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Arthroscopy surgery: चोटिल घुटने के इलाज के लिए जानें आर्थोस्कोपी सर्जरी के बारे में

locationजयपुरPublished: Jul 04, 2019 06:10:02 pm

Arthroscopy surgery: घुटना शरीर का एक अहम जोड़ है। घुटने में प्रमुख रूप से चार प्रकार के लिगामेंट और दो गद्दीनुमा संरचना (मेनिस्कस) होती हैं। घुटने में चोट के कारण लिगामेंट में क्षति हो सकती है या गद्दी फट सकती है। लेकिन इनदिनों मेडिकल के क्षेत्र में बहुत तरक्की हुई है। जिस चोट को पहले पता करना ही मुश्किल था, उसे इन दिनों छोटे ऑपरेशन से ठीक कर सकते हैं।

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Arthroscopy surgery: घुटना शरीर का एक अहम जोड़ है। घुटने में प्रमुख रूप से चार प्रकार के लिगामेंट और दो गद्दीनुमा संरचना (मेनिस्कस) होती हैं। घुटने में चोट के कारण लिगामेंट में क्षति हो सकती है या गद्दी फट सकती है। लेकिन इनदिनों मेडिकल के क्षेत्र में बहुत तरक्की हुई है। जिस चोट को पहले पता करना ही मुश्किल था, उसे इन दिनों छोटे ऑपरेशन से ठीक कर सकते हैं।

Arthroscopy surgery: आर्थोस्कोपी विधि (Arthroscopy) से अब स्पोट्र्स इंजरी का इलाज सफलतापूर्वक संभव है। चीरफाड़ किए बगैर आर्थोस्कोपी से जो भी लिगामेंट टूट गया है, उसे रिपेयर कर दिया जाता है या फिर उसका दोबारा पुनर्निर्माण कर दिया जाता है।

घुटना शरीर का एक अहम जोड़ है। घुटने में प्रमुख रूप से चार प्रकार के लिगामेंट और दो गद्दीनुमा संरचना (मेनिस्कस) होती हैं। घुटने में चोट के कारण लिगामेंट में क्षति हो सकती है या गद्दी फट सकती है। लेकिन इनदिनों मेडिकल के क्षेत्र में बहुत तरक्की हुई है। जिस चोट को पहले पता करना ही मुश्किल था, उसे इन दिनों छोटे ऑपरेशन से ठीक कर सकते हैं।

लक्षण : चोट लगने पर घुटने में अचानक कुछ टूटने जैसा महसूस होता है। इससे दर्द, सूजन व घुटने को मोड़ने, चलने-फिरने में तकलीफ होती है।

लिगामेंट फटना क्या है –
खेलते समय गलत तरीके से कूदने, डांस करते समय गलत स्टेप पर असंतुलित होने या ड्राइविंग के दौरान दुर्घटना में पैर के असंतुलन से लिगामेंट फट सकता है। मुड़े हुए घुटने पर अचानक घूमने पर लिगामेंट क्षतिग्रस्त और गद्दी फटने का ज्यादा खतरा होता है।

स्थितिनुसार सर्जरी –
रोगी की उम्र, काम की प्रकृति, प्रभावित हिस्से में लगी चोट के आधार पर सर्जरी करते हैं। हर मरीज के लिए ऑपरेशन जरूरी नहीं। फटे लिगामेंट का दूरबीन से व घुटने की गद्दी पर छोटा छेद (आर्थोस्कोपी) कर इलाज करते हैं। खास व्यायाम व न्यूरोमस्कुलर ट्रेनिंग से कई मरीज ठीक हो जाते हैं। सर्जरी के दूसरे दिन से मरीज चल-फिर सकता है।

सावधानी जरूर बरतें –
चलने-फिरने में सावधानी बरतें। महिलाएं ऊंची हील के सैंडिल पहनकर संभलकर चलें। खिलाड़ी हैं तो अचानक मूवमेंट करने से बचेें। वर्कआउट से पहले वॉर्मअप करें व न्यूरोमस्कुलर ट्रेनिंग करें।

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