आसमां से गिरने वाली आफत आकाशीय बिजली से जनहानि और इमारतों को नुकसान होने से बचाने के लिए जिले में लाइटिंग अरेस्टर (तडि़त निरोधक) लगाए जा रहे हैं। हालांकि, जिस कंपनी को ठेका दिया है, उसकी कार्य गति सुस्त होने से कार्य समयबद्ध नहीं हो पाया है। सामान खत्म होने पर कई दिनों से काम बंद पड़ा था। दो दिन पहले ही सामान आने पर वापस कार्य शुरू हुआ है।
- आकाशीय बिजली से बचाव को जिले में लगने है 114 अरेस्टर, लगे अभी तक 11
- एजेंसी का कार्य सुस्त, मानसूनी सीजन शुरू, आधे भी नहीं लगे अभी तक
धौलपुर. आसमां से गिरने वाली आफत आकाशीय बिजली से जनहानि और इमारतों को नुकसान होने से बचाने के लिए जिले में लाइटिंग अरेस्टर (तडि़त निरोधक) लगाए जा रहे हैं। हालांकि, जिस कंपनी को ठेका दिया है, उसकी कार्य गति सुस्त होने से कार्य समयबद्ध नहीं हो पाया है। सामान खत्म होने पर कई दिनों से काम बंद पड़ा था। दो दिन पहले ही सामान आने पर वापस कार्य शुरू हुआ है। जबकि मानसूनी सीजन शुरू हो चुका है और बिजली खूब भी कडकड़़ा रही है। उक्त कार्य राज्य आपदा प्रबंधन और सहायता विभाग के निर्देशन में राजस्थान राज्य विद्युत प्रसारण निगम लिमिटेड (आरवीपीएनएल) की तरफ से करवाया जा रहा है। आरवीपीएनएल ने एजेंसी को ठेका दिया है जो जिले लाइटिंग अरेस्टर लगा रही है। जिले में कुल 114 अरेस्टर लगने हैं, जिसमें से अभी मुख्यालय पर 11 लगाए जा चुके हैं। उधर, नोडल अधिकारी एवं एसडीएम डॉ.साधना शर्मा ने एजेंसी से नाराजगी जताते हुए कार्य की गति बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। आरवीपीएनएल के एईएन राहुल ने बताया कि बीच में सामान खत्म होने से कार्य रुक गया था। लेकिन अब सामान आ चुका है और वापस कार्य शुरू कर दिया है।
शहर में 33 जगह लगने है, 11 अरेस्टर लगे
आकाशीय बिजली गिरने से सरकारी इमारत और सार्वजनिक स्थलों पर जनहानि रोकने के लिए उपकरण लगाए जा रहे हैं। जिला मुख्यालय पर अभी तक 11 स्थानों पर लाइटिंग अरेस्टर उपकरण लग चुके हैं। हालांकि, मुख्यालय पर 33 लगाए जाने हैं। अभी तक जिला कारागार, एनएच 44 स्थित प्रसिद्ध चोपड़ा मंदिर, तहसील कार्यालय, महाराना स्कूल, राजकीय आईटीआई, 220 केवी विद्युत स्टेशन बाड़ी रोड समेत अन्य सरकारी इमारतों पर उपकरण लगाए हैं। जबकि अभी रेलवे स्टेशन, कलक्ट्रेट, नगर परिषद कार्यालय, सर्किट हाउस समेत कई सरकारी भवन और अन्य स्थलों पर लगाए जाने हैं। शहर में कुल 33 लगेंगे।
100 मीटर दायरा होगा कवर, बचाएगा जीवन
लाइटिंग अरेस्टर जिस इमारत पर लगाया जा रहा है, उसके आसपास के करीब 100 मीटर के दायरे को सुरक्षित करेगा। यानी कवर होगा। आकाशीय बिजली गिरने पर अरेस्टर में समाहित होकर जमीन जाएगी। जिससे इमारत को नुकसान नहीं होगा। साथ आसपास जनहानि होने से रोकेगा। आरवीपीएनएल ने उन स्थलों को भी चिह्नित किया है, जहां पर पहले आकाशीय बिजली से हादसे हो चुके हैं। आकाशीय बिजली से खुले में बंधे जानवर की दफा चपेट में आ चुके हैं।
ब्लॉक स्तर पर तहसीलदार सहायक नोडल अधिकारी
मुख्यालय के साथ जिले के सभी ब्लॉकों में लाइटिंग अरेस्टर लगाए जाएंगे। इसके लिए राजस्थान राज्य विद्युत प्रसारण निगम लिमिटेड ने पहले ही सूची तैयार कर रखी है। ब्लॉक स्तर पर तहसीलदार को सहायक नोडल अािकारी नियुक्त किया है। उसके देखरेख में कार्य होगा।
यूं कार्य करता है लाइटिंग अरेस्टर
लाइटिंग अरेस्टर आकाशीय बिजली के असर को मुख्य तौर पर बेअसर करता है। इस उपकरण की मदद से गिरने वाली आकाशीय बिजली के तेज झटके को भूमि में सुरक्षित तरीके से प्रवाहित कर नुकसान होने से बचाया जाता है। लाइटिँग अरेस्टर लगाने का मुख्य उद्देश्य जनहानि और भवन इत्यादि को होने वाले नुकसान से बचाया है।
हादसे होने पर 4 लाख रुपए की सहायता
बता दें कि आकाशीय बिजली की चपेट में आने पर मृत्यु होने पर संबंधित व्यक्ति के परिजनों को एसडीआरएफ की तरफ से 4 लाख रुपए की आर्थिक सहायता राशि का देने का प्रावधान है। आकाशीय बिजली रेकॉर्ड होनी चाहिए। यानी पटवारी और पुलिस को सूचना होने के बाद रिपोर्ट तैयार होकर तहसील कार्यालय जाती है। हालांकि, साल 2024 में जिले में आकाशीय बिजली से एक भी जनहानि का सरकारी रेकॉर्ड नहीं है।
- जिले में लाइटिंग अरेस्टर लगाए जा रहे हैं। कार्य की गति धीमी होने पर संबंधित एजेंसी को तेजी से कार्य करने के निर्देश दिए है। सामान खत्म होना बताया जा रहा था। अभी मुख्यालय पर कई अरेस्टर लग चुके हैं। यह जनहानि और इमारतों को होने वाले नुकसान को रोकेगा।
- डॉ.साधना शर्मा, एसडीएम एवं नोडल अधिकारी