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हेपेटाइटिस में लक्षणों को जानना जरूरी

Published: Oct 01, 2018 05:06:25 am

हेपेटाइटिस लिवर संबंधी रोग है। लिवर शरीर का वह महत्वपूर्ण अंग है जो भोजन के सभी पोषक तत्वों मिनरल, ग्लूकोज व विटामिन को शरीर…

hepatitis

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हेपेटाइटिस लिवर संबंधी रोग है। लिवर शरीर का वह महत्वपूर्ण अंग है जो भोजन के सभी पोषक तत्वों मिनरल, ग्लूकोज व विटामिन को शरीर के विभिन्न हिस्सों में पहुंचाने का कार्य करता है। हेपेटाइटिस के बैक्टीरिया से संक्रमित होने पर लिवर में सूजन आ जाती है जिससे व्यक्ति पीलिया से पीडि़त हो जाता है। यदि जागरुकता के साथ इसके शुरुआती लक्षणों को समझ लिया जाए तो इस रोग को बढऩे से रोका जा सकता है। जानते हैं इसके बारे में-

शुरुआती लक्षण

भूख न लगना, जी मिचलाना, पेटदर्द, आंखों में पीलापन, थकान, वजन घटना, पाचन संबंधी समस्या, पैरों में सूजन, सिरदर्द व हल्का बुखार आदि। ऐसा होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और उनकी सलाह के अनुसार जांचें कराएं।

इलाज की अवधि

इलाज मेंं 2-3 हफ्ते का समय लगता है। संक्रमण अधिक होने पर विशेष ट्रीटमेंट दिया जाता है जिसमें 2-3 माह भी लग सकते हैं। आजकल कई तरह की एंटी वायरल और एंटोफेरोन दवाओं से गंभीर हेपेटाइटिस का इलाज संभव है। यह अंग फेल होने की स्थिति में लिवर ट्रांसप्लांट भी किया जाता है।

प्रमुख वजह

दूषित खानपान, संक्रमित सुइयों के प्रयोग से, संक्रमित रक्त, प्रभावित व्यक्ति के साथ यौन संबंध बनाने, टैटू बनवाने, दूसरों के रेजर व टूथब्रश के इस्तेमाल से।

लिवर कैंसर की आशंका

हेपेटाइटिस के पांच प्रकारों में सबसे ज्यादा खतरनाक बी व सी को माना जाता है क्योंकि इन्हें गंभीरता से न लेने पर व्यक्ति सिरोसिस ऑफ लिवर का शिकार हो सकता है। ऐसी स्थिति में मरीज का लिवर सिकुडक़र काम करना बंद कर देता है। लिवर में पानी भर जाता है, खून की उल्टियां होने लगती हैं व शरीर पर सूजन आ जाती है। लापरवाही बरतने से लिवर कैंसर भी हो सकता है।।

भ्रम न पालें

यह भ्रम है कि इस रोग के लक्षण देर से सामने आते हैं जबकि यदि थोड़ी सावधानी बरती जाए तो शुरुआती लक्षणों को पहचानकर ही इसका इलाज किया जा सकता है।

इन्हें है अधिक खतरा

बार-बार रक्त चढ़ाने, ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोग और इंजेक्शन से नशा करने वालोंं को हेपेटाइटिस रोग होने का खतरा अधिक रहता है।

मानसून में एहतियात

हेपेटाइटिस ए ज्यादातर दूषित खानपान के कारण होता है। बारिश के दिनों में चाट, गोलगप्पे, जलजीरा, बर्फ का गोला आदि आपको इस रोग की चपेट में ले सकते हैं। इसलिए इस मौसम में जहां तक संभव हो घर का बना खाना ही खाएं।

प्रेग्नेंसी में सावधानी

यदि गर्भवती महिला इस रोग से पीडि़त है तो होने वाले बच्चे को भी संक्रमित होने का खतरा रहता है। लेकिन अगर इसका सही तरह से इलाज कराया जाए तो इस खतरे से बचा जा सकता है। डिलीवरी के बाद संक्रमित मां, बच्चे को फीड करा सकती है। लेकिन ब्रेस्ट में कोई जख्म होने पर फीड न कराएं।

अल्कोहोलिक हेपेटाइटिस

अधिक शराब के सेवन से भी कई बार लिवर डैमेज होकर अपना काम बंद कर देता है। जिससे व्यक्ति सिरोसिस ऑफ लिवर से पीडि़त हो जाता है। ऐसे में उसके लक्षण हेपेटाइटिस के मरीज जैसे ही होते हैं इसलिए इसे अल्कोहोलिक हेपेटाइटिस कहते हैं।

टीकाकरण का ध्यान रखें

हेपेटाइटिस-बी से बचाव के लिए तीन चरणों में टीका लगाया जाता है। पहले टीके के बाद अगला टीका 30वें दिन फिर 180वें दिन लगता है। ऐसे हृदय रोगी, ब्लडप्रेशर के मरीज, सर्जरी कराने वाले एवं गर्भवती महिलाएं जिन्होंने पहले कभी हेपेटाइटिस का टीका नहीं लगवाया है, उनके लिए वैक्सीनेशन जरूरी होता है। बच्चों को हेपेटाइटिस-ए व बी का टीका जन्म के समय ही लगा दिया जाता है।

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