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परिवारिक संस्कार व संस्कृति ने दिया मुकाम, मचाई अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धूम

परिवारिक संस्कार और संस्कृति न केवल परिवार और समाज को चलाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देती हैं, बल्कि के वह ऐसे मुकाम भी स्थापित कर देती हैं। जो देश के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है। ऐसा ही बसेड़ी कस्बे के घड़ी तिमसिया में 7 अप्रेल पिछले से श्रीमद् भागवत कथा एवं ज्ञान कार्यक्रम प्रवचन कर रही आध्यात्मिक श्रीमद् भागवत कथा प्रवक्ता देवी निधि सारस्वत एवं नेहा सारस्वत ने कर दिखाया है।

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परिवारिक संस्कार व संस्कृति ने दिया मुकाम, मचाई अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धूम Family values ​​and culture gave it a place and created a buzz at the international level

- निधि और नेहा दोनों बहनें करती भागवत कथा

- दादाजी बोले- गीता के १० श्लोक याद करना, बहनों ने २० किए कंठत्थ

dholpur, बसेड़ी. परिवारिक संस्कार और संस्कृति न केवल परिवार और समाज को चलाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देती हैं, बल्कि के वह ऐसे मुकाम भी स्थापित कर देती हैं। जो देश के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है। ऐसा ही बसेड़ी कस्बे के घड़ी तिमसिया में 7 अप्रेल पिछले से श्रीमद् भागवत कथा एवं ज्ञान कार्यक्रम प्रवचन कर रही आध्यात्मिक श्रीमद् भागवत कथा प्रवक्ता देवी निधि सारस्वत एवं नेहा सारस्वत ने कर दिखाया है।

पत्रिका से बातचीत में बताया जिला अलीगढ़ के पास उदयपुरा गांव में सामान्य परिवार में उनका जन्म हुआ। उस समय उनकी 7 साल की उम्र थी तो उन्होंने अपने परिवार में देखा कि उनके दादाजी भगवान स्वरूप शर्मा सत्संग प्रेमी थे, घर में रात्रि को प्रतिदिन 1 घंटे सत्संग होना आवश्यक था। उसे होने वाले संगीत, सत्संग में हम भी शामिल होते थे। एक दिन गांव के पास ही दूसरा गांव सहारनपुर में सत्संग के आयोजन में दादाजी हमें साथ लेकर गए। वह सत्संग प्रेमियों ने भगवत गीता क 10 श्लोक याद करने के लिए दिए, दूसरे दिन जब हम वहां पहुंचे तो हम 20 श्लोक याद करके ले गए। उन्होंने इसको देखकर आश्चर्य किया। साथी आगे बढ़ाने के लिए भी हमारे दादाजी को कहा धीरे-धीरे सत्संग की एक शुरुआत हुई।

१२ साल की उम्र में बैठी व्यास गद्दी परपारिवारिक संस्कार के चलते धीरे-धीरे जहां भी सत्संग के लिए हमें बुलाते हम पहुंचते थे। वर्ष 2007 में कक्षा 9वीं क्लास में पढ़ती थी, उसी समय परिवार के लोग उदयपुरा गांव छोडक़र जिला अलीगढ़ में पहुंच गए और वहां भी सत्संग से ही पहचान मिली। 12 साल की उम्र में आध्यात्मिक वक्ता के रूप में व्यास गद्दी पर बैठी। उन्होंने बताया कि इस सब के पीछ पीछे दादाजी के सथ.साथ पिता विनोद शर्मा का भी पूरा सहयोग रहा। साथ में पढ़ाई भी चलती रही। वर्तमान में आध्यत्मिक श्रीमद्भगवत कथा प्रवक्ता के रूप में प्रवचन कर रही हू। साथ बहन नेहा सारस्वत प्रवचन के साथ-साथ संगीत में भी अपना नाम रोशन कर चुकी है। एक सगीत कंपनी में भी उन्हें गाने का मिल चुका है। अब तक 100 से अधिक श्रीमद् भागवत कथा का प्रवचन कर चुकी है।

साइंस की स्टूडेंट पढ़ रही भागवत कथा

यह बात उन लोगों के लिए ज्यादा प्रोत्साहित करती है जो इस बात को कहते हैं कि एक भाषा से एक विषय से दूसरे विषय तक कैसे पढ़ पाएंगे। लेकिन निधि सरस्वत ने बॉटनी से एमएससी पास किया है। अब श्रीमद् भागवत कथा का संस्कृत में प्रवचन कर रही हैंं। साथ हीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इंग्लिश में प्रवचन दे चुकी हैं। श्रीमद् भागवत कथा प्रेमी एवं कार्यक्रम के आयोजक राय सिंह परमार की ओर से इसका आयोजन किया जा रहा है। कथा वाचक को सुनने के लिए कस्बा सहित ग्रामीण इलाके से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं।

इंग्लैंड सहित कई देशों में मिला सम्मान

आध्यात्मिक कथा प्रवक्ता निधि ने बताया कि वर्ष 2017 में इंग्लैंड के हेरो लेजर सेंटर मे भागवत कथा के प्रवचन पर 2 अक्टूबर 2017 में गांधी जयंती के मौके पर उन्हें गीता स्कॉलर से सम्मानित किया गया। इसके अलावा बेल्जियम, इटली, लंदन, पेरिस, श्रीलंका सहित करीब 20 देशों से अधिक कथा प्रवचन करने का मौक मिला। नेशनल स्तर पर राईजनिंग डेटा ऑफ़ 2018 में भी उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित होने का मौका मिला। पिता विनोद शर्मा कहते हैं कि उनके दो बेटा, दो बेटियां हैं। उन्होंने कहा कि बेटों से बेटिया कम नहीं। आज बेटियों के साथ उन्हें भी देश विदेश में सम्मान मिला है।