
Meaning of Sanatan Dharma : सनातन धर्म का असली अर्थ: सत्य, विज्ञान और शाश्वत परंपरा का संगम (फोटो सोर्स: AI image@Gemini)
Meaning of Sanatan Dharma : "सनातन" ये शब्द ही अपने आप में समय से परे है। लोग आमतौर पर इसे बस एक धर्म समझ लेते हैं, लेकिन सच कहें तो, सनातन धर्म तो वो शाश्वत व्यवस्था है जिसका कोई शुरूआत नहीं, कोई अंत नहीं। ये भारत की प्राचीन वैदिक संस्कृति का असली अक्स है—हज़ारों सालों से इंसान को ‘सत्य’ की राह पर चलने की सीख देता आया है। दुनिया की ज़्यादातर सभ्यताओं का इतिहास कुछ सदियों में सिमट जाता है, लेकिन सनातन की जड़ें वेदों के वैज्ञानिक ज्ञान में हैं, जो हर कण में बसा हुआ है। अब चलिए, जानते हैं ज्योतिषी डॉ अनीश व्यास से कि आखिर क्यों सनातन धर्म आज भी आधुनिक विज्ञान और इंसानियत के लिए सबसे प्रासंगिक और सटीक जीवन दर्शन है।
‘सनातन’ शब्द सीधा-सीधा भारत की प्राचीन वैदिक संस्कृति से जुड़ा है। यही वो संस्कृति है, जो भारत की सबसे पुरानी परंपरा और आस्था की जड़ है। इसी में छुपे ज्ञान को सच्चा ज्ञान कहते हैं वो जो हमेशा के लिए है, अडिग है, जिसे ‘सत्य’ या ‘सनातन’ कहते हैं। सनातन का मतलब ही होता है जो हमेशा था, हमेशा है, और हमेशा रहेगा। जो कभी मिटता नहीं, हमेशा के लिए है, वही असली ‘सनातन’ है।
दुनिया की हर संस्कृति में, भारतीय वैदिक संस्कृति सबसे पुरानी है। इसी से निकला सबसे पुराना धर्म है सनातन धर्म। इसके अनुयायी आज भी खुद को ‘सनातन’ मानते हैं। ‘सनातन’ शब्द अपने आप में बहुत बड़ा है। दुनिया में दो बड़ी सोचें चलती हैं आस्तिक और नास्तिक। आस्तिक वो जो ईश्वर में यकीन रखते हैं, मानते हैं कि ब्रह्मांड भी उसी ने बनाया। दूसरी तरफ, नास्तिक हैं, जो मानते हैं कि ये सब खुद-ब-खुद हुआ है, ईश्वर जैसी कोई चीज नहीं। आस्तिक भी अलग-अलग धर्मों और मान्यताओं में बंटे हैं, लेकिन सबकी आस्था एक ही ईश्वर में है भले ही रास्ते अलग हों। फिर भी, हर धर्म या विचारधारा के मूल में कहीं न कहीं वही सनातन वाला सच या विश्वास झलकता है। शायद इसी वजह से, आज भी सनातन के अनुयायी इसे कभी ना खत्म होने वाला धर्म मानते हैं, जिसे ईश्वर ने ही बनाया है।
आज दुनिया में जितनी भी सभ्यताएं या संस्कृतियाँ हैं, उनका इतिहास बस दो-तीन हजार साल का है। अगर आप सबका इतिहास देख लें, तो भारत की संस्कृति सबसे पुरानी निकलती है। खास बात ये है कि सनातन संस्कृति के पास कोई एक किताब नहीं है, न ही कोई एक पैगंबर या दूत है। यहां सैकड़ों ग्रंथ, किताबें, पांडुलिपियां हैं, जो पूरी सृष्टि, समय, भूत-भविष्य, सब कुछ समझाती हैं। यही नहीं, पूजा-पाठ, त्योहार, व्रत, कहानियां ये सब लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए बनाए गए हैं, और इनके पीछे भी विज्ञान छुपा है। दरअसल, सनातन संस्कृति का ज्ञान एकदम वैज्ञानिक है, बहुत गहरा और फैला हुआ।
इसका सबसे बड़ा आधार वेद हैं। वेदों में सृष्टि के बनने से लेकर उसके अंत तक का सब कुछ है। बाकी ग्रंथ, महाकाव्य, कविताएं ये सब भी इंसान और समाज के अलग-अलग दौर की घटनाएं बताते हैं, और एक आदर्श जीवन की मिसाल पेश करते हैं। ये बातें सिर्फ धार्मिक ही नहीं, वैज्ञानिक और प्रैक्टिकल भी हैं। आज के वैज्ञानिक और विद्वान भी इन्हीं नियमों और सिद्धांतों पर रिसर्च कर रहे हैं, और नई-नई बातें निकल कर सामने आ रही हैं। आप अखबार, किताब, या सोशल मीडिया में पढ़ते रहते हैं। सब इसी ज्ञान की वजह से है। सनातन का ज्ञान ही असली ज्ञान है।
असल में, सनातन संस्कृति कोई आम संस्कृति या धर्म नहीं है। ये सच्ची संस्कृति और असली धर्म है, जो सीधा, सच्चा और शाश्वत है। जैसे सच हर हाल में सच रहता है, वैसे ही सनातन का ज्ञान हर दौर में टिकता है। वक्त, जगह, हालात बदल जाएं, सच नहीं बदलता और इसी वजह से सनातन को शाश्वत मानते हैं। सच का मतलब ही शाश्वत है, वो कभी अपनी असलियत नहीं छोड़ता।
चाहे ये कितना भी पुराना क्यों न हो, अगर आज हम कह दें कि सनातन ही दुनिया के हर धर्म, परंपरा और संप्रदाय की जननी है, तो इसमें कोई बढ़ा-चढ़ाकर बोलना नहीं है। सनातन हमेशा से सच्चे सिद्धांतों पर टिका है, और इसके सिद्धांत हमेशा सच रहेंगे। ये किसी एक जाति, धर्म, या समाज के लिए नहीं, बल्कि पूरे इंसानियत के लिए है। सबके भले के लिए, बिना किसी भेदभाव के, एक सुंदर और सुव्यवस्थित जीवन जीने के लिए।
ज्योतिषी डॉ अनीश व्यास
Published on:
25 Dec 2025 02:37 pm
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