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शहर के निजी अस्पतालों के हाल, कोई चल रहा बिना रजिस्ट्रेशन, तो किसी में नहीं एक भी चिकित्सक

- चार अस्पतालों का रजिस्टे्रशन निरस्त - जिला कलक्टर के निर्देश पर की गई जांच तो सामने आई अनियमितताएं - बिना रजिस्ट्रेशन संचालन पर होगी कड़ी कार्रवाई   धौलपुर. शहर और जिले के निजी अस्पतालों में लोगों के स्वास्थ्य और जान के साथ खिलवाड़ जारी है।

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 The condition of private hospitals in the city, some are running without registration, and none have a single doctor

शहर के निजी अस्पतालों के हाल, कोई चल रहा बिना रजिस्ट्रेशन, तो किसी में नहीं एक भी चिकित्सक

शहर के निजी अस्पतालों के हाल, कोई चल रहा बिना रजिस्ट्रेशन, तो किसी में नहीं एक भी चिकित्सक


- चार अस्पतालों का रजिस्टे्रशन निरस्त

- जिला कलक्टर के निर्देश पर की गई जांच तो सामने आई अनियमितताएं

- बिना रजिस्ट्रेशन संचालन पर होगी कड़ी कार्रवाई

धौलपुर. शहर और जिले के निजी अस्पतालों में लोगों के स्वास्थ्य और जान के साथ खिलवाड़ जारी है। हालात यह हैं कि शहर के बड़े निजी अस्पतालों में शुमार बाड़ी रोड स्थित रिनी हॉस्पीटल बिना रजिस्ट्रेशन के ही करीब दो साल से संचालित हो रहा था। वहीं, कई अन्य अस्पतालों में भी विभिन्न प्रकार की खामियां सामने आई हैं। दरअसल, जिला कलक्टर अनिल अग्रवाल ने शहर के निजी अस्पतालों की जांच कराई थी। उपखंड अधिकारी अनूप सिंह के सुपरविजन में सीएमएचओ व चिकित्सा विभाग की टीम ने अब तक शहर के छह अस्पतालों की जांच की है। इन सभी में भयंकर अनियमितताएं सामने आई हैं। इस पर सीएमएचओ ने चार निजी अस्पतालों का रजिस्ट्रेशन रद्द किया है। वहीं अन्य के खिलाफ भी कार्रवाई जारी है।

इन अस्पतालों की जांच

टीम ने शहर के बाड़ी रोड स्थित रिनी हॉस्पीटल, बाड़ी रोड स्थित राधारानी हॉस्पीटल, कलक्ट्रेट के सामने स्थित मां भगवती हॉस्पीटल, वाटर वक्र्स चौराहा स्थित टोटल मेडिकेयर हॉस्पीटल, राजाखेड़ा बाइपास स्थित श्रीश्याम हॉस्पीटल तथा राजाखेड़ा बाइपास स्थित विरमा हॉस्पीटल की जांच की थी। कार्रवाई फिलहाल जारी है।

हाइलाइट बॉक्स.... बिना रजिस्ट्रेशन संचालन तो एफआइआर

जानकारों के अनुसार, बिना रजिस्ट्रेशन के निजी अस्पताल संचालित होता मिला तो सीधे धोखाधड़ी समेत अन्य धाराओं में एफआईआर दर्ज कराई जा सकती है। नियम विरुद्ध संचालन पर इंडियन मेडिकल एक्ट 1956 धारा-15 (2) तथा आइपीसी की धारा 419 व 420 में प्रकरण दर्ज कराया जा सकता है। अब जब शहर के चार अस्पतालों का रजिस्ट्रेशन रद्द हो चुका है तो देखना होगा कि प्रशासन इनके खिलाफ क्या कार्रवाई करता है।

फायर व प्रदूषण एनओसी नहीं

अस्पतालों में लगातार बढ़ते हादसों को देखते हुए प्रशासन मानकों पर भी सख्त है। इसके लिए रजिस्ट्रेशन या नवीनीकरण के लिए फायर विभाग, प्रदूषण विभाग की एनओसी जरूरी कर दी है। इसके बावजूद अधिकतर निजी अस्पताल बिना फायर और प्रदूषण विभाग की एनओसी के संचालित हैं। वहीं, बायो वेस्ट को लेकर भी कड़े नियम हैं।

विभागीय कार्रवाई शून्य, लापरवाह उड़ा रहे मौज

क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत अवैध रूप से संचालित निजी क्लीनिक, नर्सिंग होम व निजी अस्पताल तथा पैथोलॉजी व डायग्नोस्टिक सेंटर पर कार्रवाई का भी प्रावधान है लेकिन, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से इस दिशा में विभागीय स्तर पर कार्रवाई शून्य है। ऐसे में कुकुरमुत्ते की तरह संचालित अधिकतर निजी संस्थानों के इलाज से ग्रामीण व शहरी इलाकों के भोले-भाले मरीजों की जान खतरे में रहती है। इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि बिना रजिस्ट्रेशन के कई संस्थान दलालों के माध्यम से चल रहे हैं, जहां कमीशन पर मरीजों को पहुंचाया जाता है।

सब गोलमाल है

शहर में कई ऐसे भी निजी अस्पताल हैं, जहां बिना एनेस्थेटिस्ट और सर्जन के मरीजों का ऑपरेशन भी किया जाता है। जब ऑपरेशन के समय मरीज की स्थिति गंभीर हो जाती है, वहां के संचालक बेहतर इलाज के लिए रेफर कर देते हैं, जिससे मरीज की जान खतरे में पड़ जाती है।

फिलहाल यह कार्रवाई

फिलहाल सीएमएचओ ने रिनी हॉस्पीटल और राधारानी हॉस्पीटल का रजिस्ट्रेशन अनएप्रूव किया है। मां भगवती हॉस्पीटल का प्रोविजनल रजिस्ट्रेशन निरस्त किया गया है। वहीं, टोटल मेडिकेयर हॉस्पीटल का प्रोविजनल रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन निरस्त कर दिया है।

इनका कहना है

निरीक्षण के दौरान खामियां मिलने पर सात दिवस में जवाब मांगा गया था। इस अवधि में जवाब प्रस्तुत नहीं किए जाने पर चार अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। शेष पर कार्रवाई प्रक्रियाधीन है।

- डॉ. जयंतीलाल मीणा, सीएमएचओ, धौलपुर

जिला कलक्टर के निर्देश पर शहर के निजी चिकित्सालयों का निरीक्षण किया गया। अधिकतर में भारी अनियमितताएं पाई गई हैं। बिना रजिस्ट्रेशन अगर ये अस्पताल संचालित होते मिले तो एफआईआर समेत अन्य कार्रवाई की जाएगी। लोग भी जागरूक हों और रजिस्टर्ड अस्पतालों से ही इलाज लें। कहीं कोई खामी मिलती है तो इसकी शिकायत अवश्य करें।

- अनूप सिंह, उपखंड अधिकारी, धौलपुर