
vinayak chaturthi in sawan
Vinayak Chaturthi : भगवान श्री गणेश की पूजा की तिथि चतुर्थी हर माह 2 बार आती है। इस तरह साल में यह 24 बार आती है। दरअसल ये चतुर्थी दोनों पक्षों में अलग अलग नामों से जानी जाती हैं। ऐसे में हर माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली चतुर्थी विनायक चतुर्थी व्रत कहलाती है।
पुराणों के मुताबिक जहां शुक्ल पक्ष की चतुर्थी विनायक/विनायकी तो वहीं कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी गणेश चतुर्थी कहते हैं। इसके अलावा यदि संकष्टी चतुर्थी मंगलवार को पड़ती है तो यह अंगारक गणेश चतुर्थी कहलाती है।
ऐसे में इस बार यानि सावन में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी यानि विनायक चतुर्थी गुरुवार 12 अगस्त को विनायक चतुर्थी पड़ रही है। यह तिथि 11 अगस्त 2021 को 04:53 PM से शुरु होकर 12 अगस्त 2021 को 03:24 PM तक रहेगी।
मान्यता के अनुसार सभी कष्टों से मुक्ति के साथ ही सभी मनोकामनापूर्ति के लिए इस दिन श्रद्धा विश्वास सहित नियमों के अनुसार व्रत रखना चाहिए।
वहीं कई जगहों पर विनायक चतुर्थी को 'वरद विनायक चतुर्थी' भी कहा जाता है। इस दिन श्री गणेश की पूजा मध्याह्न में की जाती है। जानकारों के अनुसार इस दिन श्री गणेश की पूजन-उपासना व अर्चना करना अत्यंत लाभदायी होता है। माना जाता है कि ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि, धन-दौलत, आर्थिक संपन्नता के अलावा ज्ञान और बुद्धि की भी प्राप्ति होती है।
विनायक चतुर्थी मूल रूप से भगवान गणेश की पूजा अर्चना के लिए होती है जो कि अमावस्या के बाद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनायी जाती है, ऐसे में इस बार सावन की विनायक चतुर्थी गुरुवार,12 अगस्त को रहेगी।
विनायकी चतुर्थी व्रत:
इस दिन ब्रह्म मूहर्त में उठकर स्नानादि नित्य कर्म से निवृत्त होकर लाल रंग के कपड़े पहनने चाहिए। इस समय यदि आप व्रत करना चाहते हैं तो व्रत का संकल्प भी लें। लेकिन ध्यान रहे अपनी शक्ति हो तो ही उपवास का संकल्प लें।
इसके बाद दिन के समय पूजन के दौरान अपनी सामर्थ्य के अनुसार सोने, चांदी, पीतल, तांबा, अथवा मिट्टी से निर्मित गणेश की प्रतिमा की स्थापना करनी चाहिए। फिर पूजा शपथ/संकल्प के बाद श्री गणेश की आरती षोडशोपचार पूजन के बाद करें।
जिसके बाद श्री गणेश की मूर्ति पर सिन्दूर लगाएं, और फिर गणेश का प्रिय मंत्र- 'ॐ गं गणपतयै नम:' बोलते हुए उन्हें 21 दूर्वा दल अर्पित करें। भोग के रूप में श्री गणेश को बूंदी के एक्कीस लड्डुओं चढ़ाते हुए श्री गणेश के समक्ष रखें, फिर इनमें से पांच लड्डुओं का ब्राह्मण को दान कर दें और पांच लड्डू श्री गणेश के चरणों में रखने के पश्चात बाकी लड्डुओं को प्रसाद के रूप में बांट दें।
इस समय पूजन के दौरान श्री गणेश स्तोत्र, अथर्वशीर्ष, संकटनाशक गणेश स्त्रोत का पाठ अवश्य करना चाहिए। जिसके पश्चात ब्राह्मण को भोजन कराएं और फिर सामर्थ के अनुसार उसे दक्षिणा दें। और यदि उपवास का संकल्प नहीं लिया है तो शाम के समय खुद भी भोजन ग्रहण करें।
सांय काल में गणेश चतुर्थी कथा, श्रद्धानुसार गणेश स्तुति, श्री गणेश सहस्रनामावली, गणेश चालीसा, गणेश पुराण आदि का श्रवण करें। संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ करके श्री गणेश की आरती करें जिसके बाद 'ॐ गणेशाय नम:' मंत्र की माला जपें।
Published on:
03 Aug 2021 09:19 pm
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