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Hanuman Ji Forget His Powers: क्यों भूल गए थे हनुमान जी अपनी शक्ति, फिर कैसे पार किया समुद्र

Hanuman Forget His Powers: हनुमान जी को बल, बुद्धि और विद्या के प्रतीक माने जाते हैं। वह भगवान श्रीराम के परम भक्त हैं। लेकिन वह भी अपनी एक गलती की वजह से अपनी सारी शक्तियां भूल गए थे।

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जयपुर

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Sachin Kumar

Dec 16, 2024

Hanuman Ji Forget His Powers

Hanuman Ji Forget His Powers

Hanuman Forget His Powers: हिंदू धर्म में रामायण बहुत ही रोचक और रहस्यमयी ग्रंथ है। इसका प्रत्येक प्रसंग मानव जीवन के लिए प्रेरणा स्रोत माना गया है। इसमें हनुमान जी का विशेष योगदान और एक भक्त का भगवान के प्रति समर्पण दिखाया गया है। वहीं हनुमान जी बल, बुद्धि और विद्या के प्रतीक माने जाते है। लेकिन रामायण में एक ऐसा प्रंसग आता है जब हनुमान जी अपनी सारी शक्तियां भूल जाते हैं। लेकिन क्या ये सच है? आइए यहां जानते हैं।

सूर्य को फल समझकर खाने का प्रयास

धार्मिक कथाओं के अनुसार जब हनुमान जी बाल्यावस्थ में थे, तब से ही उनमें अपार बल और ऊर्जा थी। मान्यता है कि वह एक बार सूरज को फल समझ कर उसे खाने के लिए आसमान में उड़ गए थे। जब यह बात देवताओं को पता चली तो वह अपनी चिंता लेकर इंद्र के पास गए।

इंद्र देव ने वज्र से किया था प्रहार

इसके बाद इंद्रदेव ने अपनी वज्र से हनुमान जी पर प्रहार किया। जिससे हनुमान जी मूर्छित होकर धरती पर गिर पड़े। जब यह बात हनुमान जी के पिता वायु देव को पता चली तो वह बहुत क्रोधित हुए और उन्होंने समस्त भूमंडल की वायु का प्रवाह रोक दिया। जिससे पूरे संसार में त्राहिमान मच गया और सांस लेना मुश्किल हो गया।

हनुमान जी को देवता और ऋषियों ने दिया था श्राप

इसके बाद सभी देवता हनुमान जी के पास गए और उन्हें शीघ्र स्वस्थ होने का वरदान दिया। लेकिन हनुमान जी की अत्यधिक ऊर्जा और शक्ति को नियंत्रित करने के लिए देवताओं और ऋषि-मुनियों ने उन्हें श्राप दिया था कि अपनी शक्ति भूल जाएंगे। जब उन्हें कोई उनकी शक्तियों को याद कराएगा तब ही उनको अपनी शक्ति याद आएगी।

जामवंत ने दिलाई हनुमान शक्ति की याद

रामायण के अनुसार जब हनुमान जी को लंका जाने के लिए समुद्र पार करने की चुनौती आई, तब जामवंत जी ने उन्हें उनकी अपार शक्तियों को याद कराया था। इसके बाद जब हनुमान जी को अपनी शक्तियों का एहसास हुआ कि वे कितने बलशाली और शक्तिशाली हैं, तो उन्होंने विशाल छलांग लगाकर 100 योजन समुद्र पार किया और सीता माता की खोज की।

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