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‘भारत में 130 करोड़ लोगों को कोरोना वैक्सीन लगाना बहुत बड़ी चुनौती’

नाक से दी जाने वाली वैक्सीन पर हो रहा काम ।क्या ठंड में बढ़ेंगे कोरोना के मरीज ।

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'भारत में 130 करोड़ लोगों को कोरोना वैक्सीन लगाना बहुत बड़ी चुनौती'

'भारत में 130 करोड़ लोगों को कोरोना वैक्सीन लगाना बहुत बड़ी चुनौती'

हैदराबाद । भारत की पहली स्वदेशी कोरोनावायरस वैक्सीन के को-वैक्सीन का मानव अंगों पर परीक्षण तीसरे चरण में पहुंच चुका है । कोरोना वैक्सीन के निर्माण में लगी भारत बायोटेक ने सोमवार को देश के सभी लोगों तक इसकी पहुंच स्थापित करने को लेकर सवाल उठाए हैं। भारत बायोटेक ने कोरोना से निजात दिलाने के लिए 130 करोड़ लोगों का टीकाकरण किए जाने को एक चुनौती करार दिया है। भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड (बीबीआईएल) के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक कृष्णा एला ने कहा कि कंपनी की बायो-सेफ्टी लेवल-3 (बीएसएल-3) सुविधा वर्तमान में सीमित क्षमता की है, लेकिन अगले साल तक इसकी 100 करोड़ की खुराक तक पहुंचने की उम्मीद है

260 करोड़ सिरिंज की होगी जरूरत-
एला ने विदेश मंत्रालय के सहयोग से इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस (आईएसबी) द्वारा आयोजित डेक्सोन संवाद को संबोधित करते हुए कहा कि "हमने कोवैक्सीन के लिए आईसीएमआर के साथ भागीदारी की है और हम कोरोना वैक्सीन निर्माण के तीसरे चरण के परीक्षणों में प्रवेश कर रहे हैं, लेकिन मैं खुश नहीं हूं, क्योंकि यह इंजेक्शन से दी जाने वाली दो-खुराक वाली वैक्सीन है। अगर हमें दो डोज की वैक्सीन का 130 करोड़ आबादी को टीक लगाना है तो हमें 260 करोड़ सिरिंज और सुई की जरूरत होगी।"

नाक से दी जाने वाली वैक्सीन पर हो रहा काम -
एला ने कहा कि हम एक और वैक्सीन पर काम कर रहे हैं। यह ड्रॉप के रूप में नाक के अंदर दी जाने वाली वैक्सीन है । मुझे लगता है कि अगले साल तक हम यह वैक्सीन एक अरब आबादी को उपलब्ध कराएंगे। उन्होंने कहा कि यह चुनौती है कि 130 करोड़ आबादी का टीकाकरण किया जाए ।

क्या ठंड में बढ़ेगा कोरोना -
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटीटी), हैदराबाद के प्रोफेसर एम.विद्यासागर, जो 'कोविड-19 भारतीय राष्ट्रीय सुपरमॉडल कमेटी' के अध्यक्ष भी हैं, उन्होंने कहा कि चुनौती यह है कि क्या उत्तर भारत में ठंड का मौसम विशेष रूप से इस महामारी को बढ़ाता है और क्या हम इसका अनुमान लगा सकते हैं। उन्होंने कहा कि भारत को अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस जैसे अन्य देशों की तुलना में महामारी को नियंत्रित करने में अधिक सफलता मिली है, जिनकी मृत्युदर भारत की तुलना में सात से आठ गुना अधिक है।