धौलपुर

छात्रसंघ चुनाव: एबीवीपी ने बताया मनमाना निर्णय, एनएसयूआई बोली- पहले जेएनयू और अन्य जगह तो करा लें चुनाव

Student union elections news dholpur: धौलपुर. वर्तमान राजनीति कई ऐसे नेता हैं जो छात्रसंघ चुनाव के जरिए लोगों के सामने आए। छात्रसंघ चुनाव किसी प्रदेश में युवाओं की नब्ज तराशने का बेहतर लोकतांत्रिक माध्यम है।

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छात्रसंघ चुनाव: एबीवीपी ने बताया मनमाना निर्णय, एनएसयूआई बोली- पहले जेएनयू और अन्य जगह तो करा लें चुनाव

Student union elections news dholpur: धौलपुर. वर्तमान राजनीति कई ऐसे नेता हैं जो छात्रसंघ चुनाव के जरिए लोगों के सामने आए। छात्रसंघ चुनाव किसी प्रदेश में युवाओं की नब्ज तराशने का बेहतर लोकतांत्रिक माध्यम है। लेकिन राज्य सरकार ने गत 12 अगस्त छात्रसंघ चुनाव पर रोक लगा दी। इससे चुनाव की तैयारी में जुटे विद्यार्थियों और छात्र नेताओं को खासा झटका लगा है। इनकी कुछ समय से चल रही तैयारियों धरी रह गईं।

बताया जा रहा है कि प्रदेश के विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने राज्य सरकार को रिपोर्ट दी थी कि छात्रसंघ चुनाव में धनबल इस्तेमाल होता है। इससे शिक्षण कार्य बाधित होता है। इसको आधार मनाते हुए राज्य सरकार ने छात्रसंघ चुनाव पर रोक का निर्णय लिया है। हालांकि, एबीवीपी सरकार के निर्णय को गलत बताते हुए लोकतांत्रित चुनाव प्रक्रिया के खिलाफ बता रही है। जबकि एनएसयूआई का कहना है कि संभव हो तो सरकार को चुनाव कराना चाहिए। फिलहाल, कॉलेजों की दीवारों पर लगे पोस्टर व पंपलेट खराब होते दिख रहे हैं। उधर, जिले में पिछले छात्रसंघ चुनाव में एबीवीपी ने एनएसयूआई से बेहतर प्रदर्शन किया। हालांकि, जिले के सबसे बड़े पीजी कॉलेज में एनएसयूआई विजयी रही थी। जिले में 11 राजकीय कॉलेज हैं।

पहले भी राजस्थान में चुनावों पर लग चुकी रोक

प्रदेश में छात्रसंघ चुनावों पर रोक का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी छात्रसंघ चुनाव पर रोक लग चुकी है। राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद की ओर से पहले साल 2005 से 2009 तक चुनाव नहीं करवाए गए। इसके बाद 2010 से छात्रसंघ चुनाव शुरु हुए। इसके बाद कोरोना महामारी के दौरान साल 2020 और 2021 में छात्रसंघ चुनाव नहीं हो पाए थे। इस दफा सरकार ने विवि के कुलपतियों की ओर से मंगाई रिपोर्ट के बाद छात्रसंघ चुनाव पर रोक लगाने का निर्णय लिया है।

इन विवि में भी नहीं हुए छात्रसंघ चुनाव

प्रदेश में छात्रसंघ चुनाव पर लगी रोक से छात्र मायूस हैं। लेकिन राजस्थान से पहले दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विवि में करीब 4 साल, आगरा के डॉ.बीआर अम्बेडकर विवि में करीब 6 साल, बनास हिन्दू विवि में करीब 10 से छात्रसंघ चुनाव नहीं हुए हैं। यहां पर किन्हीं कारणों की वजह से छात्रसंघ चुनाव पर रोक लगी हुई है।

- छात्र संगठन के तौर पर वह गहलोत सरकार से चाहते हैं कि संभव हो तो चुनाव कराए जाने चाहिए। लेकिन अन्य दल के संगठन जिस तरह से मुद्दा बना रहे हैं, वह गलत है। पहले अपने प्रदेशों के विवि व कॉलेजों में चुनाव करा लें। यूपी, जेएनयू, बीएचयू में चुनाव कई साल से नहीं हुए हैं।

- पंकज तिवारी, जिलाध्यक्ष, एनएसयूआई धौलपुर

- युवाओं का गुस्सा छात्रसंघ चुनाव पर दिखाई देता। साथ ही प्रदेश में महिला अत्याचार समेत मुद्दे से ध्यान भटकाने के लिए सरकार ने छात्रसंघ चुनाव कराने से बच रही है। लोकतंत्र में चुनाव न कराना एक तरह से तानाशाही है। अब कॉलेजों में विद्यार्थियों की आवाज रखने वाला कोई नहीं होगा। जिससे मनमानी होगी।

- रोहित चतुर्वेदी, जिला संगठन मंत्री एबीवीपी धौलपुर

- राजस्थान विवि में वह प्रवेश ले रहे थे। लेकिन इस निर्णय से उम्मीदों पर पानी फिर गया। पिछले साल भी चुनाव लडऩे के मूड में थे। लेकिन आखिरी समय में निर्णय बदल दिया। छात्र राजनीति में नेताओं की जरुरत है। जनप्रतिनिधि आपकी बात ऊपर रख सकते हैं।

- चतुर सिंह, एमए प्रथम वर्ष, पीजी कॉलेज, धौलपुर

Published on:
17 Aug 2023 06:44 pm
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