
भूूमाफियाओं को ‘अभयदान’ दे गए चांदना, बोले- नहीं करें 177 की कार्रवाई
भूूमाफियाओं को ‘अभयदान’ दे गए चांदना, बोले- नहीं करें 177 की कार्रवाई
- अनियोजित कॉलोनियों में होगा इजाफा
- मंगलवार को जिले के दौरे पर रहे थे प्रभारी मंत्री
- चर्चा में मंत्री का विवादित आदेश
नितिन भाल
#MinisterAshokChandnanews: धौलपुर. जिले के प्रभारी मंत्री अशोक चांदना का एक विवादित निर्देश भूमाफियाओं के लिए वरदान साबित हो सकता है। दरअसल, चांदना ने मंगलवार को कलक्ट्रेट में आयोजित विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ आयोजित बैठक में धारा 177 में कार्रवाई नहीं करने के निर्देश दिए। धारा 177 की कार्रवाई नहीं होने पर कृषि भूमि पर गैर कृषि कार्य धड़ल्ले से हो सकेंगे। अनियोजित निर्माण को बढ़ावा मिलेगा और भूमाफियाओं की पौ-बारह होगी। अवैध कॉलोनियों के निर्माण से लोगों को भी परेशानी का सामना करना पड़ेगा। ऐसे में प्रभारी मंत्री के इस विवादित बयान को लेकर चर्चाओं का दौर रहा।
यह कहा चांदना ने
सरकारी प्रेसनोट के मुताबिक मंत्री ने अधिकारियों को धारा 177 की कार्रवाई नहीं करने के निर्देश दिए। चांदना ने कहा कि कुछ धाराएं लोगों को गलत कार्य करने से रोकने के लिए बनाई गई हैं। वहीं, कुछ धाराएं सुशासन को प्रभावी करने के लिए होती हैं। प्रशासन यह सुनिश्चित करे कि कानून का उपयोग आमजन को राहत पहुंचाने के लिए हो न कि उन्हें धाराओं में उलझाकर परेशान करने के लिए हो। सभी अधिकारी मानवीय दृष्टिकोण रखते हुए कार्य किया जाना सुनिश्चित करें।
सुप्रीम कोर्ट जता चुका चिंता
सुप्रीम कोर्ट ने गत वर्ष अप्रेल में कहा था कि देश भर में कुकुरमुत्ते की तरह अवैध कॉलोनियों के फैलने से शहरी विकास के रास्ते में बड़ा खतरा हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकारों के पास इस तरह की अवैध कॉलोनियों से निपटने और उसे बनने देने से रोकने के लिए एक समग्र प्लान की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एल. नागेश्वर राव की अगुवाई वाली बेंच ने यह बात कही थी।
जांच-पड़ताल कर लें प्लॉट
ग्राहकों को प्लॉट खरीदते समय आवासीय कॉलोनी के बारे में जांच पड़ताल कर लेना बेहद जरूरी है। क्योंकि यदि अवैध कॉलोनी में प्लॉट खरीदकर मकान बनाना शुरू कर दिया तो उस पर कार्रवाई होने का डर बना रहेगा। साथ ही इस कॉलोनी में बिजली, सडक़ और पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए भी वर्षों इंतजार करना पड़ेगा और भूखंड का पट्टा भी नहीं मिल पाएगा।
ये होती है प्रक्रिया
- कृषि भूमि के गैरकृषि उपयोग की प्रक्रिया होती है। इससे नगर निकायों को राजस्व मिलता है।
- इसके बाद कॉलोनी का ले आउट प्लान तैयार होता है।
- नक्शा जारी होने के बाद भूखंडों का बेचान किया जा सकता है। पट्टे जारी होने पर भी निकायों को राजस्व मिलता है।
- नक्शे में यह बताया जाता है कि कॉलोनी में कहां भूखंड हैं और कहां सडक़ है। सुविधा क्षेत्र से लेकर पार्क तक का जिक्र होता है।
- निकायों को जो राजस्व प्राप्त होता है, उससे यहां भविष्य में सुविधाएं विकसित की जाती हैं।
आती हैं यह परेशानियां
- सडक़ों की चौड़ाई कम होती है।
- सुविधा क्षेत्र नहीं छोड़ा जाता, सिर्फ नक्शे में ही दिखाया जाता है।
- निर्माण अव्यवस्थित होता है। बिल्डिंग बॉयलॉज के अनुरूप कुछ भी नहीं होता।
कृषि भूमि पर गैर कृषि कार्य
जिले में कृषि भूमि पर गैर कृषि कार्य के धड़ल्ले से हो रहा है। हाइवे के किनारे कृषि भूमि पर कई होटल-ढाबे संचालित हैं। बड़ी संख्या में ईंट-भट्टों भी कृषि भूमि पर संचालित हो रहे हैं। इसके अलावा बेतरतीब तरीके से कृषि भूमि पर अवैध कॉलोनियां भी काटी जा रही हैं।
यह है राजस्थान काश्तकारी अधिनियम 1955
यह सिर्फ कृषि भूमियों पर लागू होता है तथा इसमें कृषकों के अधिकारों के बारे मे बताया गया है। यह काश्तकारो के हितों को संरक्षित करता है, यह 15 अक्टूबर 1955 से सम्पूर्ण राजस्थान में लागू किया गया।
यह है धारा 177
राजस्व जानकारों के एडवोकेट निशांत भार्गव के मुताबिक, कृषि भूमि पर गैर कृषि कार्य करने पर पटवारी की रिपोर्ट पर तहसीलदार की ओर से एसडीएम कोर्ट में वाद दायर किया जाता है। धारा 177 के तहत उस जमीन को सिवायचक में दर्ज कर लिया जाता है। मतलब वह जमीन सरकारी हो जाती है।
इनका कहना है
प्रभारी मंत्री का आशय धारा 177 की कार्रवाई कर लोगों को गैर वाजिब परेशान नहीं करने से था। मंत्री का कहना था कि धाराओं का उपयोग लोगों की भलाई में हो। कृषि भूमि पर अगर अवैध कॉलोनी काटने या अन्य को गैर कृषि कार्य की शिकायत आएगी तो कार्रवाई जरूर की जाएगी।
- अनिल कुमार अग्रवाल, जिला कलक्टर, धौलपुर
Published on:
12 Jan 2023 04:29 pm
बड़ी खबरें
View Allधौलपुर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
