विष्णुजी ने शिवजी को दान किया नेत्र (Vishnuji Ne Shivji Ko Daan Kiya Netra)
धार्मिक कथाओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि धरती पर असुरों का अत्याचार इतना बढ़ गया कि देवताओं में भय पैदा हो गया। राक्षसों के अत्याचार से परेशान होकर देवताओं ने भगवान विष्णु से इसके निदान की प्रार्थना की। जिसके बाद भगवान विष्णु ने शिव को प्रसन्न करने के लिए घोर तपस्या शुरू की। उन्होंने मंत्रोच्चारण के साथ शिवलिंग पर कमल का पुष्प चढ़ाना शुरू कर दिया। भगवान विष्णु शिव का नाम लेते और नाम साथ कमल एक फूल चढ़ाते। कहते हैं कि भगवान विष्णु ने शिव को एक हजार कमल पुष्प चढ़ाने का संकल्प किया था। लेकिन जब शिव जी ने विष्णु भगवान की परीक्षा लेनी चाही तो वह विष्णु जी के समक्ष पहुंचे और उन्होंने एक पुष्प चुरा लिया। विष्णु भगवान अपने तपस्या में लीन थे और उनको इस बात की कोई भनक नहीं लगी। लेकिन जब विष्णु भगवान ने शिवजी का आखिरी नाम जपा तो उनके पास कोई भगवान शिव को चढ़ाने के लिए फूल नहीं था। अगर विष्णु जी फूल नहीं चढ़ाते तो उनकी तपस्या भंग हो जाती। इसलिए भगवान विष्णु न किसी बात का संकोच किए बिना ही अपनी आंख निकाल कर शिवजी को अर्पित कर दी।
शिव ने दिया वरदान (Shiv Ne Diya Vardan)
यही कारण है कि भगवान विष्णु का नाम कमल नयन पड़ा। कहते हैं कि शिव ने ऐसा भगवान विष्णु की परीक्षा लेने के लिए किया। तपस्या से खुश होकर महादेव ने भगवान विष्णु को तीनों लोगों के पालन की जिम्मेदारी सौंपी और सुदर्शन चक्र प्रदान किया। जिसके बाद विष्णुजी ने सुदर्शन चक्र से असुरों का संहार कर देवताओं को भय से मुक्त किया। ये भी पढ़े – Vishweshwar Katha: भगवान शिव को क्यों प्रिय है विश्वेश्वर व्रत जानिए इसकी कथा डिस्क्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारियां पूर्णतया सत्य हैं या सटीक हैं, इसका
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