जेनेटिक, तंबाकू, मोटापा व उच्च रक्तचाप प्रमुख हैं। हाई ब्लड प्रेशर से किडनी कोशिकाओं में गांठ की आशंका ज्यादा होती है। क्या रोग की शुरुआती अवस्था में पहचान संभव है?
60-70 फीसदीत्नमामलों में गुर्दे के कैंसर की गांठ का सोनोग्राफी के जरिए बिना किसी लक्षण आने से पहले पता लग जाता है। इसके मुख्य लक्षण पेटदर्द, यूरिन में खून आना, गांठ का महसूस होना आदि है। इसके अलावा एमआरआई और सीटी स्कैन जैसी जांचों की भी मदद ली जाती है।
यदि गुर्दे में गांठ छोटी (7 सेमी.) है तो इसे निकालकर किडनी को बचाया जा सकता है। गांठ बड़ी होने पर पूरी किडनी निकालनी पड़ती है। दोनों ऑपरेशन ओपन, लेप्रोस्कोपिक और रोबोटिक पद्धति से किए जा सकते हैं।
यदि कैंसर की गांठ खून की नली से हृदय तक पहुंच जाती है तो भी इलाज संभव है। लेकिन यदि कैंसर शरीर के अन्य अंगों तक फैल जाएं (स्टेज-4) तो ऑपरेशन से ज्यादा फायदा नहीं होता है। ऐसे में रोग की गंभीरता को दवाओं से कम करते हैं।
यह कैंसर के प्रकार व उसके फैलाव की स्टेज पर निर्भर करता है। मरीज की स्थिति भी उसकी रिकवरी में अहम भूमिका निभाती है।