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Adhikmass 2026: साल 2026 में कब से लगेगा अधिकमास, जानिए इसका नियम और महत्व

Adhikmass 2026: साल 2026 में अधिक मास लगने जा रहा है, इसलिए साल 2026, 12 महीने का नहीं 13 महीने का रहने वाला है। ऐसे में चलिए जानते हैं साल 2026 में अधिकमास कब से लगेगा और इसके नियम के बारे में।

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Adhikmass 2026

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Adhikmass 2026: हिंदू पंचांग के अनुसार जब सूर्य और चंद्र ग्रह अपनी चाल बदलते हैं, तो अधिकमास लगता है। सूर्य और चंद्रमा का लय के बदलने के कारण पंचांग में 12 महीने की जगह 13 महीना जुड़ जाता है। अधिकमास को पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है। अधिकमास हर ढाई से तीन साल के बीच में लगता है। इससे पहले अधिकमास 2023 के सावन महीने में लगा था। इस साल अधिक मास 2026 में लगने जा रहा है। अधिकमास का समय धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से बहुत ही खास माना जाता है। इस मास में भगवान विष्णु की भक्ति करना बहुत ही शुभ माना जाता है। आइए जानते हैं साल 2026 में कब लगेगा अधिकमास

साल 2026 में कब से लगेगा अधिकमास


वैदिक पंचांग के अनुसार साल 2026 में अधिकमास 17 मई 2026 से शुरू होकर 15 जून 2026 तक रहने वाला है। अधिकमास का पूरा महीना जप, तप और ध्यान करने के बहुत उत्तम माना गया है। इस मास में कोई भी मांगलिक कार्य नहीं होते हैं बस केवल भगवान की भक्ति की जाती है। ऐसा माना जाता है कि जब सारे मांगलिक कार्य को विराम दिया जाता है तब आध्यात्मिक चिंतन के लिए साधक के पास और अधिक समय होता है। अधिकमास पंचांग की गणितीय समायोजन में संतुलन बनाने के लिए बहुत जरूरी होता है।

अधिकमास के नियम


अधिकमास को मलमास या पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है। इस मास में किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य करने की मनाही होती है। इस समय में किसी भी प्रकार के शुभ कार्य को करने का कोई फल प्राप्त नहीं होता है। अधिकमास में पूजा- पाठ और ध्यान करना सबसे अच्छा माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि अधिकमास में एक दिन की जाने वाली पूजा का 100 गुण फल मिलता है, इसलिए ये महीना जप, तप के लिए सबसे उत्तम माना गया है।

अधिकमास का महत्व


हिंदू धर्म में अधिकमास को बहुत ही पवित्र माना गया है। यह मास भगवान विष्णु को समर्पित होता है, इसलिए इसे पुरुषोत्तम मास भी कहते हैं। ऐसा माना जाता है कि अधिकमास में जप, तप और भगवान विष्णु की पूजा का साधक को दौगुना फल मिलता है। इस महीने में दान पुण्य करना भी अच्छा माना जाता है। इस मास भगवान विष्णु की पूजा करने से और उनके मंत्रों का जाप करने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है और उसकी आध्यात्मिक उन्नति होती है।

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