकार के कार्य पूर्ण किये जाते हैं। शुक्र मुख्य रूप से तो एक शुभ ग्रह है, लेकिन हर कुंडली के लिए ये शुभ नहीं होता। इसलिए देखना आवश्यक हो जाता है कि यह अस्त होकर कुंडली में किस स्थिति में विराजमान है।

यदि यह किसी कुंडली विशेष के लिए शुभ फल देने वाला ग्रह है तो इसके अस्त होने की स्थिति में इसके रत्न हीरा, ओपल अथवा जरकन को धारण करना किसी जानकार की सलाह पर उचित माना जाता है, लेकिन इसके विपरीत स्थिति होने पर रत्न धारण करने से बचना चाहिए और शुक्र के बीज मंत्र “ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः” का जाप करना चाहिए। ऐसा करने से न केवल शुक्र के अस्त प्रभावों में कमी आएगी बल्कि वह आपको और अधिक अनुकूल परिणाम देगा।

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