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पैंतीस की उम्र में स्वास्थ्य का ध्यान रखेंगे तो बुढ़ापे में नहीं होगी ये गंभीर बीमारी

locationजयपुरPublished: Nov 25, 2019 01:22:40 pm

इस बीमारी के प्रारंभिक चरण में तुरंत की घटनाओं को याद करना मुश्किल होता है। पुरानी यादें भी तेजी से खत्म होने लगती हैं। हाइपो थॉयराइड से भी अल्जाइमर की दिक्कत होती है। 60 वर्ष की उम्र के बाद 5% और 80 वर्ष की उम्र के बाद 30% बुजुर्गों को अल्जाइमर की दिक्कत होती है।

पैंतीस की उम्र में स्वास्थ्य का ध्यान रखेंगे तो बुढ़ापे में नहीं होगी ये गंभीर बीमारी

alzheimer’s disease causes symptoms and treatment

चश्मा रखकर भूलते हैं। किसी का नाम भूलते हैं लेकिन कहीं जाकर ये भूल जाएं कि यहां क्यों आए हैं तो आप सचेत हो जाएं। ये अल्जाइमर बीमारी के प्रारंभिक लक्षण हैं। उम्र बढ़ने के साथ साथ इस बीमारी के होने की आशंका बढ़ती है। ये बीमारी 60 की उम्र के बाद 5 प्रतिशत और 85 की उम्र के बाद 30 प्रतिशत लोगों को होती है। खानपान में गड़बड़ी, आधुनिक जीवनशैली, हाई बीपी, मधुमेह, सिर में चोट लगने से कम उम्र में बीमारी हो सकती है। इसका कोई स्थायी इलाज नहीं है। मस्तिष्क की स्मरण-शक्ति को नियंत्रित करने वाले भाग में बीमारी की शुरुआत होती है। उम्र के साथ मस्तिष्क की कोशिकाएं नष्ट होने से ये मस्तिष्क के दूसरे हिस्से में फैल जाती है।

बीमारी के तीन चरण –
प्रारंभिक चरण: रोगी को लगने लगता है कि वे कुछ चीजें भूल रहा है। उसकी याददाश्त में कमी आने लगती है।

द्वितीय चरण: उम्र बढ़ने के साथ दिक्कत बढ़ती है। भ्रम की स्थिति भी शुरू होती है। मरीज कुछ दिखने की बात कहता है, किसी ने छुआ या कुछ सुनाई देना कह सकता है।

अंतिम चरण : मरीज अपनी गतिविधियों को नियंत्रण करने की क्षमता खो देता है। उसे दैनिक कार्यों के लिए भी दूसरे की मदद लेनी पड़ती है।

दोस्त बनाएं, व्यायाम और योग जरूरी –
मानसिक रूप से सक्रिय रहें। दोस्त बनाएं। खुश रहें।
वजन नियंत्रित रखें। पौष्टिक भोजन करें। मौसमी फल और सब्जियां खाएं। नियमित व्यायाम और योग करें।

रोगी को अकेला न छोड़ें –
रोगी को अकेला न छोड़ें, सामाजिक, पारिवारिक गतिविधियों से जोड़े।
तंबाकू, मद्यपान करने से रोकें।
हमेशा कुछ सीखें और नए शौक विकसित करें।
सक्रिय और सकारात्मक रहें।
अवसाद (डिप्रेशन) से बचाएं।

खुद जांचें, कहीं ये लक्षण आपको भी तो नहीं –
बार-बार भूलना – चीजें रखकर थोड़ी देर बाद भूलते हैं। छोटी-छोटी बातें भूल जाते हैं। बार-बार एक ही बात पूछना।
बोलना व लिखावट बदलना – बातचीत के दौरान मरीज अटकता है। शब्द भूलने लगता है। लिखावट भी बदल जाती है।
समय, रास्तों का भ्रम- समय, घर के आसपास की गलियां, रास्ते भ्रमित होते हैं।
स्वभाव में तेजी से बदलाव – स्वभाव में तेजी से बदलाव जैसे- अचानक रोना, गुस्सा होना, हंसना। अनिद्रा की दिक्कत
सामान्य काम करने में मरीज को दैनिक काम, कॉल करने या खेल खेलने में भी परेशानी महसूस होती है।
फैसले करने में मरीज में निर्णय क्षमता कमजोर हो जाती है। ज्यादा चिंता, डिपे्रशन की स्थिति में दिक्कत तेजी से बढ़ती है।
प्रयास करने में अक्षमता घंटों टीवी देखना, निष्क्रिय पड़े रहना, अधिक सोना।

ऐसे करते हैं पहचान –
मिनी मेंटल स्टेटस एग्जामिनेशन स्केल से बीमारी की स्थिति जांचते हैं। यदि स्कोर 25 से कम है तो बीमारी की आशंका ज्यादा होती है। एमआरआई, सीटी, पीईटी स्कैन जैसे टेस्ट भी करवाते हैं।

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