
गलत तरीके से योगासन से रीढ़ की हड्डी (स्पाइन) को नुकसान पहुंचा सकता है। रीढ़ की हड्डी व स्लिपडिस्क में खिंचाव हो सकता है। इस वजह से मांसपेशी में कमजोरी आने के साथ तनाव होता है। लंबे समय तक तकलीफ रहने पर पीठ व गर्दन में दर्द होता है जिसे मेडिकल की भाषा में स्लिपडिस्क कहा जाता है। स्लिपडिस्क की समस्या 30 से 50 वर्ष की उम्र के लोगों में अधिक होती है। महिलओं में स्लिपडिस्क के मामले दो गुना अधिक होते हैं।
योगासन से रीढ़ की हड्डी में ये होती दिक्कत
रीढ़ की हड्डी (स्पाइनल कॉर्ड) में 33 हड्डियां होती हैं जिसे वर्टीब्रल बॉडीज कहते हैं। इनके बीच में रबर के छल्ले की तरह जैली जैसी होती है जो रीढ़ की हड्डी के मूवमेंट में मदद करती है। चोट या बीमारी के कारण ये अपनी जगह से खिसक जाती है। इससे स्पाइनल कॉर्ड और उससे निकलने वाली नसों पर दबाव बनता है जिससे कमर दर्द, गर्दन दर्द, सूनापन के साथ हाथ और पैरों में कमजोरी होने लगती है। स्लिपडिस्ककी समस्या अधिक गंभीर है तो दोनों हाथ-पैर में कमजोरी के साथ पेशाब और स्टूल से नियंत्रण खत्म हो जाता है।
बिना प्रशिक्षण न करें योगासन
योगासन शुरू करने से पहले प्रशिक्षण लें। बिना प्रशिक्षण करने से मांसपेशियों में खिंचाव, रीढ़ की हड्डी में दर्द, गर्दन में खिंचाव सहित कई दिक्कतें हो सकती हैं।
Published on:
23 Dec 2019 12:43 pm
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