ताज ट्रेपेजियम जोन (टीटीजेड) से प्रभावित हुआ क्षेत्र पड़ोसी जिला आगरा स्थित ताजमहल को प्रदूषण से बचाने के लिए ताज ट्रेपेजियम जोन (टीटी जेड) की स्थापना की गई थी। पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 के तहत स्थापित टीटीजेड में करीब 10,400 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला है। यह उत्तर प्रदेश के आगरा, फिरोजाबाद, मथुरा, हाथरस एवं एटा जिलों तथा राजस्थान के भरतपुर जिले तक सीमा लगती है। आगरा में ताज महल, आगरा किला और फतेहपुर सीकरी विश्व विरासत धरोहर हैं। ये प्रदूषण से प्रभावित हो रही थी। जिस पर इस क्षेत्र में उद्योगों को चार श्रेणी में बांट दिया। लाल, हरा, नारंगी और सफेद वर्ग रखा गया। इस जोन में केवल पर्यावरण अनुकूल, गैर.प्रदूषणकारी छोटे, लघु एवं सूक्ष्म स्तरीय उद्योगों की ही अनुमति दी जा सकती है। इसके चलते आगरा समेत आसपास क्षेत्र से भारी प्रदूषण करने वाले कारखानों और ईंट उद्योगों को हटा दिया गया। इसमें से कुछ उद्योग धौलपुर रीको क्षेत्र में आ गए। धौलपुर टीटीजेड में शामिल नहीं था। इसका फायदा ईंट उद्योगों ने उठाया और वह आगरा सीमा पर राजाखेड़ा इलाके में पहुंच गए। आज यहां पर सैकड़ों ईंट भट्टे धुआं फेंक रहे हैं।
उद्योग के बाद अब पराली का धुआं की शुरुआत अभी तक ईंट भट्टे और अन्य उद्योगों का धुआं की चिंताजनक था। लेकिन अब खेतों में बड़ी संख्या में किसान पराली को नष्ट करने का सस्ता उपाय जलाना सीख गए हैं। पहले ये काम केवल पंजाब और हरियाणा के किसान करते थे। पराली जलाने से निकलने वाले सूक्ष्म कण पीएम 2.5 और पीएम 10 वायुमंडल में फैलकर श्वसन रोगों, आंखों की जलन और त्वचा संबंधी परेशानियों का कारण बनते हैं। अभी यह धुआं धौलपुर के खेतों में सीमित है, पर यह चलन चेतावनी दे रहा है कि अगर यह सिलसिला बढ़ाए तो जिले की हवा में जहर घुलेगा।
रीको एरिया में नहीं बचे भूखण्ड पड़ोसी आगरा और एनसीआर इलाके से कई कारखाने और उद्योग हाल में धौलपुर पहुंचे हैं। अंदाजा लगाया जा सकता है पहले यहां रीको क्षेत्र में भूखण्ड खाली पड़े थे। लेकिन बीते5 साल से तेजी से उद्योग बढ़े हैं। धौलपुर शहर में हाइवे संख्या44 से लगे रीको एरिया ओडेला रोड, रीको एरिया ग्रोथ सेंटर और रीको एरिया विस्तार में वर्तमान में केवल 30 भूखण्ड खाली हैं। जबकि तीनों रीको क्षेत्र में करीब470 उद्योग स्थापित हैं। कुछ भूखंडों में कारखाने शुरू होने वाले हैं।
एनसीआर में प्रतिबंध, यहां पर छूट हर साल सर्दियों के मौसम में एनसीआर क्षेत्र में कई प्रतिबंध लागू हो जाते हैं। इसमें मिट्टी खुदाई, भराई गतिविधियां, जिसमें बोरिंग और ड्रिलिंग नहीं पूर्ण प्रतिबंधित, तोडफ़ोड़ कार्रवाई पर रोक और निर्माण कार्य बंद समेत बाहरी वाहनों को राजधानी क्षेत्र में प्रवेश करने पर रोक लगा दी जाती है। इसका असर धौलपुर जैसे छोटे शहरों पर होता है। यहां पर धुआं उगलने वाले उद्योगों पर कोई रोकथाम नहीं है। प्रदूषण नियंत्रण विभाग भी केवल एनओसी जारी करने तक ही मतलब रखता है।
– धौलपुर में आगरा से सटे विशेषकर राजाखेड़ा क्षेत्र में ईंट भट्टों की स्थिति पहले से काफी सुधरी है। इन्हें जिकजैक पद्धति पर चलाया जा रहा है, जिससे हवा कम से कम खराब हो। सर्दियों के समय एक्यूआई स्तर बिगड़ जाता है। एनसीआर के नजदीक होने से भी स्थिति प्रभावित होती है। वर्तमान में एक्यूआई स्तर बेहतर है।
– उमेश, क्षेत्रीय अधिकारी, राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मण्डल, भरतपुर