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Ganesh Visarjan 2021: श्री गणेश प्रतिमा का विसर्जन क्यों? जानें इसके ​पीछे की पौराणिक कथा

श्री गणेश पुन: उनके दिव्य धाम के लिए होते हैं विदा

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प्रथम पूज्य श्री गणेश का सबसे प्रमुख पर्व गणेशोत्सव माना जाता है, इस दौरान लगातार 10 दिनों तक भक्त श्री गणेश की भक्ति में लगे रहते हैं। वहीं गणेशोत्सव के आखिरी दिन यानि अनंत चतुर्दशी को प्रथमपूज्य श्री गणेश का विसर्जन कई बार भक्तों के मन में कुछ प्रश्नों को उत्पन्न करता है। ऐसे में लोगों के मन में उठने वाले इन प्रश्नों के जवाब श्री गणेश की एक पौराणिक कथा में मिल जाते हैं।

इस संबंध में पंडित एके शुक्ला का कहना है कि एक पौराणिक कथा के अनुसार भगवान श्री गणेश को श्री वेद व्यास ने श्री गणेश को लगातार 10 दिन तक महाभारत कथा सुनाई थी, इस कथा का प्रारंभ गणेश चतुर्थी से किया गया, जिसे श्री गणेश जी ने अक्षरश: लिखा था।

कथा पूर्ण होने पर जब वेद व्यास जी ने 10 दिनों बाद आंखें खोली तो पाया कि श्री गणेश जी का तापमान बहुत अधिक हो गया है। यह देख वेद व्यास जी ने तुरंत गणेश जी को निकट के सरोवर में ले जाकर ठंडा किया। यह दिन चतुर्दशी का था, इसी कारण चतुर्थी को गणेश स्थापना कर चतुर्दशी को उनको शीतल किया जाता है।

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इसी पौराणिक कथा में यह भी है कि श्रीगणेश के शरीर के तापमान को और अधिक बढ़ने से रोकने के लिए उनके शरीर पर वेद व्यास जी ने सुगंधित माटी का भी लेप किया। वहीं इस लेप के सूखने से गणेश जी के शरीर में अकड़न आ गई और माटी झड़ने लगी।

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यह देखकर उन्हें शीतल सरोवर में ले जाकर पानी में उतारा गया। साथ ही इस दौरान 10 दिनों तक वेदव्यास जी ने श्री गणेश को मनपसंद आहार अर्पित किए तभी से श्री गणेश प्रतिमा का स्थापन और विसर्जन किया जाता है और 10 दिनों तक उन्हें उनका मनपसंद भोग लगाने की प्रथा है।

माना जाता है कि इसी के बाद से श्री गणेश की माटी की प्रतिमा को स्थापित कर 10 दिनों तक उन्हें खास प्रसाद चढ़ाकर उसी समय का स्मरण करते हुए उनका सम्मान किया जाता है। जबकि शीतल सरोवर में जिस तरह वेदव्यास जी ने उन्हें राहत दिलाई थी, उसी तरह से श्री गणेश को पुन: उनके दिव्य धाम के लिए विदा किया जाता है। माना जाता है कि गणेशोत्सव के दौरान श्री गणेश 10 दिन के लिए धरती पर आकर भक्तों की कामना की पूर्ति करते हैं।