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नसबंदी तो कर दिया, लेकिन घर जाने के लिए कोई सुवधिा नहीं

स्वयं के खर्चे से ऑटो और बस से घर को हुर्इं रवाना, बस स्टैण्ड तक पैदल गई कई महिलाएं

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Sterilized but there is no facility to go home

Sterilized but there is no facility to go home

डिंडौरी. जिला चिकित्सालय में सोमवार को महिला नसबंदी शिविर में एक बार फिर जिला चिकित्सालय प्रबंधन की बड़ी लापरवाही सामने आई है। महिलाओं को नसबंदी के बाद परिजनों को आटो और बस से घर तक ले जाना पड़ा।
बताया गया है कि परिवार नियोजन कार्यक्रम में लक्ष्य पूरा करने की होड़ में एएनएम और आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से महिलाओं को शिविर में बहला फुसलाकर लाया जाता है और नसबंदी के बाद उन्हे उनके हाल में छोड़ दिया जाता है। इसके बाद मजबूर परिजन महिलाओं को अपनी निजी व्यवस्था या बसों में बैठा अपने गंतव्य स्थल तक ले जाते हैं।

जबकि महिलाओं को शिविर में लाने और सुरक्षित उन्हे घर तक छोडऩे की जिम्मेदारी प्रबंधन की होती है। बताया गया है कि सोमवार को जिला चिकित्सालय में 45 महिलाओं की नसबंदी की गई, जिसमें कई लापरवाही सामने आई है। देवरी गांव की महिला जयंती पति छोटूदास को कार्यकर्ताओं द्वारा नसबंदी के लिये शिविर में लाया गया था और महिला का परीक्षण किया गया। नसबंदी के पूर्व बेहोशी के लिये एनेस्थीसिया का भी इंजेक्शन लगा दिया गया था, लेकिन इसके बाद उसे नसबंदी करने योग्य नहीं माना गया और परिजनों को महिला को ले जाने की बात प्रबंधन द्वारा कही गई। परिजनों ने बेहोशी की हालत में महिला को आटो में बैठा महिला को घर ले गये। सवाल यह उठता है कि परीक्षण के दौरान महिला को नसबंदी के लिये कैसे अयोग्य घोषित कर दिया गया।

शिविर के बाद एक और बड़ी लापरवाही सामने आई है। जहां नसबंदी के बाद महिला को परिजनों ने लगभग पांच सौ मीटर दूर स्थित बस स्टाप में पैदल लाकर बस में बैठाया। महिला इंद्रवती पति दिगम्बर निवासी मझौली जिला अनूपपुर के साथ आये परिजनों ने बताया कि महिला को ले जाने के लिये निजी साधन की व्यवस्था नहीं है और बस मे ही ले जाना मजबूरी है। ऐसे ही अनेक मामले सामने आये जिनमें महिलाओं को नसबंदी के बाद आटो और टैक्सी मे ले जाया गया। यहां लगने वाले प्रति सोमवार के शिविर में इस तरह की अव्यवस्था सामने आती है प्रबंधन का ध्यान इस ओर आकृष्ट करने के बाद भी कार्य प्रणाली में सुधार नहीं हो रहा है।