
कभी भी नमकीन व खट्टी चीजों के साथ दूध न लें
फैट-फ्री दूध डायबिटीज, ब्लड प्रेशर व हृदय संबंधी मरीजों, के लिए बेहतर है। वजन घटाने में भी मददगार है। लेकिन मूली, इससे बनी चीजें खाने के तुरंत बाद दूध नहीं पीएं। खाने के दो घंटे पहले दूध पीने से त्वचा संबंधी रोग होते हैं।
नाश्ते के साथ...
रात में खाने के दो घंटे बाद गुनगुना दूध पीएं। एसिडिटी की समस्या है तो सामान्य तापमान का दूध पीएं। नाश्ते के साथ लेने से बचें। कफ की दिक्कत है तो अदरक डालकर उबालकर पीएं।
दूध से परहेज भी
आयुर्वेद के अनुसार कच्चे दूध से चर्म रोग, एलर्जी व उल्टी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। दूध को उबालकर पीएं। इससे दूध ज्यादा सुपाच्य हो जाता है। सूखी खांसी, बुखार,मलेरिया, निमोनिया, मिर्गी, बवासीर, मानसिक रोग, जोड़ों के दर्द में मरीज को दूध लेना चाहिए।
एक-दो गिलास ले सकते
सामान्यत: बच्चे से लेकर बड़े 250 मिली. से 500 मिली. दूध एक दिन में पी सकते हैं लेकिन यह व्यक्ति की शारीरिक संरचना और उम्र पर निर्भर करता है कि उसे कितनी मात्रा में दूध की जरूरत है। इसलिए विशेषज्ञ की राय जरूरी है।
लैक्टोज की दिक्कत
कुछ लोगों को दूध व उससे बने उत्पाद खाने-पीने से पेट दर्द, पेट फूलना या उल्टी-दस्त की समस्या हो जाती है। इसे मेडिकल भाषा में लैक्टोज इंटॉलरेंस यानी दूध न पचना कहते हैं। लैक्टोज एक तत्व है जो दूध में प्राकृतिक शुगर की तरह होता है। इसके न पचने से समस्या होती है। देश में ४त्न बच्चे व एक फीसदी वयस्क पीडि़त हैं। कुकीज व केक में कम मात्रा में लैक्टोज होता है। ब्रेड, बिस्कुट, सूप, कैंडी स्वीट्स, बेक्डफूड में भी लैक्टोज होता है।
एक्सपर्ट :डॉ. प्रियंका राठी,फार्मकोलॉजिस्ट, आरयूएचएस, जयपुर
एक्सपर्ट :डॉ. शिव कुमार हार्ती, आयुर्वेद विशेषज्ञ, एआइआइए, नई दिल्ली
Published on:
01 Jun 2019 09:30 pm
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