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बच्चाें में ड्रोसिफेलस के कारण हाेती है मानसिक विकलांगता

locationजयपुरPublished: Jul 17, 2019 02:32:03 pm

बच्चों में जन्मजात पाए जाने वाली विकृतियों में सबसे ज्यादा व गंभीर विकृति है हाइड्रोसिफेलस यानि जन्म से ही दिमाग में पानी का जमाव

Hydrocephalus

हाइड्रोसिफेलस के कारण हाेती है मानसिक विकलांगता

बच्चों में जन्मजात पाए जाने वाली विकृतियों में सबसे ज्यादा व गंभीर विकृति है हाइड्रोसिफेलस यानि जन्म से ही दिमाग में पानी का जमाव या जलशीर्ष। पानी का यह जमाव मानसिक विकास को बाधित करता है। हर 500 में से एक बच्चे में यह रोग होता है। शिशुओं में जन्मजात रूप से पाई जाने वाली विकृतियों में यह सर्वाधिक है और मानसिक विकलांगता का प्रमुख कारण है।
विकास अवरुद्ध
ब्रेन से रीढ़ तक प्रवाहित होने वाले सेरेबोस्पाइनल फ्लूड (सीएसएफ) के संचार में बाधा आने से यह तरल दिमाग के दोनों ओर निलय में जमा होने लगता है। मात्रा बढ़ने पर दिमागी विकास नहीं होता व मानसिक विकलांगता की आशंका अधिक होती है।
रोग के लक्षण
प्रेग्नेंसी में अल्ट्रासाउंड से रोग का पता लगाते हैं। जन्म के 6-7 माह के बीच लक्षण दिखते हैं। जैसे शिशु के सिर का तेजी से बढ़ना, बार-बार उल्टी, आंखें अंदर धंसने जैसा लगना, चिड़चिड़ापन व सामान्य विकास समय के अनुसार न होना। सीटी स्कैन व एमआरआई जैसी जांचें करते हैं।
बीमारी के कारण
बचपन में बच्चों के सिर की हड्डियां आपस में जुड़ी नहीं होती। ऐसे में जरूरत से ज्यादा तरल (सीएसएफ) के बनने पर यह दिमाग के दाएं-बाएं निलय में जमा होने लगता है जिससे सिर का आकार बढ़ जाता है। इसके अलावा असामान्य गर्भनाल, लगातार गर्भनिरोधक गोलियां लेना, प्रेग्नेंसी में धूम्रपान व शराब पीने की आदत प्रमुख कारण हैं। यदि महिला में गर्भस्थ शिशु के पूर्ण विकास के लिए जरूरी फॉलिक एसिड की कमी हो तो हाइड्रोसिफेलस व अन्य मानसिक विकृतियों की आशंका रहती है।
वहीं बच्चे में स्पाईना बाइफिडा या सिर की हड्डियों का समय से पहले जुड़ जाने की (के्रनियोसिनॉस्टोसिस) जन्मजात विकृति हो तो रोग की आशंका दोगुनी रहती है।

शंट चिकित्सा
शंट एक विशेष तरह की नलिका है जिसका एक भाग मस्तिष्क के द्रव्य से भरे वेन्ट्रीकल्स में व दूसरा पेट के पेरीटोनियल क्वेटी में छोड़ देते हैं। ऐसे में सीएसएफ का लगातार निकास होते रहने से बढ़े हुए मस्तिष्क में द्रव्य के कारण आए दबाव में कमी आती है व दिमागी विकास पुन: शुरू होता है। इसमें संक्रमण या शंट के मार्ग में रुकावट आने पर नली को बदलते हैं। बढ़ती उम्र में नया शंट लगाते हैं।
रोकथाम के उपाय
प्रेग्नेंसी में फॉलिक एसिड पर्याप्त मात्रा में लें। धूम्रपान-शराब से तौबा करें। बिना डॉक्टरी सलाह के कोई दवा न लें। गर्भस्थ शिशु की जरूरी जांचें कराते रहें। ताकि शिशु मानसिक विकलांगता से बच सके।
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