धौलपुर

विद्यार्थियों को 5 साल से पीएचडी का इंतजार, 30 को गाइड तक नहीं मिला

महाराजा सूरजमल बृज विश्वविद्यालय भरतपुर से पीएचडी कर रहे 111 विद्यार्थियों को पीएचडी पूर्ण होने का इंतजार है। हाल ये है कि अब तो इंतजार की भी इंतहा हो चुकी है।

2 min read
Jul 05, 2023
विद्यार्थियों को 5 साल से पीएचडी का इंतजार, 30 को गाइड तक नहीं मिला

धौलपुर. महाराजा सूरजमल बृज विश्वविद्यालय भरतपुर से पीएचडी कर रहे 111 विद्यार्थियों को पीएचडी पूर्ण होने का इंतजार है। हाल ये है कि अब तो इंतजार की भी इंतहा हो चुकी है। ये विद्यार्थी करीब पांच साल से पीएचडी मिलने का इंतजार कर रहे हैं। वहीं, करीब 30 विद्यार्थी तो ऐसे हैं जिन्हें विवि अभी तक गाइड तक उपलब्ध नहीं करवा पाई है। खास बात ये है कि कॉमर्स विषय का तो विवि के पास गाइड तक नहीं है। जिससे पीएचडी कर रहे विद्यार्थियों के समक्ष धर्मसंकट की स्थिति खड़ी हो गई है। माना जा रहा है कि विवि की स्थापना के समय से ही यहां पर प्रबंधन व्यवस्था उचित नहीं होने से विद्यार्थियों को आएदिन नई परेशानियों का सामना पड़ रहा है। हालात ये हैं कि डेढ़ लाख रुपए तक फीस जमा कराने के उपरांत भी विद्यार्थियों को पीएचडी डिग्री उपलब्ध नहीं हो पा रही है। उधर, कुछ विशेष विद्यार्थी जिन्हें इस साल शुरुआत में गाइड मिला और नियमों को दरकिनार कर महज 3 माह में थीसिस भी जमा करा दी।

गौरतलब रहे कि बृज विश्वविद्यालय ने 14 विषयों में वर्ष 2017-18 में 63 और 2018-19 में 48 विद्यार्थियों को पीएचडी में प्रवेश दिया। वर्ष 2017-18 के सभी विद्यार्थियों को तो गाइड मिल गए। लेकिन 2018-19 के 30 से अधिक शोधार्थियों को तो 5 साल बाद भी गाइड अलॉट नहीं हो पाए। ऐसे में बिना गाइड के थीसिस का काम शुरू नहीं हो सका है। ज्ञात रहे कि बृज विवि में भरतपुर व धौलपुर जिला शामिल है।

देनी होगी एक साल की अतिरिक्त फीस

नियमानुसार यदि समय पर कोर्स वर्क हो जाता है और गाइड अलॉट हो जाता है तो न्यूनतम तीन साल में थीसिस जमा करा सकता है और उसे पीएचडी की डिग्री मिल जाती है। साथ ही पीएचडी में अधिकतम 6 साल का वक्त लगता है। लेकिन विश्वविद्यालय के दोनों बैच के अधिकतर शोधार्थी की न तो अभी तक थीसिस जमा हुई है और करीब 30 को तो गाइड भी अलॉट नहीं हुआ है। ऐसे में अब शोधार्थियों को एक-एक साल की 18-18 हजार अतिरिक्त फीस जमा करानी होगी।

गाइड मिला और उधर लिख दी थीसिस

विवि के शोधार्थियों को 5 साल में गाइड तक अलॉट नहीं रहा है। जबकि दूसरी तरफ कुछ विशेष छात्र-छात्राओं विवि की खासी मेहरबानी बनी हुई है। इन्हें मार्च और अप्रैल में गाइड अलॉट हुआ और दो-तीन माह में ही अपनी थीसिस लिखकर जमा करा दी। जबकि थीसिस लिखने में विद्यार्थियों को काफी समय लगता है। इसकी वजह ये है कि पीएचडी एक शोध कार्य है जिस पर काफी मंथन और अलग-अलग लोगों के विचार के साथ विद्यार्थी उसका विषय के अनुसार उल्लेख करता है। जबकि इन विद्यार्थियों ने तुरंत ही थीसिस लिख कर जमा तक कर डाली। जिसे बिना पड़ताल के विवि ने स्वीकार भी कर लिया। जबकि दूसरी तरफ कई विद्यार्थियों को गाइड तक उपलब्ध नहीं करा पा रही है।

- पीएचडी कर रहे विद्यार्थियों को नियमानुसार गाइड उपलब्ध कराया जाएगा। तबादला होने समेत अन्य वजह से परेशानी रही है। कॉमर्स में गाइड ही नहीं है। फिलहाल, नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
- डॉ.अरुण कुमार पाण्डेय, उप कुलसचिव, महाराजा सूरजमल बृज विवि भरतपुर

Published on:
05 Jul 2023 10:38 am
Also Read
View All

अगली खबर