
dengue chikungunya malaria tretment
डेंगू, चिकनगुनिया और जीका जैसे मच्छरजनित रोगों में अमृत काढ़ा रामबाण है। इस काढ़े के नियमित प्रयोग से कई तरह की बीमारियों से बचा जा सकता है। काढ़ा देने से पहले ये पता किया जाता है कि किस वजह से कौन सा रोग हुआ है उसी के आधार पर उसका निदान तय किया जाता है। मच्छरजनित रोगों में काढ़े के साथ आंवले का प्रयोग करें। बिना वैद्य की सलाह के कोई भी काढ़ा प्रयोग नहीं करना चाहिए।
शरीर पर काढ़े का असर -
अमृत काढ़ा सुबह शाम नियमित पीने से शरीर का तापमान संतुलित रहता है। शरीर में जिस दोष की वजह से तकलीफ शुरू हुई है वह खत्म होगा। कफ ठीक होने के साथ बुखार है तो जल्दी उतरेगा। ध्यान रखें काढ़ा कम से कम चार से सात दिन तक लगातार पीना चाहिए।
ये काढ़े भी लाभदायक -
गुडूची क्वाथ, पथयादि क्वाथ, गिलोय, दसमूल को बराबर मात्रा में मिलाकर पीने से लाभ मिलता है। ये काढ़ा बाजार में बने बनाए भी मिलते हैं। दसमूल नहीं मिलने पर रासनादि का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह जरूर ध्यान रखें कि दसमूल व रसनादि दोनों को कभी न मिलाएं। ये काढ़ा भी नियमित एक हफ्ते तक पीना चाहिए।
अमृत काढ़ा बनाते समय बरतें सावधानी -
अमृत काढ़ा बनाने के लिए सबसे पहले गिलोय, वासा अडूसा के पत्ते, तुलसी पत्ता, कंटकारी, सौंठ, काली मिर्च, पीपली, दारू हरिद्रा और मुलेठी को मिलाकर दरदरा बना लें। इसके बाद इनको 250 एमएल पानी में मिलाकर उबालें। जब पानी 60 एमएल से 100 एमएल रह जाए तो उबालना बंद कर दें फिर गुनगुना ही पीएं। अमृत काढ़ा सुबह-शाम पी सकते हैं। ध्यान रखें 250 एमएल पानी में कुल सामग्री करीब 10 से 12 ग्राम के बीच होनी चाहिए। 250 ग्राम पानी में तैयार काढ़ा केवल एक व्यक्ति के लिए है। अधिक लोगों को पीना है तो सामग्री और पानी की मात्रा बढ़ा सकते हैं। ये शरीर के लिए फायदेमंद है।
Published on:
03 Dec 2019 08:07 pm
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