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अगर व्यक्ति की कुछ भी खाने की इच्छा नहीं होती, स्वादिष्ट भोजन करने पर भी स्वाद नहीं आता, रुचिकर पकवान देखकर भी खाने का मन नहीं करता और जबरदस्ती खिलाने पर उबकाई आने लगती है तो आयुर्वेद में इसे अरोचक रोग कहा जाता है। इस रोग की वजह से रोगी दिन-प्रतिदिन दुबला होता चला जाता है।
अरुचि के कारण
खानपान में अनियमितता, भूख ना लगने पर भी भोजन कर लेना, भूख से ज्यादा खाना, रात में देर से सोना, सुबह देर से उठना, शारीरिक श्रम बिल्कुल न करना, चिंता, तनाव या डिप्रेशन होना और मीठे खाद्य पदार्थों के ज्यादा सेवन से अरुचि हो सकती है। इनके अलावा उदर (पेट) रोग एवं अन्य समस्याओं में भी भोजन से अरुचि हो सकती है जैसे-यकृत(लिवर) शोथ, खून की कमी, एसिडिटी, पेट में घाव, पीलिया, बुखार आदि।
घरेलू उपचार
यदि अरुचि लंबे समय से नहीं है, साथ ही कोई बड़ी शारीरिक या मानसिक रोग नहीं है तो घरेलू उपायों से आराम मिल जाता है।
छाछ में हींग और जीरे का तडक़ा लगाकर पीने से खाने में रुचि बढ़ती है।
नींबू के दो टुकड़े कर लें, इनमें सेंधा नमक लगा लें। इस टुकड़े को बार-बार चाटने से अरुचि की समस्या दूर होती है ।
सुबह खाली पेट आंवले के रस में थोड़ा शहद डालकर पीना अरुचि में फायदेमंद होता है ।
अदरक के छोटे-छोटे टुकड़े काटकर नींबू के रस में भिगो दें, थोड़ा काला नमक डाल देंं, भोजन से 15-20 मिनट पहले 3-4 टुकड़े अच्छी तरह चबा-चबाकर खाएं, कुछ दिन में अरुचि नष्ट होकर खुलकर भूख लगने लगेगी ।
आयुर्वेद उत्पादों में चित्रकादि वटी, अग्नि टुण्डी वटी, दाडि़माष्टक चूर्ण, लवण भास्कर चूर्ण, हिंगवष्टक चूर्ण और द्राक्षावलेह आदि बहुत फायदेमंद हैं। यदि इन उपायों से आराम न आए या अरुचि लंबे समय तक बनी रहे, लगातार वजन भी कम हो रहा हो तो डॉक्टर से अवश्य सलाह लें ।
Published on:
23 Aug 2018 05:16 am
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