देश में किसी समय सरकारी परिवहन सेवा में विख्यात रही राजस्थान रोडवेज अब अपनी पहचान को तरस रहा है। रोडवेज के बेडे में बसों की संख्या लगातार घट रही है और भर्ती नहीं होने से चालक-परिचालक और सामान्य कार्मिक भी कम हो रहे हैं।
- बेहाल राजस्थान रोडवेज
धौलपुर. देश में किसी समय सरकारी परिवहन सेवा में विख्यात रही राजस्थान रोडवेज अब अपनी पहचान को तरस रहा है। रोडवेज के बेडे में बसों की संख्या लगातार घट रही है और भर्ती नहीं होने से चालक-परिचालक और सामान्य कार्मिक भी कम हो रहे हैं। रोडवेज बसें सडक़ों पर दौड़ रही है लेकिन अब पहले जैसी रफ्तार नहीं है। जबकि पड़ोसी यूपी रोडवेज, हरियाणा और दिल्ली डीटीसी की बसें फर्राटा मार रही हैं। रोडवेज बेडे में वर्तमान में करीब 3500 बसें हैं। हालांकि, भजनलाल सरकार ने हाल के बजट में रोडवेज में 1650 पदों पर भर्ती करने की घोषणा की है। अब सरकार फिलहाल 500 पदों पर परिचालकों की भर्ती करने जा रही है। रोडवेज में करीब 10 साल बाद रिक्त पड़े पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू होगी। खास बात ये है कि करीब 20 साल रोडवेज हाल में मुनाफे में आया है। रोडवेज को करीब 26 करोड़ मुनाफा हुआ है। हालांकि, अभी भी माली हालत पतली है।
परिचालक के 3200 पद खाली
राजस्थान रोडवेज में परिचालकों के कुल 7000 से अधिक पद स्वीकृत हैं। जिसमें से वर्तमान में करीब 3200 परिचालकों के पद रिक्त बने हुए हैं। रोडवेज के पास स्वयं के परिचालक नहीं होने से कुछ समय पहले अलग-अलग डिपो स्तर पर स्थानीय रोडवेज प्रशासन ने बस सारथी अनुबंध के जरिए भर्ती की थी। ये भर्ती अभी भी बनी हुई है। वहीं, रोडवेज में ताजा बजट की घोषणा से पहले साल 2014 में भर्ती हुई थी।
भारी भरकम बजट देख नहीं दी स्वीकृति
रोडवेज की स्थिति सुधारने के लिए पूर्ववर्ती गहलोत सरकार के समय रोडवेज प्रबंधन ने 5200 रिक्त पदों पर भर्ती किए जाने का प्रस्ताव भिजवाया था। लेकिन पदों की संख्या ज्यादा होने के चलते वित्त मंत्रालय ने भर्ती को हरी झण्डी नहीं थी। जिस पर मामला अधर में ही अटक गया। बाद में सारथी अनुबंध के तहत परिचालकों की भर्ती शुरू की गई।
इन सालों में रोडवेज प्रशासन को मिली नई बसें
रोडवेज बेडे में लम्र्बे अर्से से नई बसों की मांग बनी हुई है लेकिन सरकार खरीद को लेकर निर्णय नहीं ले पाई। हालांकि, गत वर्ष 2024 में कुछ डिपो को नई बसें मिली। ये बस केवल दिल्ली रूट पर जिन डिपो की बस संचालन हो रही थी, उन्हें ही मिली। इसकी वजह दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण को लेकर सख्त नियम बड़ी वजह थी। इसमें अलवर, भिवाड़ी, तिजारा, लोहागढ़, भरतपुर, जयपुर, धौलपुर डिपो को कुछ नई बसें मिली थी। जबकि इससे पहले साल 2020, 2017, 2013, 2012 एवं 2011 में रोडवेज से नई बसें खरीदी थी। हालांकि, उससे पहले लगातार बीच-बीच में बसों की खरीद होती रही है।
वर्तमान में रोडवेज बेडे में 3500 बसें
राजस्थान रोडवेज बेडे में वर्तमान में करीब 3500 बसें हैं। हालांकि, सडक़ पर चलने वाली बसों की संख्या और कम है। उधर, राजस्थान रोडवेज के संचालक मंडल की जयपुर में हुई बैठक में साल 2026 तक रोडवेज बेडे में बसों की संख्या 5 हजार तक करने का लक्ष्य रखा है। साथ ही बस स्टैण्डों को सुधारने, आधुनिकीकरण और नए स्टैंड बनाने पर सहमति बनी है। उधर, पड़ोसी राज्य यूपी में रोडवेज में बसों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। यूपी में करीब 11 हजार से अधिक रोडवेज बस संचालित हैं और स्थाई कार्मिकों की संख्या भी करीब 55 हजार है। यूपी सरकार भी लगातार रोडवेज को बढ़ावा दे रही है। हाल में महाकुंभ में यूपी रोडवेज ने भारी-भरकम मुनाफा कमाया है।
ये पद भी चल रहे रिक्त
पद स्वीकृत रिक्त पद
सहायक आगार प्रबंधक 151 127
सहायक यातायात निरीक्षक 328 277
उप भंडार निरीक्षक 156 122
आर्टिजन ग्रेड प्रथम 1105 686
आर्टिजन ग्रेड द्वितीय 1590 948
आर्टिजन ग्रेड तृतीय 1924 1813
चालक 5948 168
4सफाई कर्मी 161 143