बाड़ी से 4 किलोमीटर दूर नवनिर्मित मार्ग को कस्बे से बाहरी क्षेत्र में बाइपास निकाला गया है लेकिन पुराने सड़क मार्ग पर जहां से बाड़ी पहुंचा जा सकता है, वहां किसी तरह का कोई संकेत नहीं छोड़ा गया है। ऐसे में तालाबशाही के बाद वाहन चालक इस मोड को देखे बिना सीधे चलते जाते है तथा बाड़ी के बजाय सरमथुरा पहुंच जाते है।
ग्वालियर से शादी समारोह
में भाग लेने आए रवि अग्रवाल बताते है कि तालाबशाही निकलने के बाद उन्हे लगा कि वह बाड़ी पहुंचने वाले है लेकिन बाड़ी का मोड़ कब छूट गया उन्हे पता ही नहीं चला तथा बरौली पहुंचने पर पता चला कि वह बाड़ी को पीछे छोड़ आए है। आगरा से आई एक बारात की बस भी गुरुवार को सुनीपुर से वापस आई।
श्रद्धालुओं ने खड़े किए स्वयंसेवक
उमरेह रोड पर स्थित आनन्दपुर ट्रस्ट के श्रृद्धालुओं के साथ यह स्थिति रोजाना पैदा हो रही है। ऐसे में उन्होंने मोड पर संकेत तक खुद लगाया है लेकिन उसमें उन्होंने सिनेमाबाद को प्रमुखता दी है। बाड़ी छोटे अक्षरों में लिखा है। यही नहीं रास्ते में दो स्थान पर स्वयं सेवक भी खड़े किए है।