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Som Pradosh Vrat Date 2025: कब रखा जाएगा सोम प्रदोष व्रत, यहां से नोट करें डेट और शुभ मुहूर्त

Som Pradosh Vrat 2025 Date: सोम प्रदोष व्रत महादेव की उपासना और जीवन की सभी बाधाओं को दूर करने का सबसे उत्तम अवसर है। जो भक्त इस दिन श्रद्धा भाव के साथ त्रिपुरारी की पूजा करते हैं उनको सुख-समृद्धि और महादेव का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

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जयपुर

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Sachin Kumar

Jan 25, 2025

Som Pradosh Vrat Date 2025

Som Pradosh Vrat Date 2025: प्रदोष व्रत महादेव को समर्पित है। यह सोमवार के दिन पड़ता है। इस दिन विशेष रूप से भगवान शिव की आराधना की जाती है। इस लिए इस व्रत की महत्वता और अधिक बढ़ जाती है। प्रदोष व्रत के दिन व्रत करने से भक्तों को मानसिक शांति और शारीरिक बल की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं कब रखा जाएगा सोम प्रदोष व्रत और क्या है इसका महत्व?

प्रदोष काल का समय

प्रदोष व्रत हर महीने की त्रियोदशी तिथि को रखा जाता है। यह तिथि महीने में दो बार पड़ती है शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रदोष काल का शाम के समय सूर्यास्त होने से करीब 45 मिनट पहले और 45 मिनट बाद तक रहता है। इस समय को बहुत मंगलकारी और शिव कृपा प्रदान करने वाला माना जाता है।

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सोम प्रदोष व्रत का महत्व

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार प्रदोष काल के समय भगवान शिव कैलाश पर्वत पर रजत भवन में नृत्य करते हैं। वहीं सभी देवता उनके गुणों की प्रशंसा करते हैं। मान्यता है कि प्रदोष व्रत के दिन जो भक्त महादेव की उपासना करते हैं। उनसे भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।

इसलिए सोम प्रदोष व्रत भगवान शिव की विशेष कृपा पाने का दिन है। यह व्रत सभी प्रकार की समस्याओं और दुखों को दूर करता है। जिन लोगों की कुंडली में चंद्र दोष या अन्य ग्रह दोष हैं, उनके लिए यह व्रत अत्यंत लाभकारी माना गया है। इसके साथ ही, यह व्रत दांपत्य जीवन में मधुरता और प्रेम बढ़ाने में सहायक होता है।

सोम प्रदोष व्रत डेट और शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार माघ मास के कृष्ण पक्ष की त्रियोदशी तिथि 27 जनवरी दिन सोमवार को मनाया जाएगा। हालांकि प्रदोष काल की शुरुआत 26 जनवरी दिन रविवार को शाम के 08 बजकर 54 मिनट पर होगी। वहीं अगले दिन 27 जनवरी सोमवार को शाम 08 बजकर 34 मिनट पर संपन्न होगा। इसलिए 27 जनवरी 2025 को सोम प्रदोष व्रत रखा जाएगा।

सोम प्रदोष व्रत की पूजा विधि

प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा के सामने दीप प्रज्वलित करें।
शिव चालीसा और महामृत्युंजय मंत्र का पाठ करें।
संध्या के समय प्रदोष काल में भगवान शिव की विधिवत पूजा करें।
पूजा के बाद शिव आरती करें और प्रसाद वितरण करें।

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डिस्क्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारियां पूर्णतया सत्य हैं या सटीक हैं, इसका www.patrika.com दावा नहीं करता है। इन्हें अपनाने या इसको लेकर किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले इस क्षेत्र के किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।