
15 ग्राम सोंठ चूर्ण रोजाना राई की कांजी या गिलोय के काढ़े के साथ पीने से गठिया में लाभ होता है।
सोंठ आयुर्वेद में हरड़ और आंवले जितनी ही महत्वपूर्ण है, इसमें हजारों गुण हैं। यह स्वाद में चरपरी, तासीर में गर्म, गठिया, जुकाम, अपच, कब्ज, सांस, खांसी, हृदय रोग, बवासीर व पेट के रोगों को दूर करने वाली होती है।
सोंठ को पानी में पीसकर कनपटियों पर लेप करने से आधासीसी या माइग्रेन में लाभ होता है। इसके अलावा सोंठ को पीसकर बकरी के दूध में मिला लें, इसकी कुछ बूंदें नाक में टपकाने से सिरदर्द में आराम मिलता है।
15 ग्राम सोंठ चूर्ण रोजाना राई की कांजी या गिलोय के काढ़े के साथ पीने से गठिया में लाभ होता है।
बेल व सोंठ का चूर्ण गुड़ में मिलाकर छाछ के साथ लेने से दस्त ठीक होते हैं।
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सोंठ, आंवला, छोटी पीपल का चूर्ण शहद के साथ चाटने या बकरी के गर्म दूध के साथ लेने से हिचकियों में आराम मिलता है। सोंठ और धनिए का काढ़ा पीने से पेटदर्द व कब्ज दूर होती है। खाने से पहले 5 ग्राम अदरक के टुकड़ों पर सेंधा नमक और नींबू का रस लगाकर खाने से भूख बढ़ती है।
Published on:
28 Jan 2019 01:25 pm
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