
मेन्युफेक्चरिंग और बिना एक्सपायरी तिथि अंकित खाद्य पदार्थ बिक रहे धड़ल्ले से
नियमानुसार बैच नंबर सहित मेन्युफेक्चरिंग और बिना एक्सपायरी तिथि जरूरी
बाजारों में कई खाद्य पदार्थ ऐेसे जिन पर नहीं कंपनी तक का नाम
जिम्मेदार नहीं करते समय-समय पर जांच, जिस कारण बढ़ता काला बाजार
धौलपुर. ज्यादा मुनाफा कमाने के चक्कर में मासूमों की जान से खिलवाड़ जारी है। शहर से लेकर देहातों तक अमानक खाद्य पदार्थों की बिक्री जोरों पर हैं। जिन पर न तो मेन्युफेक्चरिंग और न ही एक्सपायरी तिथि अंकित होती है और तो और कई उत्पाद तो ऐसे हैं जिन पर कंपनी तक का नाम अंकित नहीं होता। जो कि सरासर खाद्य अधिनियम कानून का उल्लंघन है। ऐसा नहीं है जिम्मेदरों को इसकी जानकारी न हो, लेकिन सब देखकर भी ऐसे अमानकों पर कोई कार्रवाई नहीं होती।शहर से लेकर देहात में अमानक खाद्य पदार्थों का गोरख धंधा खूब फल फूल रहा है। चाय की टपरी हो या फिर होटल या फिर किराना सेंटर यहां यह अमानक खाद्य पदार्थों सहित पेय पदार्थ आसानी से मिल जाएंगे। इन पैकिंग खाद्य सामग्रियों पर न तो मेन्युफेक्चरिंग तिथि और न ही एक्सपायरी तिथि अंकित होती है। खास बात यह है कि स्नैक्स बनाने वाले व्यापारी जो पैक बंद सामान बच्चों के लिए तैयार करते हैं। जगह-जगह होटलों एवं किराना दुकानों पर साधारण पॉलीथिन में नमकीन के पैकेट बिक रहे है। पैकेट पर न मेन्यूफेक्चरिंग और न ही एक्सपायरी डेट अंकित हैं, जब विके्रताओं से उक्त सामग्री बनाने वाली कंपनी और उसकी निर्माण की डेट पूछी जाती है तो दुकानदार अपनी सफाई देकर मामले में लीपा पोती कर देता है, जबकि खाद्य अधिनियम कानून के अनुसार ऐसे उत्पादों पर बैच नंबर, सहित मेन्यूफेक्चरिंग और न ही एक्सपायरी डेट अंकित होना अनिवार्य है। इस नमकीन के पैकेट कंपनी या फेरी वालों से खरीदने पर दुकानदारों को कम लागत में ही दोगुना मुनाफा हो जाता है। बिना ब्रांड के नमकीन के पैकेट 50 से 70 रुपए में उपलब्ध हो जाते हैं जिसे दुकानदार 150 से 180 रुपए तक बेचकर कम लागत में मुनाफे का धंधा कर रहे हैं। साथ ही इससे लोगों की सेहत से भी खिलवाड़ किया जा रहा है।
शहर से देहातों से दर्जनों फैक्ट्रियां संचालित
जानकारी के अनुसार शहर से लेकर देहात तक में दर्जनों छोटी और बड़ी खाद्य पदार्थों की फैक्ट्रियों का संचालन किया जाता है। जो नमकीन की विभिन्न वैरायटियों सहित तरह-तरह के पेय पदार्थों का भी निर्माण करते हैं। इनमें सेव, चूड़ा, मूंगफली सहित तरह-तरह के उत्पाद शामिल होते हैं। जिन्हें पैक्ड और खुले रूप से बेचा जाता है। जिन पर किसी भी प्रकार की कोई जानकारी तक अंकित नहीं होती। देखा जाए तो नमकीन के पैकेड की 3 से 4 माह तक एक्सपायरी मानी जाती है, लेकिन यह उत्पाद इतना समय होने के बाद भी बाजारों में बेचे जाते हैं।
क्या है सजा का प्रावधान
मिलावट का काला धंधा आज से नहीं अपितु लगातार बदस्तूर जारी है। जिसके लिए समय-समय पर कानून भी इजाद किए गए, लेकिन कानून का धता बताकर गोरखधंधा करने वालों की काली करतूत जारी है। मिलावट के खिलाफ कानून को कठोर बनाने के लिए आइपीसी की धाराओं के तहत उम्र कैद का प्रावधान जोड़ा गया। इसके बाद कई अधिकारी आते गए उनका ध्यान इसे लागू करवाने पर रहा ही नहीं। अब ये प्रावधान केन्द्र में भी लंबित है। अब भारतीय न्याय संहिता लागू होने के बाद आइपीसी के प्रावधान लागू होने में भी समस्या खड़ी हो गई है।
जानकारी अंकित न होने से नहीं पता चलती असलियत
ज्यादातर देखने में आया है कि बाजारों में डब्बा बंद पेय पदार्थ के साथ खाद्य सामग्री लोकल स्तर से भी तैयार कर बाजारों में बेचे जा रहे हैं। जिनमें भी न तो कोई मेन्युफेक्चरिंग डेट अंकित होती है और न ही एक्सपायरी डेट और तो इनमें प्रोडक्ट को लेकर भी किसी भी प्रकार की कोई जानकारी तक भी अंकित नहीं होती, जबकि प्रोडक्ट के पैकेड पर यह जानकारी उपलब्ध कराना जरूरी होती है। ऐसी स्थिति में ग्राहकों को यह पता चल पाता है कि खास पदार्थ का निर्माण कर किया गया और कब यह पदार्थ एक्सपायर हो चुका है। ऐसी स्थिति में इसका सेवन करने से लोगों की जान के साथ खिलवाड़ लगातार जारी है, लेकिन सब कुछ देखकर भी जिम्मेदार इस ओर कतई ध्यान नहीं देतेे।
Published on:
28 Dec 2025 06:15 pm
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