अक्षय तृतीया पर उपनयन संस्कार करना चाहिए?
7 मई को अक्षय तृतीया है। कहा जाता है कि इस दिन सभी कार्य किए जा सकते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सोलह संस्कारों में एक उपनयन संस्कार किया जा सकता है। उपनयन संस्कार को सोलह संस्कारों में दसवां संस्कार कहा गया है।
उपनयन संस्कार को यज्ञोपवीत संस्कार भी कहा जाता है। इसे जनेऊ पहनाने का संस्कार कहा जाता है। कहा जाता है कि शादी होने से पहले जनेऊ धारण करना बहुत जरूरी होता है। ऐसे में सवाल उठता है कि अक्षय तृतीया पर उपनयन या यज्ञोपवीत संस्कार करना चाहिए या नहीं?
अक्षय तृतीया के दिन उपनयन संस्कार किया जा सकता है?
कहा जाता है कि अक्षय तृतीया के दिन उपनयन संस्कार यानि जनेऊ धारण नहीं करना चाहिए। क्योंकि यह अशुभ होता है। इसके लिए गरुड़ पुराण का हवाला दिया जाता है। लेकिन ऐसा है क्या?
दरअसल, अक्षय तृतीया पर उपनयन संस्कार किया जा सकता है लेकिन ये देखना बेहद ही जरुरी है कि उस वक्त कौन नक्षत्र चल रहा है। अगर उस वक्त कृतिका नक्षत्र चल रहा है तो किसी योग्य पंडित से पूछकर ही करना चाहिए।
माना जाता है कि उत्तरा, रेवती और अनुराधा में उपनयन संस्कार करना शुभ होता है। यही नहीं, जिसका भी उपनयन संस्कार किया जाता है, उसका चंद्र और गुरु बल भी देखा जाता है।
इस वर्ष सात मई (मंगलवार) को रोहिणी नक्षत्र है, तो इसलिए उपनयन संस्कार किए जा सकते हैं। इस दिन अक्षय तृतीया भी है।