
Vinayak Chaturthi 2024
Vinayak Chaturthi 2024: हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर चंद्र मास में दो चतुर्थी तिथि पड़ती हैं। ये तिथि भगवान गणेश की की पूजा अर्चना के लिए समर्पित हैं। इसमें शुक्ल पक्ष की चतुर्थी विनायक चतुर्थी के नाम से जानी जाती है। इस व्रत के पालन में विनायक चतुर्थी व्रत कथा पढ़ना भी आवश्यक है। विनायक चतुर्थी की कथा के बिना व्रत अधूरा माना जाता है। आइये पढ़ते हैं विनायक चतुर्थी व्रत की कथा...
आज कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा की जा रही है। चतुर्थी व्रत रखने वाले भक्त रात में भगवान गणेश की पूजा और चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत पूरा करते हैं। मान्यता है कि भगवान गणेश की पूजा में विनायक चतुर्थी व्रत की कथा जरूर पढ़नी चाहिए। आइये पढ़ते हैं विनायक चतुर्थी व्रत की कथा ..
प्राचीन कथा के अनुसार एक बार भगवान शिव और माता पार्वती नर्मदी नदी के तट पर बैठकर चौसर खेल रहे थे। लेकिन इस खेल में हार जीत कौन तय करेगा, यह सवाल उनके सामने उठा। इस पर शिव जी ने हार जीत का फैसला करने के लिए एक पुतले का निर्माण किया। भगवान महादेव ने उस बालक से कहा कि खेल संपन्न होने के बाद वही विजेता का फैसला करे। इस प्रकार महादेव और देवी पार्वती खेलने लगे और इस खेल में देवी पार्वती जीत गईं। लेकिन बालक ने भगवान शिव को विजेता घोषित किया। इससे देवी पार्वती को गुस्सा आ गया और उन्होंने बालक को विकलांग होने का श्राप दे दिया।
इसके बाद बालक ने देवी पार्वती से माफी मांगी और कहा कि यह गलती से हो गया। फिर पार्वती देवी ने कहा कि श्राप को तो वापस नहीं किया जा सकता, लेकिन इस श्राप से बचने का एक समाधान है। बालक ने पूछा क्या समाधान है? देवी पार्वती ने कहा कि नाग कन्याएं भगवान गणेश जी की पूजा करने आएंगी, तुम्हे उनके बताए अनुसार व्रत करना होगा। इससे तुम श्राप से मुक्त हो जाओगे। इसके बाद बालक कई वर्ष तक श्राप से पीड़ित रहा और एक दिन नाग कन्याएं भगवान गणेश की पूजा करने आईं।
बालक ने उनसे गणेश जी की व्रत विधि पूछी। इस प्रकार बालक ने सच्चे मन से भगवान गणेश के निमित्त व्रत का पालन किया, जिससे भगवान गणेश प्रसन्न हुए और उससे वरदान मांगने को कहा। बालक ने भगवान गणेश से प्रार्थना की कि, हे विनायक, मुझे इतनी शक्ति दें कि मैं कैलाश पर्वत तक पैदल चल सकूं। भगवान गणेश ने बालक को आशीर्वाद दिया। बाद में बालक ने श्राप से मुक्त होने की कथा कैलाश पर्वत पर महादेव को सुनाई।
इधर, चौसर के दिनों से ही माता पार्वती भगवान शिव से रूष्ट हो गईं थीं। बालक की सलाह के अनुसार, भगवान शिव ने भी 21 दिनों तक भगवान गणेश के लिए व्रत रखा। व्रत के प्रभाव से माता पार्वती का महादेव के प्रति क्रोध समाप्त हो गया। इसके बाद से गणेशजी के व्रत में यह कथा सुनी और सुनाई जाने लगी।
डिस्क्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारियां पूर्णतया सत्य हैं या सटीक हैं, इसका www.patrika.com दावा नहीं करता है। इन्हें अपनाने या इसको लेकर किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले इस क्षेत्र के किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।06:28 PM
Published on:
05 Nov 2024 01:56 pm
बड़ी खबरें
View Allधर्म-कर्म
धर्म/ज्योतिष
ट्रेंडिंग
